भारत-इंग्लैंड मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ रहा, लेकिन मैच का अंत ड्रामे के साथ हुआ। 5वें दिन आखिरी 1 घंटा बचा था। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स अंपायर के पास गए और कहा कि वह ड्रॉ का प्रस्ताव देने और टेस्ट एक घंटा पहले खत्म करने के लिए तैयार हैं। नियमों के अनुसार अगर दोनों टीमें इस बात पर सहमत होती हैं कि अंतिम घंटे में नतीजा निकालना संभव नहीं है, तो ड्रॉ घोषित हो सकता है।

भारत के केवल चार विकेट गिरे थे और उसने 75 रनों की बढ़त ले ली थी। स्टोक्स का मानना था कि इंग्लैंड के पास अब नतीजा निकालने का कोई मौका नहीं है, लेकिन शतक के करीब रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने स्टोक्स के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। स्टोक्स इससे नाखुश दिखे। उन्होंने जडेजा से कहा, “जड्डू क्या आप ब्रूक और डकेट के खिलाफ शतक बनना चाहते है?”

स्टोक्स नैतिकता का पाठ पढ़ाने लगे

बेन स्टोक्स मैच के बाद भारतीय टीम को नैतिकता का पाठ पढ़ाने लगे। उनके हिसाब से माइलस्टोन मायने नहीं रखता फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने अच्छी बल्लेबाजी। वह 10-15 रन बनाते या न बनाते उनकी पारी उतनी ही महत्वपूर्ण होती। माइलस्टोन को महत्वहीन बताने से पहले बेन स्टोक्स को आईना देखना चाहिए। इस बात पर मंथन करना चाहिए कि कहीं उनके शतक की वजह से तो इंग्लैंड हाथ मलते नहीं रह गया?

स्टोक्स से शतक की जरूरत थी या विकेट की?

भारतीय टीम पर पारी से हार का खतरा मंडरा रहा था। इंग्लैंड ने पहली पारी में 669 रन बनाए और 311 रन की बढ़त के साथ पारी घोषित की। भारत को लगभग 5 सेशन बल्लेबाजी करके मैच बचाना था। इसमें कोई शक नहीं है कि शुभमन गिल, केएल राहुल, रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने बेहतरीन बल्लेबाजी की। उन्हें इस मैच को ड्रॉ करना का पूरा श्रेय मिलना चाहिए, लेकिन इंग्लैंड को यह सोचना चाहिए कि उसे स्टोक्स से शतक की जरूरत थी या विकेट की?

बेन स्टोक्स ने वर्कलोड मैनेजमेंट की परवाह नहीं की

बेन स्टोक्स ने वर्कलोड मैनेजमेंट की परवाह किए बगैर खूब मेहनत की है। वह इस सीरीज में इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे हैं। वह जब बल्लेबाजी कर रहे थे तब उन्हें क्रैम्प आ रहा था। वह काफी दिक्कत में थे। इसके कारण वह तीसरे दिन 66 रन बनाकर रिटायर हर्ट हुए। इंग्लैंड के पास 133 रन की बढ़त थी। तब 116 ओवर का खेल हुआ था। वह क्रिस वोक्स के आउट होने के बाद क्रीज पर उतरे। इंग्लैंड के पास 170 रन की बढ़त थी।

इंग्लैंड के बेस्ट गेंदबाज ने नहीं की गेंदबाजी

स्टोक्स ने 198 गेंद पर 141 रन की पारी खेली। उन्होंने 2 साल बाद शतक जड़ा। वह इंग्लैंड के लिए 1 ही टेस्ट में 5 विकेट लेने और शतक लगाने वाले पहले कप्तान बने। इंग्लैंड के कप्तान का नाम इतिहास में दर्ज हुआ, लेकिन उसकी कीमत गेंदबाजी न करके चुकाई। भारतीय टीम ने दूसरी पारी में पहले ही ओवर में 2 विकेट गंवा दिए। इसके बाद केएल राहुल और शुभमन गिल ने पूरे दिन बल्लेबाजी की। 63 ओवर के खेल में इंग्लैंड के बेस्ट गेंदबाज ने ओवर नहीं डाला।

क्या स्टोक्स को गेंदबाजी के बारे में नहीं सोचना चाहिए था?

बेन स्टोक्स ने दूसरे दिन 1 स्पेल में गेंदबाजी की। उन्होंने लगातार 8 ओवर फेंके और केएल राहुल का विकेट लिया। शुभमन गिल का भी विकेट लंच से पहले ही मिल गया, लेकिन इसके बाद वाशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा को भारत को ड्रॉ तक पहुंचाने में बहुत दिक्कत नहीं। पुरानी गेंद से इंग्लैंड को स्टोक्स ने विकेट दिलाई है। ऐसे में क्या उन्हें फिटनेस से जूझते हुए बल्लेबाजी को प्राथमिकता देनी चाहिए थी?

गेंदबाजी के लिए फिट नहीं रहना चाहिए था?

क्या बेन स्टोक्स को माइलस्टोन को त्याग करके गेंदबाजी के लिए खुद को फिट नहीं रखना चाहिए था? स्टोक्स बैटिंग के लिए न आते तो इंग्लैंड को 311 रन की बढ़त नहीं मिलती। 200 रन की ही बढ़त मिलती, लेकिन उसके पास 2 दिन का खेल बचने के बाद भारत को दूसरी पारी में आउट करने का मौका होता। वैसे भी इंग्लैंड तो चौथी पारी में बड़े से बड़ा स्कोर चेज करने का दंभ भरता है।