सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 22 अगस्त 2022 को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल पर सख्त टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह (प्रफुल्ल पटेल) अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे थे। यह सूचित किया गया कि फीफा के एआईएफएफ के निलंबन के परिणामस्वरूप देश को नुकसान होगा। देश U-17 महिला विश्व कप की मेजबानी का अधिकार गंवा सकता है।
एआईएफएफ के दैनिक मामलों को चलाने वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) को भंग करने की याचिका पर सुनवाई करने वाली दो न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आप हमको अपनी दिक्कत बताते हैं और आप टूर्नामेंट को खत्म कर रहे हैं। मिस्टर प्रफुल्ल पटेल टूर्नामेंट को तबाह करने की कोशिश कर रहे हैं। आप अब भी यह काम कर रहे हैं। हम आपसे निपट लेंगे।’
जस्टिस एक राज्य संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील के एक दावे का जवाब दे रहे थे कि अदालत द्वारा सीओए को भंग करने का फैसला करने के बाद होने वाले चुनाव में एआईएफएफ की कार्यकारी परिषद में रिटर्निंग अधिकारियों की नियुक्ति पर एक या दो राज्यों को आपत्ति हो सकती है।
पीठ रिटर्निंग अधिकारियों की नियुक्ति पर अपना आदेश दे रही थी। पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना भी शामिल थे। इस दौरान अदालत की ओर से नियुक्त सीओए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ से यह जोड़ने का आग्रह किया कि यह राज्य संघों की सहमति से किया जा रहा है।
इस बात पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने आदेश में सहमति जताई। दूसरी ओर, आपत्तियों का मुद्दा उठाने वाले वकील ने कहा कि कुछ राज्य संघों को लगता है कि इस स्तर पर उन्हें अदालत के सामने पेश करना उपयोगी नहीं होगा। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने एनसीपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को लेकर उक्त टिप्पणी की।
इससे पहले प्रफुल्ल पटेल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जो कहा था, वह उसका समर्थन करते हैं। सिब्बल ने कहा, ‘हम पहले ही चुनाव चाहते थे। दुर्भाग्यवश, इसमें देरी हुई। चूंकि मैं फीफा में एक चुना गया सदस्य हूं, मैं चाहता था कि अंडर-17 महिला विश्व कप यहां आए।’
पद छोड़ने को तैयार नहीं थे प्रफुल्ल पटेल
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल 12 साल तक एआईएफएफ के चेयरमैन रहे। वह अपना पद छोड़ने को तैयार नहीं थे। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2022 में पद से हटाया। सुप्रीम कोर्ट ने ही प्रशासकों की एक समिति बनाई और उसे फेडरेशन के संचालन का अधिकार दिया। इसी वजह से फीफा इसे थर्ड पार्टी का दखल मान रहा था।
फीफा ने 16 अगस्त को भारत को करारा झटका देते हुए तीसरे पक्ष के गैर जरूरी दखल का हवाला देकर एआईएफएफ को निलंबित कर दिया था। फीफा ने यह भी कहा था कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप का आयोजन नहीं हो सकता।
अंडर-17 महिला विश्व कप 11 से 30 अक्टूबर के बीच होना है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप के आयोजन और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) द्वारा एआईएफएफ पर लगाया निलंबन रद्द कराने के लिए अपने पूर्व आदेश में बदलाव किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई 2022 को राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल की अध्यक्षता वाली प्रबंध समिति को हटाकर 3 सदस्यीय समिति (सीओए) की नियुक्ति की थी। समिति में दवे के अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली शामिल थे।
एआईएफएफ चुनाव 2 सितंबर को, नामांकन बृहस्पतिवार से
एआईएफएफ की कार्यकारी समिति के चुनाव 2 सितंबर को होंगे और नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 25 अगस्त से शुरू होगी। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रशासकों की समिति को बर्खास्त करते हुए एआईएफएफ चुनाव एक सप्ताह के लिए टाल दिए थे।
इसके बाद निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने नई सूचना जारी की। उसमें नए सिरे से तारीख दी गई है। विभिन्न पदों के लिए नामांकन गुरुवार से शनिवार तक दाखिल किए जा सकते हैं। इनकी छंटनी 28 अगस्त को होगी। नामांकन वापस लेने की तारीख 29 अगस्त है।
इसके बाद निर्वाचन अधिकारी अंतिम सूची तैयार करके उसे 30 अगस्त को एआईएफएफ की वेबसाइट पर डालेंगे। चुनाव के बाद नई समिति को फीफा मान्यता देगी। ऐसे में संभव है कि भारत में अंडर-17 महिला फुटबॉल विश्व कप का आयोजन हो पाए।