पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भारतीय टीम को दो वर्ल्ड कप दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। 2007 में टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पाकिस्तान और 2011 में वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने मैच जिताऊ पारी खेली थी। गंभीर ने एक इंटरव्यू में इस बारे में खुलासा किया था कि वे एक बार टीम से खुद बाहर जाना चाहते थे। इस बारे में उन्होंने तत्कालीन कोच गैरी कर्स्टन से बात भी की थी, लेकिन वे नहीं माने थे।

गंभीर ने ‘व्हाट द डक’ कार्यक्रम के लिए विक्रम साठये को दिए इंटरव्यू में इसकी चर्चा की थी। गंभीर ने कहा था, ‘‘न्यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद में टेस्ट मैच खेला गया था। पहली पारी में मैंने 21 रन बनाए थे। इसके बाद दूसरी पारी में क्रिस मार्टिन की पहली ही गेंद पर आउट हो गया। इसके बाद मैं पवेलियन लौटा। वहां गैरी कर्स्टन से कहा कि मेरा आत्मविश्वास काफी कम है। मैं चाहता हूं कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट जाकर खेलूं। मुझे लगता है कि थोड़े रन बनाऊं और फिर वापस आऊं।’’

गंभीर ने कहा, ‘‘मेरा और गैरी का संबंध इतना अच्छा था कि एक प्लेयर कोच के पास जाकर कहता है कि मुझे ड्रॉप करो क्योंकि फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना है। अपने देश में कोई अगर कोच के पास जाकर ऐसा कहेगा तो एक सेकंड भी नहीं लगेगा और उसे बाहर कर दिया जाएगा। गैरी ने मुझसे कहा कि मेरे लिए एक टेस्ट (हैदराबाद में) मैच और खेलो। फिर मैंने अगले टेस्ट में खेला। मैंने 50 से ज्यादा रन बनाए। उसके अगले टेस्ट में 70 से ज्यादा रन बनाया।’’

गंभीर ने इसके सुनाया, ‘‘जब 70 से ज्यादा रन बनाए तो न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच वनडे की सीरीज में मुझे कप्तान बनाया गया था। उस सीरीज में मैंने दो शतक लगाए और मैन ऑफ द सीरीज बना था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका गए और वहां दो टेस्ट मैच में चार अर्धशतक लगाए और फिर वर्ल्ड कप खेला। अगर मैं वो एक टेस्ट (हैदराबाद में) मैच नहीं खेला होता तो वर्ल्ड कप में भी नहीं खेलता।’’