भारतीय स्प्रिंटर दुती चंद लड़कियों की तरह पढ़ी-बढ़ीं। बचपन से लेकर जवानी तक। हर चीज ठीक वैसे ही की, जैसे और लड़कियां करती थीं। फिर भी कई बार उन्हें लड़का बता दिया गया। वह खुद इस बात से कुछ वक्त तक हैरत में थीं कि उन्होंने पढ़ाई-लिखाई से लेकर बाकी चीजें बिल्कुल लड़कियों की तरह कीं, पर उन्हें लोगों ने लड़का बता दिया।

दुती की यह पीड़ा 21 सितंबर 2019 को बाहर निकल कर आई। दरअसल, नई दिल्ली के साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी वॉक मॉल में शीरोज नाम का प्रोग्राम हुआ था। वह इसी कार्यक्रम में चीफ गेस्ट थीं। ऑडियंस से अपने शुरुआत, संघर्ष और करियर के कठिन दिनों के अनुभव को याद करते हुए उन्होंने ये बातें बताईं।

एथलीट ने बताया कि एक दौर था, जब लोग उन्हें लड़का कहने लगे थे। यह बात 2014 के आसपास की है, जब उन पर बैन लगा था। ‘हाइपर एंड्रोजेनिज्म’ (औरतों में पुरुषों जैसे लक्षण) को लेकर ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स से चंद दिनों पहले उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

हुआ यूं था कि मेडिकल टेस्ट के दौरान उनके शरीर में अधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरोन पाया गया था। हालांकि, उन्होंने इसके खिलाफ याचिका दी थी, जिसमें कैस ने उन्हें राहत देते हुए दोबारा करियर शुरू करने की मंजूरी दी थी।

प्रतिबंध लगने के दौरान जब उन पर लड़का या पुरुष होने के आरोप लगे थे, तब वह सोचती थीं कि उन्होंने हर काम अब तक लड़कियों की तरह किया। फिर आखिर वह कैसे लड़का हो गईं? कुछ वक्त तक वह इस चीज को लेकर परेशान थीं, पर बाद में उन्होंने इन सब चीजों से ध्यान हटाया और करियर-रनिंग की ओर फोकस किया।

बता दें कि कुछ महीनों पूर्व उन्होंने अपने किसी लड़की के साथ प्रेम-संबंध में होने की बात स्वीकारी थी। दुती इसी कबूलनामे के साथ ही देश की पहली ऐसी एथलीट बन गईं, जिन्होंने समलैंगिक होने की बात दुनिया के सामने मानी है। उन्हें कतर के दोहा में 27 सितंबर से छह अक्टूबर तक होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है।