इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच के लिए टीम इंडिया में केएल राहुल का रिप्लेसमेंट बनकर आए देवदत्त पडिक्कल पहली बार टेस्ट टीम में चुने गए हैं। 2021 में भारत के लिए टी20 डेब्यू कर चुके पडिक्कल 2 साल गायब से रहे। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में पडिक्कल ने बताया है कि 2022 उनके जीवन का अब तक का सबसे बुरा साल रहा क्योंकि उस साल वह बीमारी की वजह से टूट गए थे।
2022 में बीमारी ने तोड़ दिया था- पडिक्कल
पडिक्कल ने बताया है कि 2022 में उन्हें आंतों की कुछ समस्या हो गई थी। उस बीमारी ने उनके करियर को चौपट करने की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था। उस बीमारी की वजह से ही वह उस साल विजय हजारे ट्रॉफी नहीं खेल पाए थे। इसके अलावा रणजी ट्रॉफी के भी मैच उन्होंने मिस किए थे। टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल वह नहीं खेल पाए थे। पडिक्कल ने बताया कि बीमारी ने उन्हें मानसिक और शारिरिक रूप से कमजोर कर दिया था।
10 किलो वजन हो गया था कम
पडिक्कल ने आगे बताया कि बीमारी से वापसी करना बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बीमारी के समय मेरा 10 किलो वजन कम हो गया था। शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो चुका था और मेरे लिए सबसे ज्यादा चैलेंजिंग फिजिकली फिट होना ही था। पडिक्कल ने आगे कहा कि मुझे अपनी डाइट सही करनी थी और मांसपेशियों की ताकत वापस हासिल करनी थी। मैं कोई भी मैच छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि कड़ी प्रतिस्पर्धा में खुद को बनाए रखने के लिए खेलना बहुत जरूरी था।
टेस्ट कॉल पर क्या बोले पडिक्कल?
टेस्ट कॉल पर बात करते हुए पडिक्कल ने कहा कि मैं इस कॉल अप से काफी खुश हूं मैंने हमेशा ही टेस्ट खेलने का सपना देखा था और अब वह सपना पूरा होने की कगार पर है। मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने जो भी कड़ी मेहनत की है उसका फल मिला है। पडिक्कल ने इस दौरान अपने परिवार और अपने शुभचिंतकों का आभार प्रकट किया।