हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वो अपने देश के लिए खेले, जिसके लिए वो दिन-रात मेहनत भी करता है। मैदान पर जब भी कोई खिलाड़ी अपने देश के लिए उतरता है तो शायद वो उसकी जिंदगी का सबसे यादगार पल होता है। हालांकि कुछ खिलाड़ी इस क्रम में बहुत आगे निकल जाते हैं तो कुछ खिलाड़ियों का सफर कुछ मैच के बाद थम जाता है लेकिन कुछ रोचक और शानदार किस्से उसके नाम जरूर जुड़ जाते हैं। ऐसे ही खिलाड़ी का नाम है रोहन गावस्कर, जिनको क्रिकेट विरासत में मिली थी। आज रोहन गावस्कर अपना 43वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं इस खिलाड़ी के बारे में कुछ ऐसी बातें जो शायद ही आपको पता हों….

विरासत में मिला क्रिकेट का हुनरः खेल एक ऐसा पेशा है जिसमें ये तो संभव है कि वो आपकी विरासत का हिस्सा हो लेकिन मैदान पर आप कितने दिनों तक बने रहेंगे ये हर खिलाड़ी का हुनर ही तय करता है। ऐसा ही हुआ रोहन गावस्कर के साथ भी। उनके पिता सुनील गावस्कर टीम इंडिया के पहले दस हजारी खिलाड़ी थे। इसके साथ ही रोहन, भारत के पूर्व विकेट कीपर बैट्समैन गुंडप्‍पा विश्‍वनाथ के भतीजे भी हैं और भारतीय बल्लेबाज एमके मंत्री उनके अंकल।

रोहन के करियर की शुरुआत 2003/ 04 में ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर हुआ था। उन्होंने अपना पहला वनडे मैच ब्रिसबेन में खेला था, और भारत को इस मैच में जीत हासिल हुई थी। इस मुकाबले में रोहन के खाते में एक विकेट भी आया था और यही उनके करियर का एकमात्र इंटरनेशनल विकेट भी है जिसमें उन्होंने एंड्रयू साइमंड्स को आउट किया था। रोहन ने अपने करियर में एक मात्र अर्धशतक जड़ा है जिसमें उनके बल्ले से 54 रनों की पारी देखने को मिली थी।

टीम इंडिया के होकर भी भारत में नहीं खेले रोहनः रोहन गावस्कर की अगर बात करें तो उन्होंने भारत के लिए 11 वनडे मैच खेले हैं लेकिन इसमें एक भी मैच भारतीय सरजमीं पर नहीं खेला गया है। रोहन ने अपने सारे मुकाबले विदेशी धरती पर खेले और ऑस्ट्रेलिया से लेकर इंग्लैंड और नीदरलैंड तक का सफर तय किया। रोहन ने 2012 में क्रिकेट के हर फॉर्मेट को अलविदा कह दिया। हालांकि इस खिलाड़ी का घरेलू करियर अच्छा रहा और उन्होंने 117 फर्स्ट क्लास मैच में 6938 रन बनाए। वहीं, रणजी ट्रॉफी के दौरान दो साल के लिए वो बंगाल के कप्तान भी रहे। हालांकि मौजूदा समय में रोहन गावस्कर बतौर कमेंटेटर क्रिकेट से जुड़े हुए हैं।