टीम राष्ट्रीय हो या क्लब की, दोनों फुटबालरों ने अपनी अद्भुत कलाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। इन दोनों खिलाड़ियों की श्रेष्ठता और महानता को लेकर बहस भी चलती रही है। पर दुर्भाग्य देखिए कि शो केस में हर ट्राफी होने के बावजूद आज इन दोनों सितारों के मन में भी टीस है।
यह टीस है कि उनके रहते उनकी टीमें अब तक विश्व कप नहीं जीत सकीं दोनों अपनी उम्र के उस पड़ाव पर हैं जिसने इस विश्व कप को उनके लिए अहम बना दिया है। दोनों का संभवत: यह आखिरी विश्व कप होगा और सपना साकार करने का अंतिम मौका भी। रोनाल्डो 37 बरस के हैं और मेस्सी 35 के। अब यौवन वाले दमखम का दौर गुजर चुका है। अब बारी है अनुभव को भुनाने की। फीफा कप जीतने की दावेदार टीमों में भले ही ब्राजील, इंग्लैंड और फ्रांस की टीमें ऊपर हों, पर कुछ टीमें ऐसी होती हैं जो खिलाड़ी विशेष के चमत्कार पर निर्भर रहती हैं। ऐसी टीमों में अर्जेंटीना और पुर्तगाल को रखा जा सकता है।
मेस्सी और रोनाल्डो दोनों सकारात्मक रुख के साथ आए हैं और इस आस के साथ कि उनका सपना इस बार साकार होगा। पिछले साल कोपा अमेरिका कप में ब्राजील को फतह कर 28 साल बाद बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतने से अर्जेंटीना की साख बढ़ी थी और आत्मविश्वास भी। इस विश्व कप में अभियान की शुरुआत के लिए सामने थी भी आसान टीम। सऊदी अरब, जो फीफा रैंकिंग में 51वें नंबर पर है और इस विश्व कप की दूसरी सबसे कम रैंकिंग की टीम थी, से मुकाबला था।
पिछले 35 मैचों में अजेय रहने का कीर्तिमान भी अर्जेंटीना के साथ था। यह टीम में विश्वास पैदा करने के लिए काफी था। पेनल्टी ने मेस्सी के गोल से बढ़त भी मिल गई पर थोड़े अंतराल के बीच मिले दो झटकों ने अर्जेंटीना को हतप्रभ कर दिया। बराबरी हो नहीं पाई, टीम के खेल में वैसी लय भी नहीं दिखाई दी जिसके लिए जानी जाती है। यह हार महंगी पड़ सकती है और मेस्सी की टीम को अगर दर्दनाक विदाई से बचना है तो अगले दो ग्रुप मैचों को जीतकर अपने को क्वालीफाई दौड़ में रखना होगा।
अर्जेंटीना ने 36 साल पहले अपनी दूसरी विश्व कप सफलता पाई थी। उस चमत्कारिक सफलता के हीरो थे डिएगो माराडोना। अविश्वसनीय और अद्भुत खेल का नजारा पेश किया था माराडोना ने। वैसी ही कुछ उम्मीद लियोनेल मेस्सी से भी लगाई जा रही थी, जब 2006 में उन्होंने पहली बार इस बड़े मंच पर कदम रखे। लेकिन उनकी छकाने की कला, पांव की कलाकारी, लाजवाब पासिंग और निशानेबाजी कला का वैसा रंग नहीं जम पाया जैसा माराडोना ने जमाया था।
वैसे इस विश्वकप में उनकी प्रतिभा का सही इस्तेमाल भी नहीं हो पाया। सबसे सुनहरा मौका 2014 में आया लेकिन जर्मनी से टीम पार नहीं पा सकी और अतिरिक्त समय में गोल खाने से सपना बिखर गया था। 2018 के विश्व कप में क्रोशिया ने उनको शिकस्त दी। दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम के नाते किसी तरह अर्जेंटीना को क्वालीफाई करने का मौका मिल गया। लेकिन चुनौती अंतिम 16 से आगे नहीं जा सकी। हो सकता है कि 2018 वाली कहानी इस बार भी उनके आगे बढ़ने में सहायक बने। पर पहले मैच में हार ने अर्जेंटीना के प्रशंसकों को मायूस कर दिया है और अब चमत्कार से ही कुछ हो सकता है।
आत्मविश्वास पुर्तगाल के जादूगर क्रिस्टियानो रोनाल्डो का भी चरम पर है। उनको भरोसा है कि उनकी टीम में आगे तक जाने और खिताब जीतने की क्षमता है। न तो रोनाल्डो के पास विश्व कप ट्राफी है और न पुर्तगाल कभी चैंपियन बना है। रोनाल्डो के पास भी सपना पूरा करने का यह आखिरी मौका है। इस विश्व कप से पहले रोनाल्डो कुछ विवादों में फंसे थे पर इससे बेपरवाह यह सितारा फारवर्ड अपना कमाल दिखाने के लिए तैयार है।
रोनाल्डो पुर्तगाल टीम की धुरी है। गेंद के साथ तेजी से बढ़ते हुए वे जिस अंदाज में विपक्षी खिलाड़ियों को छकाते हैं, वह निराला है। निशानेबाजी कला में भी उनका जवाब नहीं। वे आधे मौके को भी भुनाने का माद्दा रखते हैं। अगर टीम के साथ उनका तालमेल बैठ गया तो उनके गजब के प्रदर्शन और सफलता की गारंटी है। अपने देश के लिए वे बेशकीमती रहे हैं। 191 मैचों में 119 गोल उनके प्रभावशाली स्ट्राइकर का प्रमाण है।
हालांकि मैनचेस्टर यूनाइटेड के साथ उनका सीजन बहुत अच्छा नहीं गया। लेकिन विश्व कप अलग है और देश की तरफ से खेलने की प्रेरणा उनके खेल की चमक को और बढ़ा देती है।पूल में घाना, दक्षिण कोरिया और उरुग्वे जैसी टीमें हैं। ऐसे में चुनौती को आगे ले जाने के लिए रोनाल्डो को करिश्माई खेल दिखाना होगा।