टीम इंडिया के पूर्व स्टार खिलाड़ी विशन सिंह बेदी ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कुछ ऐसे किस्से साझा किए जो दिखाते हैं कि वो न सिर्फ एक अच्छे खिलाड़ी थे बल्कि एक अच्छे इंसान के साथ-साथ हाजिरजवाब भी थे। उनकी इस अदा के कायल सिर्फ उनके फैंस ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक भी थे। उन्होंने इस बातचीत के दौरान क्रिकेट को लेकर कई तरह के सवालों के जवाब दिए और मौजूदा समय के खेल की बारीकियों को भी साझा किया। इस दौरान उन्होंने वो किस्सा भी सुनाया जब वो पाकिस्तान के टूर पर गए थे।

दरअसल, इस दौरान संदीप द्विवेदी ने उनसे 1978 के उस फ्रेंडशिप टूर के बारे में जानना चाहा जब टीम इंडिया पाकिस्तान के दौरे पर गई थी। इसका जवाब देते हुए बेदी ने कहा कि- तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई खिलाड़ियों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि रावलपिंडी में तीन दिन का मैच खेला जा रहा था और मैं नहीं खेल रहा था। इस मैच के तीसरे दिन कप्तान सुनील गावस्कर और सरफराज नवाज के बीच मैदान पर कुछ कहासुनी हो गई थी। इसके बाद गावस्कर ने पारी घोषित ही नहीं कि। इसी शाम को हमारी मुलाकात जिया उल हक से हुई थी। उन्हें इस घटना के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी कि भारतीय यहां सिर्फ खेलने के लिए नहीं आए हैं। भारतीय खिलाड़ी रोंदूं हैं।

इसके आगे बेदी ने बताया कि जिया बहुत भोले इंसान थे । उन्होंने दूर से ही मुझसे पूछा कि बेदी साहब पारी क्यों नहीं घोषित की। मैं कप्तान होता तो 12 बजे पारी घोषित कर देता। मैने कहा कि मैं मैच नहीं खेल रहा था, लेकिन बाद में मैने उन्हें रोकते हुए कहा कि लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं कैसे 12 बजे ये फैसला लेता। ये सुनकर सभी हंसने लगे। इसके बाद मीडिया ने मुझसे पूछा कि आखिर क्या हुआ था तो मैने कहा कि मैने उनसे पूछा था कि सरदार बनना है?

जब बेदी ने दिया खूनः बेदी ने बताया कि इसके बाद दोबारा वो पाकिस्तान गए और अखबार पढ़ते वक्त उन्होंने देखा कि एक स्टोरी छपी थी जिसमें किसी को खून की जरूरत थी जो मेरे ब्लड ग्रूप का था। मैं वहां चला गया और मैने कहा कि अगर एक भारतीय के खून से कोई दिक्कत न हो तो मेरा खून ले लो। ये खबर पूरे पाकिस्तान में फैल गई। इसके बाद वहां मुझे बड़ी इज्जत मिली, ऑटो वाला मुझसे पैसे नहीं लेता था। लोग कहते थे कि आप यहां काफी फेमस हैं अगर चुनाव लड़े तो जीत जाएंगे।