भारत का अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में नाम रौशन करने वाले मध्य प्रदेश के दो पैरालंपिक एथलीटों ने कहा कि वे अर्जुन पुरस्कार लौटाने की योजना बना रहे हैं। पैरा-जूडो खिलाड़ी कपिल परमार और पैराकेनो एथलीट प्राची यादव (30) का आरोप है कि राज्य सरकार उन्हें नौकरी देने में विफल रही है, जबकि वे स्थानीय अधिकारियों के पीछे पीछे दौड़ते रहे।

पैरा-जूडो खिलाड़ी कपिल परमार (25) ने 2024 पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता। उन्होंने इस खेल में भारत के लिए पहला पैरालंपिक पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने 2019 राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण, 2023 ग्रैंड प्रिक्स में स्वर्ण, 2023 विश्व खेलों में कांस्य और 2022 एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक भी जीता है। उन्हें 2024 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।

मेडल जीतने पर ही हमारे साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं

कपिल परमार ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “इस पूरे मामले को दबा दिया गया है। शिवराज सिंह चौहान जब मुख्यमंत्री थे तब मुझे सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था। वादा डीएसपी पद का था। मुझे 50 लाख रुपये मिले, लेकिन नौकरी नहीं मिली। पिछले एक महीने से मैं अधिकारियों से मिलने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन कोई मुझे फोन नहीं करता। कोई मुझे सरकारी कार्यक्रमों में नहीं बुलाता। वे मेडल जीतने पर ही हमारे साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं और जरूरत के समय हमारे काम नहीं आते।”

कपिल परमार ने 2009 में आंखों की रोशनी खो दी थी

सीहोर में पैदा हुए कपिल परमार ने 2009 में बिजली का झटका लगने से अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी। वह अपने पिता के अखाड़े में पावरलिफ्टर और पहलवानी की ट्रेनिंग लेते थे। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले परमार के पिता टैक्सी चलाते थे, जबकि उनके सबसे बड़े भाई होमगार्ड के पद पर तैनात हैं। उनके दूसरे भाई परमार को ट्रेनिंग में मदद करते हैं।

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मानसिक रूप से मैं पूरी तरह से टूट चुका हूं

कपिल ने कहा, “दृष्टि खोने के बाद, मैंने 2017 में जूडो की ट्रेनिंग शुरू की। राष्ट्रीय स्तर पर मैंने स्वर्ण पदक जीता और फिर लगातार आगे बढ़ता रहा। राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कुल सात स्वर्ण, तीन रजत और पांच कांस्य पदक जीते। मुझे राज्य भर के कार्यक्रमों में भाग लेने और युवाओं को प्रेरित करने के लिए कहा गया था। मैं ऐसा कैसे कर सकता हू जब मेरे पास ट्रेनिंग के लिए पैसे ही नहीं हैं? मानसिक रूप से मैं पूरी तरह से टूट चुका हूं और किसी में भी आत्मविश्वास नहीं जगा सकता।” उन्होंने कहा कि वह जल्द ही स्थानीय खेल निदेशक के कार्यालय जाएंगे और अपना पुरस्कार सौंपेंगे।

पैरालिंपिक में भाग लेने वाली देश की पहली पैराकेनो एथलीट

ग्वालियर में जन्मी प्राची यादव (30) 2020 टोक्यो पैरालिंपिक में भाग लेने वाली देश की पहली पैराकेनो एथलीट थीं। उन्होंने 2022 पैरा-विश्व कप में कांस्य पदक जीता। उन्हें 2020 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विक्रम पुरस्कार और 2023 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अच्छा होता अगर मैं यूपी या हरियाणा में पैदा होती

प्राची ने स्थानीय मीडिया से कहा, “अच्छा होता अगर मैं यूपी या हरियाणा में पैदा होती। मुझे कोई बड़ी उपलब्धि मिलती और पेंशन भी मिलती। सरकार कुछ नहीं कर रही है। हमें नौकरी या आर्थिक मदद नहीं दे रही है तो उस पुरस्कार का क्या फायदा? ” मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने अभी तक कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “हम उनकी शिकायतों पर गौर करेंगे। निश्चिंत रहें, राज्य सरकार मध्य प्रदेश को एक खेल महाशक्ति बनाना चाहती है और एथलीटों के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है।”