इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर एंड्रयू फ्लिंटॉफ 2022 में एक भयानक दुर्घटना का शिकार हो गये थे। उन्होंने डिज्नी+ डॉक्यूमेंट्री पर बात करते हुए कहा कि क्रिकेट खेलने से उन्हें इस भयावह घटना से उबरने में मदद मिली। एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने कहा, ‘आपको यह तय करने के लिए 0.4 सेकंड का समय मिलता है कि गेंद कहां जा रही है, आप कौन सा शॉट खेलने जा रहे हैं, आप अपने पैरों को कैसे हिलाएंगे।’
साल 2022 में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एंड्रयू फ्लिंटॉफ बीबीसी के शो ‘टॉप गियर’ की शूटिंग के दौरान भयंकर दुर्घटना का शिकार हो गये थे। उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन एंड्रयू फ्लिंटॉफ सरे के डन्सफोल्ड पार्क एयरोड्रोम के आसपास खुली छत और 3 पहियों वाली मॉर्गन सुपर 3 को चला रहे थे। वह 124 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही ‘कार’ पर नियंत्रण खो बैठे। मॉर्गन सुपर 3 पलट गई।
एंड्रयू फ्लिंटॉफ को लगा कि अगर उन्होंने अपना सिर एक निश्चित दिशा में घुमाया, तो उनकी गर्दन टूट जाएगी या उनकी मौत हो सकती है, इसलिए उन्होंने मुंह के बल गिरने का फैसला किया। ‘कार’ दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उन्हें एयरलिफ्ट करके अस्पताल ले जाया गया, जहां पता चला कि उनकी पसलियां टूट गईं थीं और चेहरे तथा जबड़े में गंभीर चोटें आईं थीं। उन्हें सर्जरी करानी पड़ी।
एक्सीडेंट के बाद उन्होंने खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर कर लिया था। वह कुछ वर्षों तक लो प्रोफाइल बने रहे। 46 वर्षीय एंड्रयू फ्लिंटॉफ 2019 में सह-प्रस्तुतकर्ता के रूप में शो से जुड़े थे। उन्होंने बताया, ‘जैसे ही आगे बढ़ने लगा, मैंने जमीन की ओर देखा। मुझे पता था कि अगर मुझे साइड से चोट लगी, तो मेरी गर्दन टूट जाएगी। अगर मेरी कनपटी पर चोट लग जाए तो मैं मर जाऊंगा। मेरे लिए सबसे अच्छा मौका है कि मैं मुंह के बल गिर जाऊं। मुझे लगा कि मेरा चेहरा निकल गया है। मैं तो मौत से डर गया था।’
फ्लिंटॉफ ने बताया, ‘दुर्घटना के बाद मुझे नहीं लगा कि मुझमें इससे उबरने की क्षमता है।’ शायद यह उनकी क्रिकेट की पृष्ठभूमि ही थी जिसने उन्हें दुर्घटना के मनोवैज्ञानिक घावों को भरने में मदद की। एंड्रयू फ्लिंटॉफ कहते हैं कि एक खिलाड़ी के रूप में वह न केवल किसी विशेष कौशल का प्रदर्शन करने की कल्पना करने में सक्षम थे, बल्कि ऐसा महसूस करते थे कि वह इसे जी रहे हैं। डॉक्यूमेंट्री में, वह उस अनुभव की तुलना दुर्घटना के बुरे सपने और फ्लैशबैक की तीव्रता से करते हैं, जिसमें उन्हें सब कुछ स्पष्ट रूप से याद है।
इसने उन्हें चिंता से जूझने पर मजबूर किया। इस कारण वह अपने ठीक होने के शुरुआती दौर में महीनों तक घर (डॉक्टरों से अपॉइंटमेंट को छोड़कर) में ही रहे। उन्होंने बताया, ‘यह भयानक लगता है, मेरा एक हिस्सा सोचता कि मुझे मार दिया जाना चाहिए था। मेरा एक हिस्सा सोचता कि काश मैं मर गया होता। मैं खुद को मारना नहीं चाहता था। मैं दोनों बातों को एक ही मानकर नहीं चलूंगा। मैं कामना नहीं कर रहा था, मैं सोच रहा था: यह बहुत आसान होता। अब मैं यह रवैया अपनाने की कोशिश करता हूं कि कल सूरज निकलेगा और मेरे बच्चे मुझे गले लगाएंगे। अब मैं खुद को बेहतर जगह पर महसूस करता हूं।’
एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने 79 टेस्ट और 141 सीमित ओवरों के अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। उन्होंने 2009 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। वह 2005 की एशेज सीरीज के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे। क्रिकेट ने फ्लिंटॉफ को फिर से इस मुकाम तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंग्लैंड लायंस के मुख्य कोच के रूप में अपनी भूमिका में आराम और उद्देश्य पाया है।
लंदन में फिल्म के प्रीमियर के बाद एक प्रश्नोत्तर सत्र में मित्र और पूर्व इंग्लैंड रग्बी खिलाड़ी और अब प्रजेंटेटर मार्टिन बेफील्ड को उन्होंने बताया, ‘मेरे जीवन का सामान्य विषय स्पष्ट रूप से मेरा परिवार है- माता-पिता, भाई, दादा-दादी, राचेल, बच्चे, लेकिन फिर ऐसा लगता है कि लगभग सब कुछ क्रिकेट में लौटता है।’