जिम्बाब्वे के पूर्व कोच हीथ स्ट्रीक इन दिनों मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं। जिम्बाब्वे क्रिकेट के अध्यक्ष तावेंग्वा मुकुहलानी ने उन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा था कि टीम के चयन के दौरान पूर्व कोच ने नस्लवादी व्यवहार किया। स्ट्रीक ने इन्हीं आरोपों को लेकर चुप्पी तोड़ी है। सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने इस मामले पर जवाब दिया है। बता दें कि स्ट्रीक इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में कोलकाता नाइट राइडर्स के बॉलिंग कोच भी हैं। बीते महीने भी उन पर गाज गिरी थी। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) वर्ल्ड कप क्वालिफायर में खराब प्रदर्शन की वजह से जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने हैरान कर देने वाला फैसला लिया था। बोर्ड ने टीम के कप्तान ग्रीम क्रेमर समेत पूरे कोचिंग स्टाफ को निलंबित कर दिया था। जिम्बाब्वे यूएई से वर्ल्ड कप क्वालिफायर में हारकर आगामी वर्ल्ड कप 2019 से बाहर हुई थी, जिसे लेकर बोर्ड खफा था।
ताजा आरोप है, “स्ट्रीक कोच-चयनकर्ता थे। टीम में बदलाव करने का अधिकार उन्हें है। लेकिन सवाल है कि उन्हें टीम में फेरबदल क्यों किया? श्वेत खिलाड़ियों को पता था कि पी.जे.मूर यूएई के खिलाफ खेलेंगे। लेकिन अश्वेत खिलाड़ियों को इसकी भनक भी न थी। सिर्फ केपहास हुवाओ को वॉर्म-अप में इस बारे में बताया गया था। स्ट्रीक ने पूरी टीम को इस बारे में क्यों नहीं बताया?”
स्ट्रीक ने इसी के जवाब में कहा, “जिम्बाब्वे क्रिकेट के मुखिया ने मुझ पर नस्लवादी व्यवहार करने का आरोप लगाया। मुझे यह बेकार और हास्यास्पद लगता है। यहां तक कि इसका जवाब देकर मैं अपना स्तर नीचे नहीं गिराना चाहता। वह भी उन लोगों को, जो मुझे अच्छे से जानते हैं।” पूर्व कोच आगे बोले, “मैं कुछ चीजों पर ध्यान दिला दूं कि सिलेक्शन पैनल में मेरे अलावा तातेंदा ताइबू और डगलस होंडो भी थे। फेरबदल को लेकर उनसे भी पूछा गया था। हमने टीम के फैसलों पर हमेशा सहमति बनाई।”
बकौल स्ट्रीक, “वर्ल्ड कप क्वालिफायर को लेकर आरोप लगा कि मैंने श्वेत खिलाड़ियों को लेने के कारण अश्वेत खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया, जो पूरी तरह से गलत है। मैंने जब तेंदाई किसोरो के लिए कायली जार्विस को पवेलियन में बैठाया, तब कुछ नहीं कहा गया। लेकिन मैंने जब पी.जे.मूर के लिए केपहास हवाओ को छोड़ा तो मैं नस्लवादी हो गया।”