भारतीय टेनिस स्टार महेश भूपति का कहना है कि पेशेवर सर्किट पर लगातार उनकी मौजूदगी को रियो ओलंपिक की तैयारी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वह घुटने की चोट से उबरने के बाद लय दोबारा हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं।
भूपति एटीपी चैलेंजर सर्किट के टूर्नामेंट दिल्ली ओपन में युकी भांबरी के साथ खेल रहे हैं। इससे अटकलें लगने लगी है कि वह ओलंपिक की वापसी की तैयारी में जुटे हैं क्योंकि पिछले दो साल में उन्होंने कोई टेनिस नहीं खेला।
भूपति ने कहा, ‘ओलंपिक मेरे जेहन में नहीं है। मैं खेल का मजा ले रहा हूं। स्वस्थ महसूस कर रहा हूं। मैं चोट की वजह से नहीं खेल रहा था। जब तक मुझे मजा आएगा, मैं खेलूंगा। मजा नहीं आएगा तो नहीं खेलूंगा। अगले सप्ताह दुबई में अगर मुझे लगा कि अच्छा नहीं खेल रहा हूं तो खेलना छोड़ दूंगा।’
चोट के कारण छह महीने प्रतिस्पर्धी टेनिस से दूर रहे खिलाड़ी को एंट्री प्रोटेक्शन के लिए नौ टूर्नामेंटों में या नौ महीने (जो भी पहले आए) खेलना होता है। प्रोटेक्टेड रैंकिंग का निर्धारण चोट के पहले तीन महीने में खिलाड़ी की औसत एटीपी रैंकिंग के आधार पर होता है।
भूपति की नजरें भले ही अपने छठे ओलंपिक पर नहीं हो लेकिन अच्छे नतीजे आने और रैंकिंग में सुधार पर उनके चयन पर विचार किया जा सकता है।
वह हालांकि सितंबर 2011 से डेविस कप नहीं खेले हैं। नियमों के तहत खिलाड़ी को चयन के लिए ओलंपिक से ओलंपिक के चार साल में कम से कम तीन बार डेविस कप टीम का हिस्सा होना चाहिए।
आइटीएफ के एक अधिकारी ने हालांकि प्रेस ट्रस्ट को बताया कि डेविस कप या फेड कप पात्रता मानदंड पर खरे नहीं उतरने वाले खिलाड़ी के लिए राष्ट्रीय संघ खिलाड़ी की ओर से आइटीएफ ओलंपिक समिति से अपील कर सकता है।
भूपति ने कहा कि उन्हें इस नियम की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुझे नियमों के बारे में नहीं पता लेकिन शारीरिक रूप से मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं। अगले सप्ताह ऐसाम उल हक कुरैश के साथ दुबई में खेलूंगा।’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी लय फिर हासिल करने की कोशिश में हूं। जितने ज्यादा मैच खेलूंगा, उतना बेहतर महसूस होगा। चेन्नई ओपन की तुलना में अब बेहतर महसूस कर रहा हूं।
मैने चेन्नई में तीन, बैंकाक में दो, आस्ट्रेलिया में दो और फ्रांस में तीन मैच खेले।’ यह पूछने पर कि उन्हें कब तक लय हासिल करने की उम्मीद है, उन्होंने कहा, ‘पता नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे मजा आ रहा है। मैं ज्यादा से ज्यादा खेलना चाहता हूं। देखते हैं कि आगे क्या होता है।’