तनिष्क वड्डी। भारत के खिलाफ धर्मशाला टेस्ट में गुरुवार को जॉनी बेयरस्टो इंग्लैंड के लिए 100 टेस्ट खेलने वाले 17वें खिलाड़ी बन गए। हालांकि, उनका रिकॉर्ड इस मुकाम तक पहुंचने वाले कुछ अन्य दिग्गजों जितना शानदार नहीं है, लेकिन 34 वर्षीय इस खिलाड़ी की जीवन में कई बाधाओं को पार करने की कहानी उल्लेखनीय है। इसके बारे में उनकी आत्मकथा अ क्लियर ब्लू स्काई में जिक्र है। इसमें न केवल उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बारे में बताया गया है, बल्कि उनकी कैंसर से पीड़ित मां जेनेट की दृढ़ इच्छाशक्ति और कोच ब्रेंडन मैकुलम के समर्थन का भी जिक्र है, जिसने बेयरस्टो के टेस्ट करियर को दूसरा मौका दिया।

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जॉनी के पिता डेविड खुद एक टेस्ट क्रिकेटर थे। उन्होंने 1998 में अवसाद (Depression) के कारण आत्महत्या कर ली थी। हालांकि, इसने जॉनी को अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने और खेल में उनकी उपलब्धियों से आगे निकलनेसे नहीं रोका। बेयरस्टो की आत्मकथा के सह-लेखक डंकन हैमिल्टन ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ” किसी बच्चे का अपने प्रसिद्ध क्रिकेटर पिता के बिना बड़ा होना हमेशा कठिन होता है। खासकर तब जब वह अपने पिता के पदचिन्हों पर चलता है, क्योंकि हर कोई उनकी तुलना करता है।” बेयरस्टो जूनियर को खेल में अपना नाम बनाने से पहले अवसाद और बाधाओं से जूझना पड़ा।

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पिता के निधन के बाद मां की भूमिका

बेयरस्टो पर उनकी मां जेनेट का गहरा प्रभाव रहा है। कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की प्रैक्टिस कभी नहीं छूटने दी। हैमिल्टन बताते हैं, “जब उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां कैंसर का इलाज करा रही थीं तो उन्होंने फुटबॉल, रग्बी और क्रिकेट के अभ्यास के लिए इतनी ड्राइविंग की कि उनकी कार शायद एक रॉकेट के चंद्रमा पर जाने और वापस आने उतनी मील चली। वह हमेशा उनके लिए मौजूद रहीं। उन्होंने अपना जीवन अपने बच्चों के लिए समर्पित कर दिया।”

मां को दो बार हुआ कैंसर

द टेलीग्राफ के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू में बेयरस्टो ने खुलासा किया कि उनकी मां को दो बार कैंसर हुआ था और उन्होंने उन्हें “मजबूत महिला” बताया। जब बेयरस्टो अपना 100वां टेस्ट खेलने उतरेंगे तो उनका परिवार मैदान पर मौजूद होगा। खिलाड़ी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीर के कैप्शन में लिखा, “वे मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं, अब यह कहने की जरूरत नहीं है।”

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टीम मैन

इतना लंबा करियर होने के बावजूद बेयरस्टो की इंग्लैंड की टेस्ट टीम में कभी भी कोई निश्चित भूमिका नहीं रही। उनकी बैटिंग पोजिशन बदलती रह है और वह विकेटकीपिंग करेंगे या नहीं यह भी कभी निश्चित नहीं हुआ। बेयरस्टो अनिश्चितता के बावजूद ग्लववर्क पर काम करना जारी रखते हैं। हैमिल्टन ने कहा, ” सर्दियों के महीनों के दौरान जब हेडिंग्ले में आउटफील्ड पर बर्फ होती थी, तो वह विकेटकीपिंग का अभ्यास करते थे। केवल कार्यालय के कुछ लोग और ग्राउंड्समैन देखते थे। वह खुद को मानसिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से परखते थे, ताकि वह अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा से पार पा सके। “

बैजबॉल के पोस्टर ब्वॉय

बेयरस्टो को बैजबॉल अप्रोच का पोस्टर ब्वॉय माना जाता है। 2022 के गर्मियों में उन्होंने बेधड़क क्रिकेट खेलना शुरू किया। टेस्ट की अंतिम पारी में इंग्लैंड को बड़े लक्ष्य हासिल करने में मदद की। ये ऐसे गुण हैं जो दर्शाते हैं कि वह एक बहुमुखी खिलाड़ी हैं और टीम के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।