ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में पहले वनडे में भारतीय टीम खेलने उतरी तो एक बार फिर कुलदीप यादव को न खिलाना बहस का मुद्द रहा। फॉर्मेट बदल जाता है, लेकिन एशिया के बाहर यह सवाल बना रहता है। इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट सीरीज में कुलदीप यादव पांचों मैच में बेंच पर बैठे रहे। बल्लेबाजी में गहराई के लिए शुभमन गिल की अगुआई वाली टीम में उन्हें मौका नहीं मिला। नितीश कुमार रेड्डी और वाशिंगटन सुंंदर जैसे खिलाड़ियों को तरजीह दी गई, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में भी जारी रहा।

ऑस्ट्रेलिया में क्यों नहीं मिल रहा कुलदीप यादव को मौका?

गौतम गंभीर की अगुआई वाली भारतीय टीम मैनेजमेंट की निगाहें 2027 विश्व कप पर हैं। साउथ अफ्रीका में उछाल और सीम मूवमेंट ऑस्ट्रेलिया जैसी ही होगी। अजीब बात यह है कि कुलदीप के दोनों देशों में आंकड़ों में जमीन-आसमान का फर्क है। साउथ अफ्रीका में उन्होंने आठ मैचों में 15.94 के औसत से 18 विकेट लिए हैं। ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने तीन मैचों में 59 की औसत से केवल तीन विकेट लिए हैं। हालांकि, कुलदीप जैसे स्पिनर को आंकने के लिए ये सैंपल साइज काफी छोटा है।

नितीश रेड्डी को क्यों मिल रहा मौका

नितीश कुमार रेड्डी और कुलदीप यादव की कोई तुलना नहीं है। दोनों की शैली काफी अलग है, लेकिन 2027 वर्ल्ड कप को ध्यान रखते हुए भारतीय टीम मैनजेमेंट और चयनकर्ताओं को लगता है कि नितीश की भूमिका काफी अहम होगी। भारत के पास हार्दिक पंड्या जैसा प्रीमियम ऑलराउंडर है, लेकिन उन्होंने 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल के बाद से वनडे में कभी भी 10 ओवर का कोटा पूरा नहीं किया है।

पंड्या नहीं करते 10 ओवर

2023 वर्ल्ड कप में पंड्या बीच टूर्नामेंट में बाहर हो गए थे और भारत को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। कप्तान शुभमन गिल ने हाल ही में कहा था कि उनका मानना ​​है कि नितीश से विदेशी परिस्थितियों में सिर्फ गेंदबाजी करने की उम्मीद करना बेमानी है। वह चाहते हैं कि उन्हें इस भूमिका के लिए तैयार किया जाए ताकि दो साल में विश्व कप आने तक उनके पास पर्याप्त अनुभव हो।

अक्षर पटेल पर सवाल नहीं

लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में अक्षर पटेल की जगह पर तो कोई सवाल ही नहीं है। अक्षर को रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी पर वरीयता मिली है। सीमित ओवरों में अक्षर को ऐसे खिलाड़ी के रूप में देखा जाता है जो भारत को मुश्किल परिस्थिति से उबार सके। बाएं हाथ के बल्लेबाज होने के नाते वह गंभीर के पसंदीदा बाएं-दाएं सिद्धांत के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसका इस्तेमाल वह बल्लेबाजी क्रम में करते हैं। इसके कारण अक्षर पांचवें और केएल राहुल छठे नंबर पर उतर रहे हैं। यह एक साहसिक फैसला है। अक्षर की बल्लेबाजी में सुधार के कई संकेत दिख रहे हैं। गेंद से वह पहले ही अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं और उनकी फील्डिंग भी शानदार है।

वाशिंगटन सुंदर को क्यों मिल रहा मौका

वाशिंगटन सुंदर को मौका मिल रहा है क्योंकि भारत के शीर्ष चार में से कोई भी खिलाड़ी गेंदबाजी नहीं कर सकता। नीचे तेज गेंदबाज बल्ले से उपयोगी नहीं हैं। यही कारण है कि भारतीय टीम का थिंकटैंक एक अधिक आक्रामक कलाई के स्पिनर की बजाय वाशिंगटन को मौका देता है। उसका मानना ​​है कि बल्लेबाजी की गहराई से समझौता नहीं किया जा सकता। गंभीर का मानना ​​है कि टी20 मैच बल्ले से जीते जाते हैं और गेंदबाज केवल सहायक भूमिका तक सीमित रह जाते हैं। गंभीर वनडे और टेस्ट में भी यही योजना अपना रहे हैं। इससे कुलदीप जैसे खिलाड़ी को बाहर बैठना पड़ता है, लेकिन वाशिंगटन के प्रदर्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। गेंद से वह पहले पावरप्ले और बीच के ओवरों में भी गेंदबाजी करने की क्षमता रखते हैं और नियंत्रण भी प्रदान कर सकते हैं। बल्लेबाजी में वाशिंगटन को निश्चित रूप पावर-हिटिंग और फिनिशिंग पर काम करना है। उन्होंने टेस्ट मैचों में दिखाया है कि वह ऐसा कर सकते हैं, लेकिन आईपीएल में बहुत मौका न मिलने से लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में उनमें यह काबिलियत विकसित नहीं हो पाई है।