संदीप द्विवेदी। भारत-इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर टेस्ट से पहले नेट सेशन के बाद टीम बस की ओर जाते हुए रविंद्र जडेजा ने अपनी कनपटी पर तर्जनी उंगली से इशारा किया। इंग्लैंड में उनके शानदार रन बनाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देने का यह उनका तरीका था। रविवार को चौथे टेस्ट में उनका मैच बचाने वाला शतक पिछले दो टेस्ट मैचों में लगातार चार अर्धशतकों के बाद आया। क्या वह कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं या अपने खेल में कुछ नए स्ट्रोक जोड़े हैं? इसे लेकर उन्होंने कहा, “नहीं… इंग्लैंड में गेंद छोड़नी पड़ती है।”

13 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर वाले जडेजा वर्षों के धैर्य का फल भोग रहे हैं। वह एक ऐसे क्रिकेटर के लिए जिनका कोई पीआर नहीं है, कोई बैक करने वाला नहीं है, कोई गॉडफादर या यहां तक कि कोई मार्गदर्शक भी नहीं है। जडेजा का करियर फिर भी लंबा रहा है। उनकी बेहतरीन फिटनेस, मेहनत और वापसी करने की क्षमता ने उन्हें खेल के पोस्टर बॉय और ब्रांड एंबेसडर से भी आगे रखा है।

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भारतीय टीम से हमेशा के लिए होने वाले थे बाहर

जडेजा को दरकिनार कर दिया गया और कमतर भी आंका गया। कुछ महीने पहले तो ऐसा लग रहा था कि उन्हें हमेशा के लिए सभी भारतीय टीमों से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन इस ऑलराउंडर ने न तो शोर मचाया, न ही कोई कहानी गढ़वाई और न ही अपनी नाराजगी सार्वजनिक की। जडेजा की दुनिया उनका क्रिकेट, परिवार और वह फार्म हाउस है, जहां वह अपने पसंदीदा घोड़ों को पालते और उनकी सवारी करते हैं।

रोहित-विराट को साथ विदा हो जाते जडेजा

द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार जानकार बताते हैं कि इस साल की शुरुआत में, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में हार के बाद जडेजा को गोल्डन हैंडशेक दिया जाना था। रोहित शर्मा और विराट कोहली के साथ उन्हें विनम्रता से यह बताने की योजना बनाई गई थी कि उनके दिन अब लद गए हैं। पहले के टीम प्रबंधन से इनपुट ठीक नहीं मिला था। पता चला है कि मौजूदा कोचिंग स्टाफ के हस्तक्षेप से ही जडेजा को एक और मौका मिला।

चैंपियंस ट्रॉफी टीम में नाम अंत में शामिल हुआ

बीजीटी के बाद, जब आईसीसी के 50 ओवरों के टूर्नामेंट के लिए टीम चुनी गई, तो उनका नाम चैंपियंस ट्रॉफी की टीम में नहीं था। मौजूदा टीम प्रबंधन के साथ चर्चा के बाद, जडेजा को अनिच्छा से मंजूरी मिली। चैंपियंस ट्रॉफी टीम में उनका नाम सबसे आखिर में शामिल किया गया। जैसा कि जडेजा के करियर में अक्सर होता आया है, उन्हें बस मौका चाहिए था। जब भी करियर पर बात आती है, जडेजा बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं।

गैरी सोबर्स जैसे प्रदर्शन

चैंपियंस ट्रॉफी में गेंद से जबरदस्त प्रदर्शन के बाद इंग्लैंड में उन्होंने गैरी सोबर्स की तरह प्रदर्शन किया। केवल इस महान वेस्टइंडीज खिलाड़ी के नाम इंग्लैंड में नंबर 6 या उससे नीचे बल्लेबाजी करते हुए टेस्ट सीरीज में 50 से ज्यादा के 5 स्कोर हैं। अब 36 साल की उम्र में जडेजा फिलहाल टीम के अभिन्न सदस्य हैं।

भारतीय क्रिकेट की चुपचाप सेवा

लॉर्ड्स में करीबी हार के बाद जडेजा की भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने प्रशंसा की। कप्तान ने कहा, “वह भारत के सबसे मूल्यवान खिलाड़ियों में से एक हैं। उनका अनुभव गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फील्डिंग कौशल बहुत दुर्लभ है… उन्होंने जिस तरह का संयम दिखाया वह अद्भुत है…।” इस अनोखे क्रिकेटर के लिए ऐसे शब्दों का बहुत इस्तेमाल नहीं किया गया है, जिन्होंने वर्षों से भारतीय क्रिकेट की चुपचाप सेवा की है।

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जडेजा ने अद्भुत प्रदर्शन किया

2009 में विराट कोहली को अंडर-19 विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले ऑलराउंडर से लेकर 2025 में ओल्ड ट्रैफर्ड में बेहतरीन ड्रॉ कराने तक जडेजा ने अद्भुत प्रदर्शन किया है। इस बीच, 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट, टेस्ट मैचों में कई बार प्लेयर ऑफ द सीरीज और छक्का और चौका लगाकर आईपीएल जीतना शामिल है। लेकिन फिर भी उन्हें स्टार के तौर पर पेश नहीं किया गया। किसी न किसी तरह, पिछले कुछ वर्षों में जडेजा को प्रशंसकों या जिन टीमों के लिए उन्होंने खेला, उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया।

