भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में खेले गए चौथे टेस्ट मैच का अंत हाई वोल्टेज ड्रामे के साथ हुआ। आखिरी दिन रविवार (28 जुलाई) को इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने भारतीय बल्लेबाजों रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर के ड्रॉ के प्रस्ताव को ठुकराने पर अपनी नाराजगी जताई। जडेजा और सुंदर ने पांचवें विकेट के लिए 202 रनों की अटूट साझेदारी करके इंग्लैंड की जीत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
स्टोक्स ने जब ड्रॉ का प्रस्ताव दिया तब जडेजा और सुंदर शतक के करीब थे। प्रस्ताव अस्वीकार करने पर स्टोक्स ने निशाना साधते हुए जडेजा से पूछा, “क्या आप हैरी ब्रूक के खिलाफ टेस्ट शतक लगाना चाहते हैं?” स्टोक्स के अनिवार्य आखिरी घंटे में पार्ट-टाइम गेंदबाज हैरी ब्रूक और जो रूट को गेंदबाजी कराने पर भारत के पूर्व स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने निशाना साधा।
अंडरआर्म बॉलिंग करानी चाहिए थी
अश्विन ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि स्टोक्स को अंडरआर्म बॉलिंग करानी चाहिए थी। गेंदबाज ठक गए थे तो स्टीव हार्मिसन और एंड्रयू फ्लिंटॉफ से गेंदबाजी करानी चाहिए थी। अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल ऐश की बात पर कहा, ” मैं वाकई निराश हूं। उन्हें (बेन स्टोक्स) अपने गेंदबाजों से ग्रेग चैपल की तरह अंडरआर्म गेंदबाजी करने को कहना चाहिए था। यह अच्छा लगता। कृपया क्रिकेट की भावना या खेल भावना की बात न करें। यह हास्यास्पद है।”
मैं कप्तान होता तो पूरे 15 ओवर खेलता
अश्विन ने कहा, “नियम क्या है? अगर दोनों कप्तानों को लगता है कि खेल किसी नतीजे की ओर नहीं जा सकता, तो वे ड्रॉ पर सहमत हो सकते हैं। एक कप्तान मैच को ड्रॉ पर ही खत्म करना चाहता था। क्यों? पहला, वह अपने गेंदबाजों को थकाना नहीं चाहता था। दूसरा, ‘मैं निराश हूं तो आपको भी खुश नहीं होना चाहिए।’ दूसरी बात नियमों में नहीं है। पहली बात के अनुसार, भारत सही था। अगर मैं कप्तान होता तो पूरे 15 ओवर खेलता।”
दोहरा मापदंड
स्टोक्स ने अपने मुख्य गेंदबाजों को थकान और चोट से बचाने का हवाला दिया, लेकिन इस घटना पर पूरे क्रिकेट जगत से प्रतिक्रियाएं आईं। इनमें भारतीय कोच गौतम गंभीर भी शामिल थे, जिन्होंने भारत के बल्लेबाजी के अधिकार का बचाव किया। अंतिम घंटे की शुरुआत में, जडेजा 89 और सुंदर 80 रन पर थे। दोनों ने शतक पूरे किए। सुंदर का पहला टेस्ट शतक और जडेजा का पांचवां था। अश्विन ने स्टोक्स के व्यवहार को “दोहरा मापदंड” बताया।
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हार्मिसन को लाओ, फ्लिंटॉफ को लाओ
अश्विन ने कहा, “दोहरे मापदंड। आज आखिरी दस मिनट में इसकी बानगी दिखी। आप निराश हैं कि आप जीत नहीं सकते, इसलिए आप अपने खिलाड़ियों से लड़ते हैं, गेंद पटकते हैं, कुछ भी करते हैं। लेकिन हाथ मिलाकर आप कह रहे हैं, ‘मैं निराश हूं, इसलिए आप भी शतक नहीं बना पाएंगे। आप भी रोएं।’ यह कैसे सही है? वह सुबह से ही आर्चर, होगार्ड, गॉफ, फ्लिंटॉफ के खिलाफ जूझ रहा है। क्या उसे अपना शतक छोड़ देना चाहिए? आपका सवाल था, ‘क्या आप हैरी ब्रूक के खिलाफ शतक चाहते हैं?’ नहीं, वह शतक चाहता है। स्टीव हार्मिसन को लाओ, फ्लिंटॉफ को लाओ! वे मना नहीं करेंगे। आप हैरी ब्रूक को गेंदबाजी कर रहे हैं।यह आपकी गलती है, हमारी नहीं।”
भारतीय खिलाड़ियों को किया स्लेज
स्टोक्स ने जडेजा के साथ बहस की, जबकि इंग्लैंड के ओपनर बल्लेबाज जैक क्रॉली और बेन डकेट ने भी भारतीय जोड़ी को स्लेजिंग की। क्रॉली को सुंदर से कहते सुना गया, “वाशी, इससे आगे बढ़ो।” जोफ्रा आर्चर ने आगे कहा, “अगर तुम शतक लगाना चाहते थे, तो तुम्हें पहले ही ऐसी बल्लेबाजी करनी चाहिए थी।” सुंदर ने अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा, लेकिन पांच ओवर बाद दोनों टीमें ड्रॉ पर सहमत हो गईं।
ड्रॉ नहीं, बल्कि भारत की जीत है
अश्विन ने क्रॉली की टिप्पणियों का मजाक उड़ाते हुए इस नतीजे को “भारत की जीत” बताया। उन्होंने कहा, “जैक क्रॉली ने उनसे कहा, ‘अगर तुम्हें शतक चाहिए था, तो तुम्हें तेज बल्लेबाजी करनी चाहिए थी।’ यह उनकी पसंद है। तुम तेज रन चाहते हो और 70 पर आउट हो जाते हो? यह तुम्हारा खेल है। जैक क्रॉली या बेन स्टोक्स, अगर तुम बल्लेबाजी कर रहे होते, तो क्या तुम ‘खेल भावना’ के लिए अपना शतक छोड़ देते? मुझे हंसी आ रही है। यह पागलपन है। इसलिए मैं कहता हूं कि यह ड्रॉ नहीं, बल्कि भारत की जीत है।”