भारत के पूर्व बल्लेबाज और 2012 से 2016 तक मुख्य चयनकर्ता रहे संदीप पाटिल का मानना है कि मौजूदा खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट का मामला टीम को एक हास्यास्पद स्थिति में पहुंचा सकता है, जहां फिजियोथेरेपिस्ट भी चयन समिति की बैठकों का हिस्सा बन सकते हैं। इंग्लैंड में तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी सीरीज में भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को पीठ की चोट की उभरने से बचाने के लिए पांच में से तीन टेस्ट मैचों में खिलाया गया था।
मिड-डे से संदीप पाटिल ने कहा, “मुझे हैरानी है कि बीसीसीआई इन सब बातों पर कैसे राजी हो रहा है। क्या फिजियो कप्तान और मुख्य कोच से ज्यादा अहम है? चयनकर्ताओं का क्या होगा? क्या अब हम उम्मीद करें कि फिजियो चयन समिति की बैठकों में बैठेगा? क्या वही फैसला लेगा?”
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देश के लिए मर मिटते हैं
संदीप पाटिल ने कहा, “जब आपको अपने देश के लिए चुना जाता है तो आप अपने देश के लिए मर मिटते हैं। आप एक योद्धा हैं। मैंने सुनील गावस्कर को मैच के पांचों दिन बल्लेबाजी करते देखा है। मैंने कपिल देव को टेस्ट मैच के ज्यादातर दिनों में गेंदबाजी करते देखा है। यहां तक कि नेट्स में भी हमारे लिए गेंदबाजी करते देखा है। उन्होंने कभी ब्रेक नहीं मांगा। कभी शिकायत नहीं की और उनका करियर 16 साल से ज्यादा लंबा चला। 1981 में ऑस्ट्रेलिया में सिर में चोट लगने के बाद मैंने अगला टेस्ट मैच नहीं छोड़ा।”
वर्कलोड मैनेमेंट बकवास
मुख्य चयनकर्ता के तौर पर अपने कार्यकाल को याद करते हुए पाटिल ने कहा कि वह आधे-अधूरे काम पर विश्वास नहीं करते। उन्होंने कहा, “वर्कलोड मैनेमेंट बकवास है। आप या तो फिट होते हैं या अनफिट। इसी आधार पर हम (उनकी चयन समिति) टीमें चुनते थे। हम वर्कलोड के इस मामले में दिलचस्पी नहीं लेते थे।”
हम देश के लिए खेलकर खुश थे
संदीप पाटिल ने कहा, “आज के खिलाड़ियों के पास सारी सुविधाएं हैं। हमारे खेलने के दिनों में ऐसे रिहैब कार्यक्रम नहीं थे। कई बार हम चोट के बावजूद खेलते रहे। यूं कहें कि हम देश के लिए खेलकर खुश थे… कोई नाटक नहीं।” पाटिल ने जोर देकर कहा कि आजकल के क्रिकेट में प्रशंसा करने लायक बहुत सी चीज़ें हैं, लेकिन मैचों का चुनाव करना निश्चित रूप से उनमें से एक नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझे आजकल के बल्लेबाजों के स्ट्रोक देखकर हैरानी होती है। हमारे जमाने में अगर हम कोई भी अनोखा स्ट्रोक लगाने की कोशिश करते थे तो सुनील गावस्कर हमें डांटते थे, लेकिन अब समय बदल गया है और हम इसे स्वीकार करते हैं। मुझे यह बात समझ नहीं आती कि खिलाड़ी मैच कैसे छोड़ रहे हैं।