कभी जिन छोटे-छोटे पैरों ने अस्पताल के फर्श पर डर और बीमारी के साये में चलना सीखा था, आज वही पैर स्विमिंग पूल में पानी को चीरते हुए पदक जीत रहे हैं। यह सिर्फ एक खिलाड़ी की सफलता की कहानी नहीं, बल्कि एक मां के भरोसे, हिम्मत और संघर्ष की जीत की दास्तान है।
प्रत्यासा रे की जिंदगी का सफर हमें यह सिखाता है कि हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, अगर इरादे मजबूत हों तो किस्मत भी रास्ता बदल देती है। वॉटर थेरेपी को इलाज के रूप में अपनाने का मां का एक फैसला आज भारत की एक टॉप तैराक की पहचान बन चुका है।
अस्पतालों से शुरू हुआ पानी का रिश्ता
प्रत्यासा रे का पानी से प्रेम स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझते हुए ‘वॉटर थेरेपी’ के रूप में हुआ और अब वह खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में शानदार प्रदर्शन करके भारत की सबसे प्रतिभाशाली तैराकों में से एक बन गई हैं।
प्रत्यासा ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीते। प्रत्यासा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के अब तक चार सीजन में नौ स्वर्ण, सात रजत और दो कांस्य समेत 18 पदक जीत चुकी हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी अच्छा प्रदर्शन रहा है।
लगातार बीमारी और परिवार का संघर्ष
चूंकि वह लगातार बीमारी रहती थीं इसलिए बहुत कम लोगों को ही पता है कि प्रत्यासा के शुरुआती वर्षों में माता-पिता ने कितना संघर्ष किया है। प्रत्यासा जब तीन साल की थीं तब तक उनके माता पिता अस्पतालों के काफी चक्कर लगा चुके थे। वह लगातार बीमार रहती थीं और शारीरिक विकास भी नहीं हो रहा था। उनकी मां चारुश्री को तब ‘वॉटर थेरेपी’ के बारे में पता चला। चारुश्री ने इसे आजमाने के बारे में सोचा।
मां ने वॉटर थेरेपी को बनाया उम्मीद
चारुश्री ने बताया, ‘प्रत्यासा जब पैदा हुई थी तब काफी स्वस्थ थी, लेकिन जब वह 21 दिन की थी तब उसे एक संक्रमण से बचाने के लिए एंटी बायोटिक दिये गए तो उसका विपरीत असर हो गया। उसके बाद उसका स्वाभाविक शारीरिक विकास रुक गया। हम काफी चिंतित थे। उस समय मैंने रीडर्स डाइजेस्ट में वॉटर थेरेपी के बारे में पढ़ा कि तैराकी से बच्चे की कई स्वास्थ्य समस्याओं का हल निकलता है।’
तीन साल की उम्र में पूल में उतरी
चारुश्री ने बताया, ‘मैं अपनी तीन साल की बेटी को सम्बलपुर में स्वीमिंग पूल में ले गई। उस उम्र में प्रवेश नहीं मिलता तो उसके साथ मैंने खुद तैराकी शुरू की। उस समय काफी डर था, लेकिन बाद में उसे पानी में मजा आने लगा। दो महीने के भीतर अस्पताल के चक्कर कम हो गए और तीन महीने बाद वह स्वस्थ होने लगी। छह महीने बाद वह बिना ट्यूब के पानी में उतरी। अगले दो तीन साल में वह 25 से 50 मीटर तैरने लगी।’
स्थानीय कोच ने पहचानी प्रतिभा
प्रत्यासा ने बताया, ‘सम्बलपुर में एक स्थानीय कोच ने मेरी प्रतिभा को पहचाना और प्रतिस्पर्धी तैराकी करने का सुझाव दिया।’ प्रत्यासा ने आठ वर्ष की उम्र से झरसा खेतान तैराकी परिसर में रंगनिधि सेठ के मार्गदर्शन में तैराकी शुरू की। उस दौरान ओडिशा सरकार में कार्यरत उनके पिता रजत कुमार रे का स्थानांतरण भुवनेश्वर में हो गया। तब उन्होंने कलिंगा में पेशेवर अभ्यास शुरू किया। पढ़ाई और स्पोर्ट्स को बैलेंस करते हुए प्रत्यासा अब उत्कल यूनिवर्सिटी से डबल पोस्टग्रेजुएट डिग्री कर रही हूं।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पदकों की झड़ी
इन वर्षों में प्रत्याशा ने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई मेडल जीते हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अपनी उपलब्धियों के अलावा ओडिशा की इस तैराक ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के तीन एडिशन में भी हिस्सा लिया, जिसमें चार सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन पिछले साल गुवाहाटी में रहा, जहां उन्होंने चार गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उनकी उपलब्धियों को मान्यता देते हुए ओडिशा सरकार ने उन्हें एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया था।
कंधे में फ्रैक्चर ने सफर रुका, हौसला नहीं
हालांकि, उन गेम्स के तुरंत बाद, उनके कंधे में हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया। प्रत्यासा ने बताया, सर्जरी की जरूरत नहीं थी, लेकिन मुझे दो महीने के रिहैब की जरूरत थी। रिहैब की वजह से मुझे अपने मेन बैकस्ट्रोक इवेंट्स से दूर रहना पड़ा, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। अपनी रेसिंग काबिलियत बनाए रखने के लिए मैंने फ्रीस्टाइल और 200 और 400 मीटर के लंबे इवेंट्स में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया।”
अब 2026 नागोया एशियन गेम्स पर नजर
प्रत्यासा ने न केवल पिछले साल सितंबर में सीनियर नेशनल्स के लिए समय पर ठीक हो गईं, बल्कि रिले में गोल्ड मेडल और 100 मीटर बैकस्ट्रोक में सिल्वर मेडल के साथ रेस पूरी की। अब उनका लक्ष्य जापान के नागोया में 2026 एशियन गेम्स के लिए इंडियन टीम में जगह बनाना है। प्रत्यासा ने बताया, मेरा लक्ष्य एशियन गेम्स में हिस्सा लेना है, लेकिन उससे पहले, मैं वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा लेना चाहती हूं और अपनी टाइमिंग सुधारना चाहती हूं। मुझे स्विमिंग पसंद है, इसलिए मैं बस स्विमिंग करना चाहती हूं, लेकिन मैं इस दौरान अपने लिए माइलस्टोन भी हासिल करना चाहती हूं। विराट कोहली के शतक पर रोहित शर्मा ने कही थी यह बात? अर्शदीप सिंह ने वायरल वीडियो पर किया खुलासा
