भारतीय ऑलराउंडर अक्षर पटेल ने बीते सालों से टीम इंडिया की अहम जीत का हिस्सा रहे हैं। चाहे फॉर्मेट टी20 हो, वनडे हो या टेस्ट हो, यह खिलाड़ी हर फॉर्मेट में टीम इंडिया के लिए महत्वपूर्व साबित हुआ है। अक्षर पटेल का टीम इंडिया तक का सफर आसान नहीं था। नदियाड से गुजरात और फिर टीम इंडिया तक पहुंचते हुए उनका रोल भी बदल गया। एक समय पर तेज गेंदबाज करने वाला खिलाड़ी स्पिनर बना और फिर अपनी बल्लेबाजी पर काम किया। तब जाकर टीम इंडिया को ऑलराउंडर अक्षर पटेल मिला।
अक्षर पटेल थे पेसर
अक्षर पटेल के बचपन के दोस्तों ने इस खिलाड़ी के तेज गेंदबाज से स्पिनर्स बनने की कहानी बताई। अक्षर के करीबी दोस्त केवल पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अक्षर पटेल शुरुआत में पेसर थे। स्कूल में उन्हें लंबी कद काठी के कारण पेसर के तौर पर खिलाया जाता था। हालांकि उनके पैरों में बहुत जान नहीं थी, इस वजह से वह कई बार गेंद रिलीज करते हुए गिर जाते थे।
जब वह तेज गेंदबाजी करते हुए थक जाते थे, तब वह गेंद को स्पिन करने लग जाते थे। इसी वक्त उन्हें विकेट भी मिलते थे। यही कारण रहा कि उन्होंने तेज गेंदबाजी छोड़कर स्पिनर बनने का फैसला किया।
अक्षर पटेल ऑलराउंडर के तौर पर छा गए और अपने शहर के हीरो बन गए। जब उन्होंने अपना पहला आईपीएल मैच खेला तो नादियाड में उनका जोरदार स्वागत हुआ। रोड शो आयोजित किया गया। बीते साल वह टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे। जब वह भारत लौटे तो उन्हें पता चला कि नादियाड में वैसे ही रोड शो होने वाला है। अक्षर को यह पसंद नहीं था। उन्होंने नादियाड न जाने का फैसला किया।
बहुत इसरार पर वह केवल इस शर्त पर जाने को तैयार हुए कि कोई भव्य कार्यक्रम नहीं होगा। इससे उलट उन्होंने अपने कोच से कहा कि अकेडमी में सभी बच्चों के साथ कार्यक्रम हो। अक्षर पटेल ने बच्चों के साथ समय बिताया। उनसे क्रिकेट और अपने सफर के बारे में बात की।