विराट कोहली और रोहित शर्मा ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट में निराशाजनक प्रदर्शन किया। विराट कोहली ने दोनों पारियों में क्रमशः 6 और 17 रन बनाए, जबकि रोहित ने अपनी 2 पारियों में 6 और 5 रन बनाए। पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने पहले टेस्ट में विफल होने के बाद बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) पर दोनों के साथ ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ देने का आरोप लगाया है।
बता दें कि विराट कोहली और रोहित शर्मा को बांग्लादेश सीरीज से पहले शुरू हुई दलीप ट्रॉफी के लिए आराम दिया गया था। संजय मांजरेकर ने दोहराया कि घरेलू टूर्नामेंट में शामिल होने से उनका (विराट कोहली और रोहित शर्मा का) प्रदर्शन बेहतर हो सकता था, क्योंकि उन्हें लाल गेंद से खेलने का पर्याप्त समय मिलता।
दलीप ट्रॉफी में चुनने का विकल्प था: संजय मांजरेकर
संजय मांजरेकर ने ईएसपीएनक्रिकइंफो पर कहा, ‘मैं चिंतित नहीं हूं, लेकिन मुझे यकीन है कि किसी ने इस तथ्य पर ध्यान दिया होगा कि अगर वे लाल गेंद वाली क्रिकेट खेलते तो बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। उन्हें दलीप ट्रॉफी में चुनने का विकल्प था, इसलिए कुछ खिलाड़ियों के साथ अलग व्यवहार (स्पेशल ट्रीटमेंट) करने के बारे में सावधान रहना चाहिए और भारतीय क्रिकेट और खिलाड़ियों के लिए सर्वोत्तम कार्य करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘विराट कोहली और रोहित शर्मा का (दलीप ट्रॉफी) नहीं खेलना भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं था, न ही ये दोनों खिलाड़ियों के लिए अच्छा था। अगर वे दलीप ट्रॉफी में खेलते और लाल गेंद वाले क्रिकेट में कुछ समय बिताते, तो चीजें अलग होतीं।’
भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ पहला टेस्ट 280 रन के शानदार अंतर से जीता। भारत बनाम बांग्लादेश टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच 27 सितंबर से कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में खेला जाना है। संजय मांजरेकर ने कहा कि रोहित और विराट वापसी करेंगे और अगले मैच में रन बनाएंगे। उन्होंने बोर्ड की ओर से दोनों को दिए जाने वाले ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ की कमियों का भी उल्लेख किया।
‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ मिलने वाले लोगों का ही नुकसान होगा: मांजरेकर
संजय मांजरेकर ने कहा, ‘…लेकिन उनके पास श्रृंखला में बाद में वापसी करने के लिए क्लास और अनुभव है। मुझे नहीं लगता कि वे इस कारण से फॉर्म में नहीं हैं। लेकिन एक बात जिस पर सभी को ध्यान देना चाहिए और जो लंबे समय से भारतीय क्रिकेट के साथ एक समस्या रही है, वह यह है कि कुछ खिलाड़ियों को उनकी स्थिति के कारण ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ दिया जाता है, जो अंततः किसी और की तुलना में उस खिलाड़ी को अधिक नुकसान पहुंचाता है।’