कोरोनावायरस के कारण दुनिया की सबसे महंगा घरेलू टी20 टूर्नामेंट यानी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) अपने तय समय से शुरू नहीं हो पाएगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने 15 अप्रैल तक इस टाल दिया है। हालांकि, फैंस को अभी उम्मीद है कि यह टूर्नामेंट रद्द नहीं होगा। ऐसी भी खबरें आईं हैं कि बीसीसीआई टूर्नामेंट को थोड़ा छोटा कर सकता है।
बीसीसीआई टूर्नामेंट की आठ फ्रैंचाइजी टीमों को दो ग्रुप में बांटकर सीधे सेमीफाइनल मैच करा सकता है। इससे मैचों की संख्या कम हो जाएगी। हालांकि, इस लीग के सबसे बड़े आकर्षणों में विदेशी खिलाड़ी भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल तक विदेशी खिलाड़ियों के वीजा निलंबित कर दिए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि विदेशी खिलाड़ियों के नहीं खेलने के कारण फैंस के लिए क्या टूर्नामेंट पहले जैसा रोचक रहेगा। इस बात पर आयोजक भी मंथन कर रहे हैं। हालांकि, एक ताजा रिपोर्ट सामने आने के बाद उनकी पेशानियों पर और बल पड़ गए होंगे।
वैश्विक परामर्श कंपनी डफ एंड फेल्प्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के कारण आईपीएल के बाजार मूल्यांकन में करीब 1 अरब डॉलर (करीब 7500 करोड़ रुपए) की गिरावट आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीएल के 12वें सत्र के दौरान 2019 में उसका बाजार मूल्यांकन 6.8 अरब डॉलर था। यदि बीसीसीआई खाली स्टेडियम में इसके मुकाबले कराता है तो इसमें 20 से 35 करोड़ डॉलर की गिरावट आएगी। यदि पूरा सत्र रद्द हो जाता है तो आईपीएल का मूल्यांकन 70 करोड़ से 100 करोड़ डॉलर तक घट सकता है।
परामर्श एजेंसी ने यह आकलन दो स्थितियों को ध्यान में रखते हुए किया है। पहली स्थिति में मैच के दौरान स्टेडियम में आधी सीटों के भरने और दूसरी स्थिति में स्टेडियम के पूरी तरह से खाली रहने पर या टिकटों की कोई बिक्री नहीं होने से जुड़ी है। अब तक आईपीएल के 13वें सीजन को रद्द करने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
हालांकि, इस तरह के खेल आयोजनों के छोटे या रद्द होने से नुक्सान उठाने वाला भारत इकलौता देश नहीं है। पहले ही दुनिया भर में टोक्यो ओलंपिक खेलों को रोकने की मांग हो रही है। इससे पहले खेल आयोजनों पर इस तरह की रोक द्वितीय विश्व युद्ध के समय लगी थी। उस समय ओलंपिक खेल रद्द हो गए थे।