भारतीय हॉकी टीम ने रविवार को प्रो लीग में अमेरिका को शूटआउट में मात दी। ओलंपिक के लिए क्वालिफाई न करने वाली टीम इंडिया पहले लेग में अंकतालिका में पांचवें स्थान पर हैं। इस मुकाबले के बाद बीते चार साल से टीम के साथ रही हेड कोच जेनेक शॉपमैन ने अपने दिल का हाल बयां किया। उन्होंने भारत में अपने अनुभव को लेकर बड़ा बयान दिया। उनके मुताबिक भारत में महिलाओं की बात की कोई इज्जत नहीं है और हॉकी इंडिया महिला और पुरुष टीम में भेदभाव करती है।
2020 में टीम इंडिया से जुड़ीं शॉपमैन
शॉपमैन जनवरी 2020 में एनालिटकल कोच के तौर पर महिला टीम के साथ जुड़ी थीं। तब टीम के हेड कोच श्योर्ड मरीन्ये थे। टोक्यो ओलंपिक के बाद श्योर्ड मरीन्ये का कार्यकाल खत्म हुआ और शॉपमैन को टीम की जिम्मेदारी मिली। पूर्व ओलंपिक मेडलिस्ट ने कहा कि हेड कोच बनने के बाद भी उन्हें न तो समर्थन मिला न ही तवज्जो।
महिला-पुरुष टीम के बीच होता है भेदभाव
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं की बातों को, उनकी सोच को अहमियत नहीं दी जाती है। महिला और पुरुष टीम के बीच काफी भेदभाव होता है। शॉपमैन ने कहा, ‘मैंने देखा कि पुरुष और महिला कोच के बीच भेदभाव होता है। मेरी टीम की लड़कियों ने कभी मेहनत से मुंह नहीं फेरा। बहुत मेहनत की। मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाहती। वह नई चीजें सीखना चाहती थीं।’
भारत में औरतों का काम करना मुश्किल
उन्होंने आगे कहा, ‘ अगर मैं अपनी बात करूं तो मेरे लिए यह बहुत मुश्किल था। मैं नेदरलैंड्स की रहने वाली हूं, अमेरिका में काम कर चुकी हूं लेकिन भारत में एक औरत होते हुए काम करना बहुत मुश्किल है। मैं ऐसी जगह काम कर चुकी हूं जहां औरतों की अपनी सोच होती है और उसे अहमियत दी जाती है। भारत में यह बहुत मुश्किल है।’
खिलाड़ियों के लिए भारत में रहने को तैयार शॉपमैन
शॉपमैन ने आगे कहा कि उनके लिए भारत में काम को मैनेज करना मुश्किल था। उन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। उनके मुताबिक हॉकी इंडिया के अधिकारियों का पूरा ध्यान पुरुष टीम पर था। शॉपमैन ने कहा कि वह आगे टीम इंडिया के साथ काम करेंगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि टीम की खिलाड़ी क्या चाहती हैं। अगर वह उनका साथ चाहती हैं और हॉकी इंडिया उनका करार बढ़ाता है तो वह भारत में रुक जाएंगी।