भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) मीरपुर के शेर-ए-बांग्ला राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में प्रवर्तन अभियान चलाने के लिए बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) मुख्यालय पहुंचा। सहायक निदेशक अल अमीन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसीसी टीम ने विशिष्ट शिकायतों के बाद अभियान शुरू किया। विभिन्न विभागों में डेढ़ घंटे के निरीक्षण के बाद, अल अमीन ने मीडिया को संबोधित किया। जिसमें पुष्टि की गई कि आयोग 3अलग-अलग आरोपों की जांच कर रहा है।
यह कार्रवाई ऐसे समय अमल में लाई गई है, जब कुछ देर पहले बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने भारत के खिलाफ टी20 इंटरनेशनल और वनडे सीरीज का शेड्यूल का ऐलान किया। एसीसी मुख्यालय से प्राप्त पत्र के हवाले से क्रिकबज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘यह अभियान बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के तहत विभिन्न क्रिकेट लीगों की चयन प्रक्रिया में अनियमित वित्तीय लाभ और अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण चलाया गया।’
अल अमीन ने दो अन्य आरोपों का भी खुलासा किया। ये दोनों आरोप हैं:- बांग्लादेश प्रीमियर लीग (बीपीएल) से टिकट बिक्री राजस्व में विसंगतियां और मुजीब शताब्दी समारोह के दौरान धन का गबन। लगभग एक दशक में पहली बार, थर्ड डिवीजन क्वालिफाइंग लीग फिर आयोजित हो रही है। 2014-15 सत्र में प्रवेश शुल्क 75,000 टका से बढ़ाकर 5 लाख टका किये जाने के बाद लीग में हिस्सा लेने वाली टीमों की संख्या में भारी कमी देखी गई थी।
इस वर्ष, शुल्क घटाकर 1 लाख टका कर दिया गया। कई शर्तों में भी ढील दी गई। इसके नतीजन 60 टीमों ने हिस्सा लिया। एसीसी (ACC) इस बात की जांच कर रहा है कि प्रवेश शुल्क में पिछली बढ़ोतरी तथा टीम की हिस्सेदारी में कमी व्यक्तियों या BCB के भीतर निर्णयों से प्रभावित थी या नहीं।
अल अमीन ने कहा, ‘इस वर्ष, 60 टीमें हिस्सा ले रही हैं, जबकि पहले केवल 2-4 टीमें ही हिस्सा लेती थीं। यह पिछले संस्करणों में संभावित प्रतिबंधों या दबाव की ओर इशारा करता है। हमने यह जांचने के लिए दस्तावेज एकत्र किए हैं कि क्या किसी व्यक्ति या बोर्ड की ओर से कोई अनुचित प्रभाव डाला गया था।’
बीपीएल टिकट राजस्व के मामले में अल अमीन ने अनियमितताओं की ओर इशारा किया। बीसीबी अध्यक्ष और बीपीएल गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन ने कहा था कि नवीनतम संस्करण में टिकट बिक्री से 13.25 करोड़ टका की कमाई हुई थी, जो पिछले दस संस्करणों के कुल 15 करोड़ टका से थोड़ा ही कम है।
अल अमीन ने बताया, ‘अतीत में, टिकट तीसरे पक्ष के अनुबंधों के जरिये बेचे जाते थे। उसमें बीसीबी को हिस्सा मिलता था। पिछले 3 से 4 सीजन में बीसीबी सीधे टिकट बेच रहा है। राजस्व में यह अचानक वृद्धि, एक वर्ष में 13 करोड़ 25 लाख टका, जबकि आठ वर्षों में 15 करोड़ टका सवाल खड़े करती है। हमने रिकॉर्ड एकत्र किये हैं और विसंगतियों के लिए जांच करेंगे।’ सीजन 2020-21 में मुजीब शताब्दी समारोह भी जांच के दायरे में है।
एसीसी के एक अन्य सहायक निदेशक महमूदुल हसन ने आगे के निष्कर्षों का विवरण दिया। उन्होंने कहा, ‘कार्यक्रमों (इसमें संगीत कार्यक्रम भी शामिल) के लिए कुल 25 करोड़ टका खर्च दिखाया गया, लेकिव वास्तविक खर्च 7 करोड़ टका के करीब ही था। करीब 19 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप हैं।’
उन्होंने बताया, ‘हमें यह भी पता चला है कि टिकट बिक्री से प्राप्त 2 करोड़ टका की कही एंट्री नहीं हुई। छापे के दौरान मौजूद रहे बीसीबी के मुख्य कार्यकारी निजामुद्दीन चौधरी ने पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘सभी संबंधित विभागों को एसीसी को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गए हैं। हम अधिकतम सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं। चूंकि जांच जारी है, इसलिए इस स्तर पर आगे कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।’