केएल राहुल और ऋषभ पंत की संयम से बल्लेबाजी के कारण लॉर्ड्स टेस्ट तीसरे दिन भारत पर इंग्लैंड की शुरुआती बढ़त बनाने की कोशिशें लगभग दो घंटे तक नाकाम रहीं। हालाँकि, लंच से कुछ मिनट पहले भारतीय टीम को बड़ा झटका लगा। ऋषभ पंत रन आउट हो गए। केएल राहुल के शतक पूरा करने के लिए हड़बड़ी दिखाना मेहमान टीम के लिए महंगा साबित हुआ।
राहुल इस ऐतिहासिक मैदान पर अपने दूसरे टेस्ट शतक के कगार पर थे। वह 98 पर थे। उन्होंने लंच से पहले आखिरी ओवर में ऑफ स्पिनर शोएब बशीर की गेंद पर ऋषभ पंत को साहसिक सिंगल के लिए मजबूर किया, लेकिन इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने नॉन-स्ट्राइक पर शानदार थ्रो फेंका और भारतीय विकेटकीपर रन आउट हो गए। भारत के पूर्व कप्तान और कोच अनिल कुंबले ने इस स्थिति में खराब निर्णय लेने के लिए राहुल और पंत की आलोचना की।
141 रनों की साझेदारी टूटी
पंत के 72 रन पर आउट होने से चौथे विकेट के लिए 141 रनों की साझेदारी टूटी। राहुल ने दूसरे सत्र की शुरुआत में ही अपना शतक पूरा किया, लेकिन बशीर के अगले ओवर में 100 रन बनाकर आउट हो गए। भारत के निचले क्रम ने इंग्लैंड की पहली पारी के स्कोर 387 तक पहुंचने में मदद की। तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद राहुल ने स्वीकार किया कि शतक बनाने की जल्दबाजी के कारण भारत की लय को चोट पहुंची।
बदकिस्मती से गेंद सीधे फील्डर के हाथ में चली गई
राहुल ने कहा, “यह आदर्श चीज नहीं है। कुछ ओवर पहले बातचीत हुई थी। मैंने उनसे (पंत से) कहा था कि अगर हो सका तो लंच से पहले मैं अपना शतक पूरा कर लूंगा। और लंच से पहले बशीर के आखिरी ओवर करने से मुझे लगा कि शतक बनाने का अच्छा मौका है, लेकिन बदकिस्मती से गेंद सीधे फील्डर के हाथ में चली गई।”
कोई भी अपना विकेट ऐसे नहीं गंवाना चाहता
राहुल ने कहा, “यह ऐसी गेंद थी जिस पर मैं चौका लगा सकता था। फिर वह (पंत) बस यही चाहते थे कि मैं स्ट्राइक रोटेट करूं और देखूं कि क्या वह मुझे वापस स्ट्राइक पर ला सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए था, उस समय एक रन आउट ने सचमुच लय बिगाड़ दी। यह हम दोनों के लिए निराशाजनक था। जाहिर है, कोई भी अपना विकेट ऐसे नहीं गंवाना चाहता।”
अनावश्यक कोशिश
कुंबले ने जियो हॉटस्टार पर कहा, “मुझे लगता है कि शुरुआत में ऋषभ पंत ने कॉल किया और फिर झिझकते हुए सोचा कि कोई रन नहीं है। और फिर केएल दौड़ चुके थे। इसलिए ऋषभ पंत की शुरुआती झिझक ने शायद उनकी प्रतिक्रिया में देरी कर दी। और फिर उन्हें रन लेना पड़ा क्योंकि केएल सीधे दौड़क पहुंच गए थे। यह निश्चित रूप से अनावश्यक था, क्योंकि आप अगली तीन गेंदों को रोक सकते थे, लंच पर जा सकते थे और फिर जो करना था कर सकते थे। उस शानदार प्रदर्शन को जारी रख सकते थे जो इन दोनों बल्लेबाजों ने पहले सत्र में किया था।”
जो रूट का दिया उदाहरण
जो रूट पहले दि 99रनों पर नाबाद लौटे थे। अगले दिन अपना 37वां शतक लगाया था। इसका उदाहरण देते हुए कुंबले ने कहा, “इसकी जरूरत नहीं थी। जो रूट को एक रात इंतजार करना पड़ा। वह 99 पर थे, उन्हें अगले दिन वापसी करनी थी। उन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। यह एक शानदार साझेदारी थी। इसने इंग्लैंड को दूसरे सत्र में जाने से पहले थोड़ा आत्मविश्वास दिया।”