कर्नाटक हाई कोर्ट ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचने वाले भारतीय बैडमिंटन स्टार और अर्जुन पुरस्कार विजेता लक्ष्य सेन, उनके बड़े भाई चिराग सेन, उनके पिता धीरेंद्र के सेन, मां निर्मला डी सेन और कोच यू विमल कुमार के खिलाफ कथित आयु संबंधी धोखाधड़ी के मामले में दर्ज आपराधिक मामले में जांच की मंजूरी दे दी है। चिराग सेन भी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

19 फरवरी को हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जस्टिस एमजी उमा ने 19 फरवरी को यह आदेश दिया था और हाल ही में यह उपलब्ध हुआ है। न्यायमूर्ति एमजी उमा ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘जब प्रथम दृष्टया ऐसी सामग्री रिकॉर्ड में रखी जाती है जो अपराध होने का दावा करती है, तो मुझे जांच को रोकने या आपराधिक कार्यवाही की शुरुआत को रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता। शिकायतकर्ता ने कोर्ट के समक्ष पर्याप्त सामग्री रखी, जो उचित प्राधिकारी से RTI कानून के तहत हासिल दस्तावेज हैं। ऐसी परिस्थितियों में, मुझे याचिकाओं पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता।’

जन्म प्रमाण पत्र में हेराफेरी का है आरोप

बैडमिंटन अकादमी चलाने वाले नागराजा एमजी ने आरोप लगाया कि प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में बैडमिंटन कोच विमल कुमार ने 2010 में लक्ष्य सेन और चिराग सेन के माता-पिता के साथ मिलीभगत कर जन्म प्रमाण पत्र के दस्तावेज में हेराफेरी की ताकि उन्हें कुछ निश्चित आयु समूहों वाले टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की मंजूरी मिल पाए। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के बाद सरकारी लाभ का दावा करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र में हेराफेरी की गई। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में आरटीआई (RTI) के जरिये हासिल कुछ दस्तावेज पेश किये।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत मामला दर्ज किया। दो दिसंबर 2022 को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के निर्देश पर एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर 2022 को एक अंतरिम आदेश में जांच पर रोक लगा दी।

लक्ष्य सेन और चिराग सेन ने माता-पिता और कोच के साथ दिसंबर 2022 में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) रद्द करने की मांग की। द हिंदू की खब के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें अपमानित करने के लिए निराधार आरोप लगाए गए थे। दरअसल, 2020 में नागराजा की बेटी का प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में दाखिला नहीं लिया गया था, क्योंकि उनकी बेटी अकादमी में शामिल होने के मानदंडों को पूरा नहीं करती थी। लक्ष्य सेन और अन्य के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस एमजी उमा ने कहा कि अदालत के समक्ष पेश दस्तावेजों की प्रामाणिकता को चुनौती नहीं दी गई थी।

पेरिस ओलंपिक में लक्ष्य सेन ने रचा था इतिहास

पूर्व जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 लक्ष्य सेन ने विश्व चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीते हैं। केंद्र सरकार 2022 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित कर चुकी है। उनके पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं। पेरिस ओलंपिक में लक्ष्य सेन सिर्फ ‘एक कदम’ से इतिहास रचने से चूक गए थे। लक्ष्य सेन पेरिस ओलंपिक में बैडमिंटन की मेन्स सिंगल्स स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहला गेम जीतने के बाद मलेशिया के ली जी जिया से हार गए और और पुरुष स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनने से चूक गए।

पेरिस में पहला गेम जीतने के बाद हार गए थे लक्ष्य सेन

पेरिस ओलंपिक में ला चैपल एरिना में लक्ष्य सेन को ली जी जिया से 71 मिनट में 13-21, 21-16, 21-11 से हार का सामना करना पड़ा था। लक्ष्य सेन ने 26 साल के ली जी जिया को लगातार 8 अंक दिए और दूसरा गेम हार गए। तीसरे गेम में लक्ष्य सेन खुद पर काबू नहीं रख पाए और मलेशियाई खिलाड़ी ने निर्णायक गेम में रैलियों पर नियंत्रण रखते हुए पेरिस 2024 में कांस्य पदक जीता।

लक्ष्य सेन ओलंपिक में मेन्स सिंगल्स सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय शटलर

मौजूदा राष्ट्रमंडल चैंपियन लक्ष्य सेन को दाहिने हाथ की कलाई पर चोट लगने की वजह से भी संघर्ष करना पड़ा। उनकी कलाई से खून बह रहा था। उन्हें प्रतियोगिता के अधिकांश समय तक चोट को टेप से बांधना पड़ा। लक्ष्य सेन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन पुरुष एकल सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय शटलर बन गए। इससे पहले पारुपल्ली कश्यप और किदांबी श्रीकांत क्रमशः लंदन 2012 और रियो 2016 में क्वार्टर फाइनल में पहुंचे थे।