इशान किशन को पहली बार भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुना गया है। 44 फर्स्ट क्लास, 77 लिस्ट ए और 95 टी20 मैचों का अनुभव रखने वाले किशन को इंग्लैंड के खिलाफ पांच टी20 मैचों की सीरीज के लिए चुना गया है। मुंबई इंडियंस का यह विकेटकीपर बल्लेबाज बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। पढ़ाई के दौरान कॉपी पर होमवर्क बनाने की जगह फील्डिंग सेट किया करते थे। उनके भाई राज किशन भी क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन घर वालों के कहने पर 10वीं में क्रिकेट को छोड़ दिया।

किशन के पिता प्रणव कुमार पांडे कंशट्रक्शन का काम करते हैं। क्रिकबज के शो स्पाइसी पिच में उन्होंने कहा,‘‘हमने स्ट्रगल शुरू में किया है। दोनों (बेटे) क्रिकेट खेलते थे। शुरू में इशान के साइज का बैट और पैड भी नहीं मिलता था। हमारा स्कूटर था। पीछे बड़ा बेटा बैठता था और आगे इशान खड़ा हो जाता था। इसी तरह हम स्टेडियम जाते थे। एक बार सिलेक्शन था अंडर-14 एसजीएफआई का। बड़ा बेटा ट्रायल देने जा रहा था तो इशान ने कहा कि मैं भी जाऊंगा। मुझे पता था कि इसका होगा तो नहीं फिर भी ले गया। वहां उसने दो-चार ऐसे शॉट लगाए तो सिलेक्शन स्टेट टीम के लिए हो गया। आरा में इसने बेहतरीन विकेटकीपिंग की थी।’’

इशान किशन ने कहा, ‘भाई मुझसे कहते रहते हैं कि मुझे भी क्रिकेट खेलना चाहिए था। मैं भी कहता हूं कि दोनों भाई खेलते तो अच्छे से खेल पाते।’’ इस पर उनके भाई राज किशन ने कहा, ‘‘पूरी तरह से ऐसा नहीं था। पापा-मम्मी का प्रेशर था। वो कहते थे कि छोड़ दो। किसी एक को पढ़ना चाहिए नहीं तो आगे दिक्कत होगा। ये (इशान) खेलता भी अच्छा था। इसका नाम सभी कोच लेते थे और उन्होंने ही पापा को कहा कि इशान को खेलने दिजिए। इसके बाद मैंने 10वीं के बाद क्रिकेट छोड़ दिया।’’

इशान ने कहा, ‘‘मम्मी से मुझे हर रोज मार लगती थी। ट्यूशन के समय मुझे किताबें नहीं मिलती थीं। इस पर मम्मी किसी न किसी चीज से मारती थी।’’ इस पर उनकी मम्मी ने कहा, ‘‘मैं बोलती थी कि जब सर आते हैं तभी बुक क्यों नहीं मिलती थी। आधे घंटे इसी को ढूंढने में लगा दोगे तो पढ़ोगे कब?’’ इशान के भाई राज किशन ने आगे कहा, ‘‘कभी-कभी लगातार पढ़ते रहता था तो हमें शक होता था। जाकर देखते थे तो कॉपी के पीछे फील्ड का डायग्राम बना रहता था। कॉपी पर फील्ड सेट करता था।’’