भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा से इंडियन एक्सप्रेस के Idea Exchange में तुषार भादुड़ी ने सवाल किया कि विश्व कप फाइनल के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस जब घर लौटे तो एयरपोर्ट से घर तक उनका स्वागत करने वाला कोई नहीं था। ट्रैक और फील्ड में भी अमेरिका, चीन, ग्रेट ब्रिटेन जैसे जिन देशों में बहुत सारे पदक विजेता हैं, वहां कोई बड़ा प्रचार या जश्न नहीं होता। क्या आपको लगता है कि भारत में हम जीत और हार को बहुत गंभीरता से लेते हैं और इस पर तीखी प्रतिक्रिया होती है?

भारत में खेल को बहुत गंभीरता से लिया जाता है- नीरज

इस सवाल के जवाब में नीरज चोपड़ा ने कहा कि भारत में खेल को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। जहां बात भारत की होती है तो हर खेल में हम हार-जीत को बहुत गंभीरता से ले लेते हैं। नीरज से इस दौरान पूछा गया कि अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों में बहुत सारे मेडल जीतने के बाद भी कोई खास प्रचार या जश्न नहीं होता, लेकिन भारत में हम इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं।

खेल को देखने के लिए काम से भी दूर रहते हैं- नीरज

नीरज चोपड़ा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि हमें बहुत बड़ी आबाद की समर्थन मिलता है, जब हम अच्छा करते हैं तो अच्छा सपोर्ट मिलता है और जब खराब करते हैं तो आलोचना भी होती है। ऑस्ट्रेलिया का यह छठा विश्व कप था। मुझे यकीन नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया में लोग खेल देखने के लिए काम से दूर रहते हैं या नहीं। हमारे देश में अच्छी बात यह है कि हमारे लोग भारतीय एथलीटों को देखकर बहुत खुश होते हैं और देखने के लिए काम से दूर भी रहते हैं।

‘लोगों का सपोर्ट कभी-कभी ले जाता है दबाव की ओर’

नीरज चोपड़ा ने आगे कहा कि भारतीय एक-दूसरे से बहुत जुड़े हुए हैं और यह देखकर अच्छा लगता है। हालांकि कभी-कभी लोगों का यह समर्थन दबाव की ओर ले जाता है। उदाहरण के लिए, मान लें कि अमेरिका ने ओलंपिक में 50 स्वर्ण पदक जीते हैं। ऐसे में फोकस किसी एक खास एथलीट पर नहीं होता। नीरज ने आगे कहा कि एशियन गेम्स की तरह अगर ओलंपिक में भी इतने मेडल आने लगे तो भारतीय एथलीट पर से दबाव कम हो जाएगा।