भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश का करियर 20 साल से भी ज्यादा हो गया है। इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज में उन्होंने अपने करियर, भारतीय हॉकी के बदलते परिदृश्य समेत कई बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ किया कि पेनल्टी शूटआउट के समय वह सिर्फ 8 सेकंड के बारे में ही सोचते हैं।
सवाल: हम क्रिकेट में कहते थे कि अगर मैच अंतिम ओवर्स तक जाता है तो धोनी हैं। आपके साथ भी ऐसा ही है। अगर मैच टाई-ब्रेकर में जाता है तो प्रशंसकों को विश्वास रहता है कि श्रीजेश वहां हैं। प्रतिष्ठा बनाना और उम्मीदों का बोझ उठाना कितना मुश्किल है?
जवाब: मैं इसका भरपूर आनंद उठाता हूं। मैं कभी भी भविष्य और नतीजे के बारे में नहीं सोचता। मैं इस बारे में सोचता हूं कि मैं क्या बेहतर कर सकता हूं। मैं दबाव नहीं लेता। मैं केवल इस बारे में सोचता हूं कि मैं उस विशेष स्थिति में उन 8 सेकंड में (पेनल्टी शूटआउट के दौरान) क्या कर सकता हूं।
सवाल: जब आप एक स्ट्राइकर का सामना कर रहे होते हैं, तो आपके पास पोस्ट पर वह आत्मविश्वास होता है। यह स्ट्राइकर के मानस पर प्रभाव डालता है। क्या वह सचेत है? उस छवि का निर्माण करना कितना अहम है ताकि एक-पर-एक स्थिति में आप बढ़त में हों?
जवाब: शूटआउट में मानसिक स्थिति ही एकमात्र चीज होती है। गोलकीपर और स्ट्राइकर के पास सिर्फ 8 सेकंड हैं। इसलिए यह मुश्किल है, आप यह नहीं दिखा सकते कि आप अति आत्मविश्वासी हैं या आप डरते हैं। आपकी भावनाएं तटस्थ होनी चाहिए। जब मैं पेनल्टी शूटआउट की तैयारी करता हूं तो मैं प्रतिद्वंद्वी को देखता हूं। उसकी (स्ट्राइकर की) विशेषता को देखता हूं। मैं चीजों को सिर्फ अपने तक ही सीमित रखता हूं। मैं अपने आप से कहता हूं, यह आपके और उन 8 सेकंड के बारे में है, न कि वह खिलाड़ी।
सवाल: ड्रैग-फ्लिक से ठीक पहले सेकंड में गोलकीपर के दिमाग में क्या चलता है? आप कैसे सोचते हैं और आप इसे कैसे देखते हैं? क्या इसमें कोई प्रॉसेस शामिल है?
जवाब: यदि आप सोचेंगे तो खतरे में पड़ जाएंगे, इसलिए मत सोचो। आपने अपना बुनियादी होमवर्क कर लिया है और जानते हैं कि कौन फ्लिक करेगा और वह कहां फ्लिक करेगा। लेकिन आप इसका आकलन नहीं कर सकते। आप इसका अनुमान नहीं लगा सकते, क्योंकि एक बार जब आप अनुमान लगा लेते हैं, तो जोखिम में होते हैं। आजकल इन खिलाड़ियों की ड्रैग-फ्लिक तकनीक इतनी बदल गई है कि ये आपको ऐसे ही हरा सकते हैं। वे आपको अंतिम क्षण में चकमा दे सकते हैं। वे आपका ध्यान भटकाने के लिए अपना हाथ या सिर कहीं रख सकते हैं, इसलिए गोलकीपर के लिए गेंद को देखना और शांत रहने की कोशिश करना महत्वपूर्ण है।