जब से केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने का फैसला किया है, तब से पाकिस्तान की सरकार और वहां की जनता भारत के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने का कोई भी मौका छोड़ नहीं रही है। फिर चाहें वे वहां के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद हुसैन चौधरी हों, मलाला यूसुफजई हों या फिर क्रिकेटर शाहिद अफरीदी। शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) आर्टिकल 370 को लेकर पहले भी भारत के खिलाफ आग उगल चुके हैं। अब उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी को निशाना बनाया है।

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में वे यह दावा करते दिख रहे हैं कि आईपीएल फ्रेंचाइजियों की धमकियों के कारण श्रीलंका के बड़े खिलाड़ियों ने पाकिस्तान का दौरा करने से इन्कार किया है। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी का दावा है कि पाकिस्तान जाने पर श्रीलंका के खिलाड़ियों को आईपीएल में नहीं खिलाए जाने की धमकी दी मिलती है।

बता दें कि श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने गुरुवार यानी 19 सितंबर 2019 को स्पष्ट किया कि खिलाड़ियों पर आतंकी हमले की आशंका के बावजूद उनकी टीम 6 मैचों की सीरीज के लिए पाकिस्तान का दौरा करेगी। श्रीलंका क्रिकेट के सचिव मोहन डिसिल्वा ने कहा, ‘हमें रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिल गई है। दौरा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगा। मैं स्वयं और हमारे पदाधिकारी भी टीम के साथ जाएंगे।’

उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह की रिपोर्ट में संभावित आतंकी हमले की आशंका जताई गई थी। इसकी जांच के लिए रक्षा मंत्रालय को कहा गया था। श्रीलंकाई टीम पर मार्च 2009 के दौरे के दौरान लाहौर में आतंकी हमला हुआ था। उसमें 6 खिलाड़ी घायल हो गए थे। छह पाकिस्तानी पुलिसकर्मी और दो नागरिकों की इस हमले में मौत हो गई थी। उस हमले के बाद अधिकतर अंतरराष्ट्रीय टीमें पाकिस्तान का दौरा नहीं कर रही थीं। इस सीरीज में श्रीलंका के भी शीर्ष 10 खिलाड़ियों ने हमले की आशंका से दौरे से हटने का फैसला किया है। श्रीलंका इस दौरे में 27 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच तीन वनडे खेलेगा।

शाहिद से पहले फवाद हुसैन चौधरी ने भी दावा किया था कि भारत के दबाव के कारण श्रीलंका के टीम के बड़े खिलाड़ी पाकिस्तान नहीं आ रहे हैं। हालांकि, श्रीलंका के खेल मंत्री हरिन फर्नाोंडो ने ऐसी किसी बात से इन्कार किया था। मलाला यूसुफजई ने 14 सितंबर को ट्वीट में लिखा था, ‘पिछले सप्ताह मैंने ऐसे लोगों से बात करते हुए अपना समय बिताया, जो कश्मीर में पत्रकारों, मानवाधिकार वकील और छात्र के रूप में रह रहे हैं या वहां काम कर रहे हैं।’ अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ‘मैं सीधे उन लड़कियों को सुनना चाहती थी जो कश्मीर में रहती हैं। बहुत मेहनत और बहुत से लोगों की मदद के बाद जैसे तैसे उन लोगों की कहानियां मुझ तक पहुंची हैं, क्योंकि वहां संचार व्यवस्था पूरी तरह बंद है। कश्मीर पूरी दुनिया से कटा हुआ है और वहां की आवाज किसी को नहीं सुनाई दे रही है।’