उत्तर प्रदेश (बुलंदशहर) के फराना गांव के युवा कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की कहानी दिल दहला देने वाली है। 22 साल के बृजेश सोलंकी प्रदेशस्तरीय कबड्डी खिलाड़ी थे। राज्य चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता बृजेश सोलंकी प्रो कबड्डी लीग में चुने जाने का सपना देख रहे थे। बृजेश ने मार्च 2025 में गांव की नाली से एक पिल्ले को बचाया, लेकिन पिल्ले ने उनके हाथ की अंगुली काट ली। बृजेश ने चोट को मामूली समझा। उन्होंने रैबीज का टीका नहीं लगवाया और वह सामान्य दिनचर्चा और कबड्डी की प्रैक्टिस में व्यस्त हो गए।

पानी से लगने लगा था डर

गत 26 जून को अभ्यास के दौरान उनका हाथ सुन्न हो गया। दो दिन बाद उन्हें पानी से डर लगने लगा (हाइड्रोफोबिया)। यह रैबीज का एक प्रमुख लक्षण है। इसके बाद उन्हें अलीगढ़, मथुरा और दिल्ली के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन किसी ने भी भर्ती नहीं किया। अंततः नोएडा के एक निजी अस्पताल में बताया गया कि वह रैबीज का शिकार हैं। तब तक बृजेश की हालत गंभीर हो गई थी।

बृजेश की मौत के बाद 29 लोगों को लगाया गया रैबीज का टीका

28 जून की सुबह जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तब घर वालों ने उन्हें Faith Healer (चिकित्सीय उपचार के बजाय धार्मिक विश्वास और प्रार्थना से इलाज करने वाला) के पास ले जाने का फैसला किया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई। बृजेश की मृत्यु के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने उनके गांव का दौरा किया और 29 निवासियों को टीका लगाया। साथ ही रैबीज की रोकथाम के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया।

बृजेश के भाई ने की नौकरी देने की मांग

उनकी मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर बृजेश सोलंकी बिगड़ती हालत का एक वीडियो वायरल हुआ। जो काफी दिल दहला देने वाला था। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, उनके भाई संदीप कुमार ने कहा, ‘वह कबड्डी की प्रैक्टिस करने गांव गए थे। उन्होंने एक कुत्ते के पिल्ले को नाले से बाहर निकाला। पिल्ले ने उन्हें काट लिया। उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। हमने रैबीज के बारे में नहीं सुना था…। काटने के बाद बीमारी की पुष्टि अलीगढ़ अस्पताल में हुई। वह पानी पीने में हिचकिचा रहे थे… मैं सरकार से मांग करता हूं कि हमें नौकरी दी जाए, क्योंकि मेरा भाई परिवार का एकमात्र कमाने वाला था…।’

बृजेश सोलंकी के कोच प्रवीण कुमार के हवाले से TOI ने लिखा कि कबड्डी खिलाड़ी ने अपने लक्षणों को सामान्य खेल चोट समझ लिया था। प्रवीण कुमार ने बताया, ‘बृजेश ने अपने हाथ में दर्द को सामान्य कबड्डी चोट समझ लिया था। काटने की चोट मामूली लग रही थी और उसे नहीं लगा कि यह गंभीर है, इसलिए उसने टीका नहीं लगवाया।’

26 जून को, बृजेश को अभ्यास के दौरान सुन्नपन महसूस होने लगा। उन्हें पहले जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। संदीप कुमार ने बताया, ‘अचानक, उन्हें पानी से डर लगने लगा और उनमें रैबीज के लक्षण दिखने लगे, लेकिन खुर्जा, अलीगढ़ और यहां तक ​​कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भी हमें इलाज देने से मना कर दिया गया। नोएडा में ही डॉक्टरों ने पुष्टि की कि उन्हें रैबीज होने की आशंका है। शनिवार को जब हम उन्हें मथुरा में Faith Healer के पास ले जा रहे थे, तभी उनकी मौत हो गई।’

सतर्कता जरूरी

यह घटना न सिर्फ एक खिलाड़ी की जान लेने वाली एक दुखद घटना है, बल्कि यह हमें पशु काटने पर सावधानी बरतने, बचाव के लिए पहल शुरू करने और तुरंत चिकित्सा सलाह लेने का संदेश देती है। बृजेश सोलंकी की दरियादिली और मानवता को सलाम, लेकिन इस त्रासदी ने हमें एक बड़ा सबक सिखाया।

इस घटना से हमें मिलती है यह सीख

  • रैबीज अत्यधिक खतरनाक है। एक बार लक्षण शुरू हो जाने पर लगभग 100% मृत्यु दर होती है।
  • जानवरों के काटने के बाद तुरंत इलाज और टीकाकरण की आवश्यकता है, भले ही वह मामूली लगता हो।
  • दोस्तों, समुदाय और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर सामान्य लोगों में जागरूकता फैलाने की बहुत जरूरत है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • घर के आसपास के कुत्तों और पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं।
  • किसी भी काटने या जोर से खरोंच के बाद तुरंत जख्म धोएं और डॉक्टर से सलाह लें।
  • अपने समुदाय में जागरूकता फैलाएं। आप खुद भी यह शुरुआत कर सकते हैं।