भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में वेस्टइंडीज ने लड़ाई दिखाई है तो इसका सबसे बड़ा कारण ओपनर जॉन कैंपबेल की बल्लेबाजी है। कैंपबेल को शाई होप से बढ़िया साथ मिला है। दोनों ने दिल्ली टेस्ट के तीसरे दिन बेहतरीन संघर्ष दिखाया और आखिरी सत्र में वेस्टइंडीज को झटका नहीं लगने दिया। इसके कारण मैच चौथे दिन तक खींच गया। 32 साल के बाएं हाथ के इस बल्लेबाज को कड़ी मेहनत का फल चौथे दिन सोमवार (13 अक्टूबर) को मिला।

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कैंपबेल ने करियर का पहला शतक जड़कर अपना 6 साल का और वेस्टइंडीज के 23 साल का इंतजार को खत्म किया। भारत में 2002 के बाद पहली बार वेस्टइंडीज के किसी बल्लेबाज ने शतक जड़ा। 2002 में वावेल हिंड्स ने ईडन गार्डन में शतक जड़ा था। 19 साल बाद वेस्टइंडीज के किसी खिलाड़ी ने भारत के खिलाफ शतक जड़ा। इससे पहले डारेन गंगा ने बस्सेटेरे में 135 रन की पारी खेली थी। इसके अलावा वह मार्च 2023 के बाद वेस्टइंडीज के लिए शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बने।

कैंपबेल का करियर

2019 में डेब्यू कर चुके कैंपबेल ने इस टेस्ट मैच से पहले 24 मैच की 48 पारियों में 24.19 के औसत से 1016 रन बनाए थे। उन्होंने केवल 3 अर्धशतक जड़े थे। 68 उनका सर्वोच्च स्कोर था। कैंपबेल की 2025 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज के दौरान 3 साल बाद वेस्टइंडीज की टीम में वापसी हुई थी। सीरीज में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। भारत दौरे पर पहली तीन पारियों में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन चौथी पारी में उन्होंने मेजबानों का डटकर सामना किया।

पहली पारी में कैंपबेल रहे थे दुर्भाग्यशाली

दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में जॉन कैंपबेल बड़े ही दुर्भाग्यशाली तरीके से आउट हुए थे। उन्होंने रविंद्र जडेजा को स्वीप शॉट खेला था। शॉर्ट लेग पर मौजूद साई सुदर्शन ने उनका कैच लपका था और चोटिल हो गए थे। गेंद इतनी तेज थी कि साई को बचने का मौका नहीं मिला और गेंद उनके हेलमेट से टकराने के बाद हाथ में फंस गई। हाथ में लगी चोट के कारण साई तीसरे दिन फील्डिंग नहीं कर पाए थे। कैंपबेल ने पहली पारी में 10 रन बनाए थे।