आप चाहें तो मुझे बापू कह सकते हैं

पहले की टीमों में, वह कप्तान का दोस्त थे। एक बार कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में, विराट कोहली से पूछा गया था – “कौन सबसे ज्यादा झूठ बोलता है?”। जवाब था जडेजा। धोनी ने एक बार अपने ट्वीट में उन्हें ‘सर जडेजा’ कहा था और इस पर लाखों मजोदार मीम्स बने और उन्हें एक ऐसी उपाधि मिली जिससे वह नफरत करते हैं। उन्होंने एक बार कहा था, “मुझे सर कहलाना पसंद नहीं है। अगर आप चाहें तो मुझे बापू कह सकते हैं, मुझे यही पसंद है। यह सर-वर मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।”

जडेजा 2.0

इन दिनों ड्रेसिंग रूम में जडेजा को सर जैसा सम्मान मिल रहा है। एमएस धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम के विपरीत, जडेजा 2.0 टीम के सीनियर खिलाड़ी हैं। वह उन गिने-चुने खिलाड़ियों में से हैं, जो कोच गंभीर के साथ लंबी चर्चा करते नजर आते हैं। शुभमन की टीम में, जडेजा का प्रभाव ड्रेसिंग रूम में है।

साथी खिलाड़ी के छाए में रह गए

इंग्लैंड दौरे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जडेजा से पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी कप्तान बनने की ख्वाहिश रखी थी। वे हंसते हुए बोले, “वो जमाना चला गया, मैं 13 साल से क्रिकेट खेल रहा हूं।” अजीब बात है कि वह अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी अपने साथी खिलाड़ी के छाए में रह गए हैं। एक ऑलराउंडर के तौर पर जडेजा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक पारी में 300 से ज्यादा रन बनाते,लेकिन उनकी घरेलू टीम सौराष्ट्र के मुख्य रन बनाने वाले खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा होते है। वे धोनी के भरोसेमंद खिलाड़ी होते,लेकिन सुरेश रैना को अहमियत कहा जाता।

नहीं मिली प्रशंसा

जडेजा सालों तक भारत के मुख्य स्पिनर रहे,लेकिन रविचंद्रन अश्विन के छाए में रह गए। जडेजा के आंकड़े कपिल देव,इयान बॉथम,बिशन सिंह बेदी से बेहतर थे, लेकिन उन्हें वैसी प्रशंसा नहीं मिली। इंग्लैंड दौरे पर गई भारतीय टीम में स्टार प्लेयर्स की कमी है इसीलिए जडेजा पर से पर्दा हट गया है।

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स्वार्थी क्रिकेटर

पिछले कुछ वर्षों में जडेजा को स्वार्थी क्रिकेटर बताया जाता रहा। कहा जाता था कि वह टीम में अपनी जगह सुरक्षित रखने के लिए बल्लेबाजी करते हैं। कहा जाता है कि कड़े मुकाबलों में जडेजा पुछल्ले बल्लेबाजों को गेंदबाजी के सामने एक्सपोज कर देते है और खुद नाबाद रहते है।इंग्लैंड दौरे पर जडेजा ने इसे गलत साबित किया। लॉर्ड्स में उन्होंने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ बल्लेबाजी करते हुए भारत को एक असंभव जीत के करीब पहुंचाया। ओल्ड ट्रैफर्ड में उन्होंने अपनी छवि निखारी। यह एक ऐसी पारी थी, जिसने एक तरह से जडेजा को परिभाषित किया।

अनोखी आक्रामकता

पारी की शुरुआत में ही जो रूट ने स्लिप में उनका कैच छोड़ दिया। जडेजा शायद ही दूसरा मौका गंवाते हैं। इस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए, जडेजा ने वाशिंगटन को सलाह दिया और उनकी बात भी सुनी। उनके अंदर एक अनोखी आक्रामकता है। इस वह तभी दिखाते है जब केवल वह अपने बल्ले को तलवार की भांजते हैं।

वीरगाथा सुनते हुए बड़े हुए

जामनगर के ज्यादातर बच्चों की तरह जडेजा भी वीरगाथा सुनते हुए बड़े हुए हैं। वह अक्सर अपने सोशल मीडिया पर 12वीं सदी के सोरथ चुडासमा राजा रा खेंगर का जिक्र करते हैं। सौराष्ट्र के लोक गायक आज भी लोक दायरोज (लोक सभाओं) में उनकी बहादुरी के किस्से सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

बेपरवाह जडेजा

जडेजा को पता है कि कब भिड़ना है। इसलिए जब बेन स्टोक्स और उनके साथियों ने स्लेजिंग की तो वे बेपरवाह रहे। इन वह पहले भी ऐसी परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं। 2014 के दौरे पर जेम्स एंडरसन ने उन पर हमला बोला था और लॉर्ड्स में उनकी हूटिंग हुई थी। लेकिन इससे उन्हें बल्ले से चमकने और तलवार चलाने से नहीं रोका जा सका। स्टोक्स नहीं चाहते थे कि जडेजा और उनके साथी वाशिंगटन अपना शतक पूरा करें। इससे जडेजा का पारा नहीं चढ़ा। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि यह उनके कप्तान का फैसला है। वह गेंद छोड़ते रहे, लेकिन बीच-बीच में शॉट भी लगाते रहे।