मनोज जोशी

मौजूदा ओलंपिक चैंपियन, चार वर्ल्ड चैंपियन, चार महाद्वीपीय चैंपियन और कुल 24 ओलिंपियन….यह है प्रो रेसलिंग लीग की तस्वीर। इस लीग का आयोजन इन दिनों नई दिल्ली के सीरीफोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में किया जा रहा है। इनमें ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन अमेरिका की हेलन मारोलिस सबसे बड़ा नाम है, जो हरियाणा हैमर्स की ओर से खेल रही हैं।
रूस के सोसलान रामोनोव एक अन्य ओलंपिक चैंपियन हैं जो मुंबई महारथी की स्टार खिलाड़ी हैं। वहीं हेलेन मारोलिस के अलावा हाजी अलीयेव (दिल्ली सुल्तांस), पेट्रोशिवली गेनो (पंजाब रॉयल्स) और वानेसा कालादजिस्काया (यूपी दंगल) मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन हैं। अब सवाल है कि क्या भारतीय पहलवानों का स्तर इनसे मेल खा पाएगा। इसका जवाब यही है कि भारतीय पहलवानों को इनसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा। ये दिग्गज अलग-अलग टीमों में हैं। हर टीम में पांच भारतीय हैं। उनके साथ डग आउट में बैठना, एक साथ प्रैक्टिस करना और यहां तक कि इनके साथ नाश्ता या भोजन करना भी पहलवानों के लिए यादगार अनुभव होता है। हमारे पहलवान उनसे बहुत कुछ सीखते हैं।

इस लीग के पहले ही मैच में हमने देखा कि हेलन मारोलिस अपनी टीम की खिलाड़ी सरिता और पूजा से ट्रेनिंग के मुद्दे पर घंटों पर करती रहीं और फिर उन्होंने इन दोनों के साथ अभ्यास किया। यही प्रो रेसलिंग लीग की सबसे बड़ी विशेषता है। कुछ साल पहले तक भारतीय पहलवानों में वर्ल्ड चैंपियन या ओलंपिक चैंपियन से मुकाबला करने का एक भय रहता था। कई बार तो हमारे पहलवान इन दिग्गजों के सामने आते ही अपनी मूलभूत तैयारी तक भूल जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्हें अहसास हो गया है कि ये दिग्गज किसी दूसरी दुनिया के पहलवान नहीं हैं, इन्हें हराया जा सकता है। इस बारे में साक्षी मलिक का उदाहरण सटीक है। सीजन-1 में उतरने के बाद उन्हें अपनी टीम की आइकन खिलाड़ी अमेरिका की एडलाइन ग्रे का साथ मिला और विदेशी खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस करके उनका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था। वह भी मानती हैं कि ओलंपिक पदक जीतने में प्रो रेसलिंग लीग ने भी अहम भूमिका निभाई है।

अच्छी बात यह है कि लीग में जो 24 विदेशी खिलाड़ी खेलते हैं, उनमें से ज्यादातर अगले सीजन में बदल जाते हैं, जिससे भारतीय पहलवानों को नए-नए विदेशी दिग्गज पहलवानों का साथ मिलता है। उन्हें करीब से प्रैक्टिस करते देखना और उनकी तकनीकों को समझने से हमारे खिलाड़ी अब पहले से ज्यादा बेहतर हुए हैं, अच्छी तकनीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं। इस बात को कई भारतीय कोचों ने भी माना है।

तैयारियों को मिलेगा अंजाम : सुशील
भारत के दोहरे ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार ने कहा कि प्रो रेसलिंग लीग ऐसे समय में हो रही है जब एशियाई चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेल होने वाले हैं। एक तरह से यह लीग पहलवानों के लिए टेस्ट इवेंट है। उन्हें इस लीग के जरिए अपनी तैयारियों का आकलन करने का अवसर मिलेगा।
मेरी दुनिया गई : आमरी
पीडब्ल्यूएल के पिछले सीजन में अपराजित रहने वाली ट्यूनीशिया की मारवा आमरी का कहना है कि प्रो रेसलिंग लीग में उनकी कुश्तियों को लेकर दुनिया भर में चर्चा हुई। उनके देश में भी उनके बारे में सबकी धारणा काफी हद तक बदली। मुझे वहां एक बड़ा वर्ग पसंद करने लगा है। जहां कभी महिलाओं के कुश्ती लड़ने को लेकर तमाम पाबंदियां थीं, वहां धीरे-धीरे माहौल बदल रहा है।