भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने रविवार को टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचते हुए 49 साल बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई है। भारतीय हॉकी टीम ने इससे पहले 1972 ओलंपिक में सेमीफाइनल खेला था और 1980 में भारत ने स्वर्ण पदक भी जीता था। 1972 के बाद 2021 में भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंची है और पदक से बस एक जीत दूर है। भारत ने क्वार्टरफाइनल मुकाबले में ब्रिटेन को 3-1 से हराकर अंतिम-4 में अपना स्थान पक्का किया है।

भारत की इस जीत के हीरो रहे गोलकीपर पी श्रीजेश जिन्होंने एक के बाद एक पेनल्टी कॉर्नर बचाकर ब्रिटेने को गोल करने से रोका। विश्व रैंकिंग में तीसरे नंबर पर चल रही भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल का प्रदर्शन किया है। पूल स्टेज में अगर ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मुकाबले को हटा दिया जाए तो भारत ने बाकी सभी मुकाबले जीतकर ग्रुप में दूसरा पायदान सुनिश्चित किया था।

हालांकि 1980 में भारतीय टीम ने आखिरी गोल्ड जीता था और इस ओलंपिक में भारतीय टीम ने छह टीमों के पूल में दूसरे स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनाई थी।

आज के मुकाबले में भारत की तरफ से गुरजंत और दिलप्रीत सिंह ने एक-एक गोल करके हाफ टाइम तक भारत को 2-0 की बढ़त दिला थी। इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने तीसरे क्वार्टर में शानदार खेल दिखाया। इसके बाद आखिरी क्वार्टर में आखिरी क्षणों में हार्दिक सिंह ने गोल करके भारत को 3-1 की विजयी बढ़त दिला दी।


गौरतब है कि ओलंपिक के इतिहास में भारतीय हॉकी टीम का नाम अभी भी सुनहरे अक्षरों में लिखा है। 1980 तक भारतीय हॉकी की दुनिया में तूती बोलती थी। लेकिन 1972 के बाद से भारतीय टीम कभी भी सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाई थी। अब 49 साल बाद भारतीय टीम ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को एक बार दोबारा वापस पाया है।

इस जीत के बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम से पदक की उम्मीदें बढ़ गई हैं। सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला चौथे क्वार्टरफाइनल की विजेता बेल्जियम से होगा। हालांकि बेल्जियम को हराना भारत के लिए आसान नहीं होगा। टॉप टीम बेल्जियम कई बार भारत को पहले मात भी दे चुकी है लेकिन जिस फॉर्म में भारत खेल रहा है कुछ भी असंभव नहीं है। अब देखना होगा सेमीफाइनल में क्या भारत बेल्जियम से पार पा पाएगी या फिर पदक के लिए हमें ब्रॉन्ज मेडल मैच का इंतजार करना होगा।