देवेंद्र पांडे। 16 साल की उम्र में मोहम्मद अमान अनाथ हो गए थे। उनपर तीन छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी आ गई थी। उनकी मां सायबा का 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान मौत हो गई थी। उनके पिता मेहताब एक ट्रक ड्राइवर थे। उन्होंने अपनी नौकरी खो दी थी और दो साल बाद लंबी बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई। अमान के पास दो विकल्प थे – या तो क्रिकेट खेलना जारी रखें या अपने सपने को भूलकर नौकरियों की तलाश करें।

अमान ने हार नहीं मानी और पहला रास्ता चुना। 18 साल की उम्र में उन्हें इसका फल मिला। उनको शनिवार को भारत की अंडर-19 वनडे क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया, जो अगले महीने पुडुचेरी में ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 से भिड़ेगी। टीम में पूर्व भारतीय कप्तान और वर्ल्ड कप विजेता कोच राहुल द्रविड़ के बेटे समित द्रविड़ शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों को याद करते हुए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी अमन को यकीन नहीं होता कि उन्होंने उन “काले दिनों” को गुजार दिए।

क्रिकेट छोड़ने का मन में विचार आया

अमान ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जब मैंने अपने पिता को खोया, तो ऐसा लगा जैसे मैं एक ही दिन में अचानक बड़ा हो गया। मैं परिवार का मुखिया बन गया था। मुझे अपनी छोटी बहन और दो भाइयों की देखभाल करनी थी। मैंने खुद से कहा कि मुझे क्रिकेट छोड़ देना चाहिए और मैंने सहारनपुर में नौकरी भी तलाशी,लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि, कुछ लोग चाहते थे कि मैं अपना खेल जारी रखूं और मदद करने को तैयार थे।”

क्या आप कभी भूखे सोए हैं?

अपने करियर के अबतक के सबसे बड़े दिन अमन को उन कठिनाई वाले दिन याद आ गए, जिसकी वजह से वह एक मजबूत व्यक्ति और शानदार खिलाड़ी बन गए। इंटरव्यू के दौरान अमान बोलते-बोलते रुक गईं और कहा, “क्या आप कभी भूखे सोए हैं? मैं सोया हूं। भूख से बड़ा कुछ नहीं। मैं अब कभी भी अपना खाना बर्बाद नहीं करता क्योंकि मुझे पता है कि इसे कमाना कितना मुश्किल है।”

ट्रेन से जनरल डिब्बे में टॉयलेट के पास बैठता था

अमान ने आगे बताया,” कानपुर में यूपीसीए (उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन) के एज ग्रुप के ट्रायल होते थे, मैं ट्रेन से जनरल डिब्बे में यात्रा करता था, टॉयलेट के पास बैठता था क्योंकि बहुत भीड़ होती थी। अब, जब मैं फ्लाइट से यात्रा करता हूं और किसी अच्छे होटल में ठहरता हूं, तो मैं बस भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं।”

घर की मरम्मत के लिए बचाते थे अमान

अमान उन दिनों को याद करते हैं जब वह भूखे पेट सोते थे। क्रिकेट दौरों के दौरान मिलने वाले दैनिक भत्ते से अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। पिछले अंडर-19 सत्र के दौरान कमाए गए हर पैसे को अपने घर की मरम्मत के लिए बचाते थे। लेकिन वह खुद को खुशकिस्मत समझते हैं कि वह अपने सपने को पूरा कर पाए। अपने कोच राजीव गोयल जैसे कुछ शुभचिंतकों की मदद के लिए आभार जताते हुए कहते हैं, “मैं उन सभी पलों को संजोकर रखता हूं। मैं यह नहीं बता सकता कि वह समय कितना कठिन था।”

नौकरी की तलाश में कोच के पास पहुंचे थे

गोयल याद करते हुए बताते हैं कि कैसे अमान हताश होकर अपने परिवार की मदद के लिए नौकरी की तलाश में उनके पास पहुंचे। गोयल कहते हैं, “उन्होंने मुझसे कहा कि कोई कपड़े की दुकान पर नौकरी लगा दो, घर में पैसे नहीं हैं। मैंने उन्हे अपनी एकेडमी में आने और युवा खिलाड़ियों को कोचिंग देने के लिए कहा। मैंने जो भी कर सकता था, किया। इसलिए, वह रोजाना आठ घंटे मैदान पर रहते थे। यह उनकी कड़ी मेहनत है, जिसका उन्हें फल मिला है।”

दक्षिण अफ्रीका में अंडर-19 विश्व कप के लिए स्टैंड-बाय थे

अमान ने कहा, ” मेरी अंतरात्मा ने मुझे कहा कि हार मत मानो। मैंने खुद से कहा कि कोशिश करते रहो और अंधेरा जल्द ही खत्म हो जाएगा। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। अगर मुझे अपने परिवार का पेट पालना है, तो क्रिकेट ही एकमात्र ऐसी चीज है, जो मैं जानता हूं।” उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर जल्द ही अपना नाम बनाया। पिछले सीजन में, अमन ने वीनू मांकड़ ट्रॉफी में यूपी अंडर-19 टीम के लिए आठ पारियों में 363 रन बनाए, जिसमें चार अर्धशतक शामिल थे। वह अंडर-19 चैलेंजर सीरीज में 98 की औसत से 294 रन बनाकर दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी थे। इस साल की शुरुआत में, वह दक्षिण अफ्रीका में अंडर-19 विश्व कप के लिए स्टैंड-बाय थे।