क्रिकेट हो या जीवन हर इंसान से कुछ फैसले गलत हो जाते हैं। वास्तविक जिंदगी में वह उनके नतीजों को बदल नहीं सकता, लेकिन कभी-कभी सोचता जरूर है कि यदि उसे बदलने का मौका मिले तो वह अपने फलां फैसले को बदलना चाहेगा। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक भी इससे जुदा नहीं हैं। वह बतौर कप्तान लिए गए अपने फैसले को बदलना चाहते हैं।
इंजमाम ने अपने करियर के दौरान 90 वनडे मुकाबलों में अपनी टीम (87 पाकिस्तान और 3 एशिया इलेवन) की अगुआई की। इनमें से उन्होंने 52 में जीत हासिल की, जबकि 34 में शिकस्त का सामना करना पड़ा। चार मुकाबलों का नतीजा नहीं निकला। भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन से ऑनलाइन बातचीत में इंजमाम ने बताया कि यदि उन्हें मौका मिले तो वह आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच में लिए गए अपने फैसले को बदलना चाहेंगे। 22 सितंबर 2004 को पाकिस्तान का वह मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ था। उस मैच में पाकिस्तान को 7 विकेट से हार झेलनी पड़ी थी और उसका फाइनल खेलने का सपना भी टूट गया था।
अश्विन ने इंजमाम से सवाल किया था, बतौर कप्तान मैदान में आपने ऐसा कौन सा फैसला लिया था, जिसे आप बदलना चाहते हैं? इस पर इंजमाम ने कहा, ‘अच्छा, मैंने जो फैसले लिए। यार मैंने तो बहुत सारे गलत फैसले लिए हैं। किस-किस को मैं बदलूंगा।’ इस पर अश्विन ने हंसते हुए कहा, ‘नहीं, एक पकड़कर बोलिए।’ इंजमाम ने कहा, ‘मैंने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में एक फैसला लिया था। तब मैंने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुन ली थी। तो यदि मुझे मौका मिले तो मैं उसे बदलना चाहूंगा। यदि मुझे दोबारा मौका मिला तो मैं पहले बॉलिंग करना चाहूंगा।’
इंजमाम ने बताया, ‘वह मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ था, रोज बाउल स्टेडियम (अब साउथैम्प्टन) में। हमारी टीम मीटिंग हुई। हमने मीटिंग में फैसला लिया कि अगर हम टॉस जीते तो हम गेंदबाजी चुनेंगे। सब तय हो गया। मैं टॉस के लिए नीचे जा रहा था। तो वहीं बॉब वूल्मर और अजहरुद्दीन मिले। बॉब वूल्मर ने वहां कोचिंग बहुत कर रखी थी। अजहर वहां बहुत काउंटी खेलता था। अजहर ने मेरे से कहा कि रोज बाउल में यह नहीं हुआ कि किसी टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 100 रन भी बना लिए हों तो बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम 100 रन भी नहीं बना पाई है।’
इंजमाम ने बताया, ‘इसलिए जब मैं आगे बढ़ा तो मैंने सोचा कि अगर मैं टॉस जीतूंगा तो बल्लेबाजी चुनूंगा। दरअसल, मैं अगर-मगर में झूल रहा था। इसलिए जैसे ही हम टॉस जीते तो मैंने कहा कि वी बैट फर्स्ट (हम पहले बल्लेबाजी करेंगे)। ब्रायन लारा ने मेरी तरफ देखा। उसके देखने से ही मुझे अहसास हो गया कि ओफ हो मुझसे गलती हो गई है। हालांकि, 65 रन पर हमारा कोई विकेट नहीं गिरा था। लेकिन वह विकेट इतनी मुश्किल थी कि हम 130 पर ऑलआउट हो गए। उस टाइम मुझे ऐसा लगा रहा था कि मेरी टीम का कंबीनेशन ऐसा है कि हम आईसीसी ट्रॉफी जीत सकते थे। मुझे लगता है कि मेरे एक फैसले की वजह से हम वह नहीं जीत पाए।’