अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने मंगलवार को कई बड़े फैसले लिए। पहला फैसला पुरुष क्रिकेट को लेकर था वहीं दूसरा फैसला महिला खिलाड़ियों के हक को सुरक्षित करने को लेकर किया गया। आईसीसी ने मंगलवार को उन क्रिकेटरों को अंतरराष्ट्रीय महिलाओं के खेल में प्रतिस्पर्धा करने से रोक दिया जो ‘मेल प्यूबर्टी’ (पुरुषों में किशोरावस्था में होने वाला शारीरिक/लैंगिक बदलाव) हासिल कर चुके हैं। इसमें सर्जरी या लिंग परिवर्तन के मामले भी शामिल हैं।

आईसीसी ने कहा कि पुरुष एकदिवसीय और टी20 अंतरराष्ट्रीय में अगर गेंदबाज अगला ओवर फेंकने के लिए 60 सेकेंड से अधिक समय लेता है तो पारी में तीसरी बार ऐसा करने पर गेंदबाजी टीम पर पांच रन की पेनल्टी लगाई जाएगी।

आईसीसी करेगा स्टॉप क्लॉक का इस्तेमाल

इस नियम का इस्तेमाल शुरुआत में ट्रायल के तौर पर होगा। आईसीसी के बोर्ड की हुई बैठक में यह फैसला किया गया। आईसीसी ने बयान में कहा, ‘‘मुख्य कार्यकारियों की समिति इस बात पर सहमत हुई के पुरुष एकदिवसीय और टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दिसंबर 2023 से अप्रैल 2024 तक ट्रायल के आधार पर ‘स्टॉप क्लॉक’ का इस्तेमाल किया जाएगा। इस घड़ी का इस्तेमाल ओवरों के बीच में लगने वाले समय पर नजर रखने के लिए किया जाएगा।’’ बयान के अनुसार, ‘‘अगर गेंदबाजी टीम पिछला ओवर खत्म करने के 60 सेकेंड के भीतर अगला ओवर फेंकने के लिए तैयार नहीं होती है तो पारी में तीसरी बार ऐसा करने पर पांच रन की पेनल्टी लगाई जाएगी।’’

मेल प्यूबर्टी से गुजर चुके खिलाड़ी नहीं होंगे महिला क्रिकेट का हिस्सा

आईसीसी ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट की अखंडता और खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए यह निर्णय ले रहा है। आईसीसी ने यहां जारी बयान में कहा, ‘‘नई नीति निम्नलिखित सिद्धांतों (प्राथमिकता के क्रम में) पर आधारित है। महिलाओं के खेल की अखंडता, सुरक्षा, निष्पक्षता और समावेशन। इसका मतलब है कि कोई भी पुरुष से महिला बनने वाले प्रतिभागी जो किसी भी प्रकार की ‘मेल प्यूबर्टी’ से गुजर चुके हैं वे सर्जरी या लिंग परिवर्तन उपचार के बावजूद अंतरराष्ट्रीय महिला खेल में भाग लेने के पात्र नहीं होंगे।’’

दो साल के अंदर होगी समीक्षा

लिंग पुनर्निर्धारण और उपचार वर्षों से विश्व एथलेटिक्स में बहस का विवादित विषय रहा है। आईसीसी ने अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लिंग पात्रता के नियमों को मजबूत करते हुए घरेलू स्तर पर इस मुद्दे को सदस्य बोर्डों के हाथों में छोड़ दिया। आईसीसी ने कहा, ‘‘ यह फैसला डॉ. पीटर हरकोर्ट की अध्यक्षता वाली आईसीसी चिकित्सा सलाहकार समिति के नेतृत्व में की गई समीक्षा पर आधारित है। यह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लैंगिक पात्रता से संबंधित है। घरेलू स्तर पर लैंगिक पात्रता के मामले में प्रत्येक सदस्य बोर्ड का अपना कानून होगा। इस नियम की दो साल के अंदर समीक्षा की जाएगी।’’

आईसीसी के मुख्य कार्यकारी ज्योफ अलार्डिस ने कहा कि संस्था ‘व्यापक विचार-विमर्श’ के बाद इस निर्णय पर पहुंची है। उन्होंने कहा, ‘‘लिंग पात्रता नियमों में बदलाव एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया के बाद हुआ है। यह विज्ञान पर आधारित होने के साथ समीक्षा के दौरान विकसित किए गए मूल सिद्धांतों के अनुरूप है।’’

पिच को लेकर भी किया गया बड़ा फैसला

आईसीसी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी से पिच को प्रतिबंधित करने की अपनी प्रक्रिया में भी बदलाव किया। आईसीसी ने कहा, ‘‘पिच और आउटफील्ड निगरानी नियमों में बदलाव को भी मंजूरी दी गई जिसमें उन मानदंडों को सरल बनाना शामिल है जिनके आधार पर पिच का मूल्यांकन किया जाता है और आयोजन स्थल का अंतरराष्ट्रीय दर्जा हटाने के लिए अब पांच साल में डिमेरिट अंकों की संख्या को पांच की जगह छह अंक किया जाएगा।’’

महिला अंपायर्स को भी मिलाग पुरुषों के बराबर वेतन

आईसीसी ने समान अधिकारों को लेकर भी बड़ा फैसला किया। अब आईसीसी के सभी अंपायर्स को समान वेतन दिया जाएगा चाहे वह महिला हो या पुरुष। यह साल 2024 से लागू होगा। वहीं यह फैसला भी किया गयाक कि आईसीसी महिला चैंपियनशिप की हर सीरीज में कम से कम एक तटस्थ अंपायर नियुक्त किया जाएगा।

आईसीसी ने श्रीलंकाई क्रिकेटर्स को भी बड़ी खुशखबरी दी। आईसीसी ने बताया कि भले ही श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड सस्पेंड हो लेकिन यह टीम द्विपक्षीय सीरीज खेल सकती है। इसके साथ ही वह आईसीसी के टूर्नामेंट्स में भी हिस्सा ले पाएंगे। श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को मिलने वाली हर तरह की फंडिंग आईसीसी की देखरेख में होगी।

भाषा इनपुट के साथ