मंगवलार सुबह (भारतीय समयानुसार) नवीन-उल-हक ने जब टी20 विश्व कप 2024 में ग्रुप 8 के अंतिम मैच में बांग्लादेश के मुस्तफिजुर रहमान को पवेलियन भेजा तब अफगानिस्तान जश्न में डूब गया और हो भी क्यों न। उनके देश की टीम ने टी20 विश्व कप के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई जो किया था। सेमीफाइनल में पहुंचने की खुशी की खबर उस देश के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आई, जिन्होंने पिछले 5 दशक में हजारों जख्म और दुख झेले हैं।

तालिबान की वापसी के बाद अफगान क्रिकेट के भविष्य पर उठे थे सवाल

युद्ध से तबाह देश के लिए यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। पिछले एक दशक में अफगानिस्तान क्रिकेट के विकास कहानी बहुत से लोगों को हैरान कर सकती है। साल 2021 में जब अफगानिस्तान में फिर से तालिबान की सत्ता आई तो दुनिया भर के क्रिकेट प्रशंसक, समर्थक और समीक्षक अफगानिस्तान में क्रिकेट के भविष्य को लेकर चिंतित हो गए थे।

लेकिन पिछले 5 दशकों में ज्यादातर समय खून-खराबा देखने वाले इस देश के लोगों के पास अब दुनिया को दिखाने के लिए वह चीज है, जिसकी निकट भविष्य में शायद ही किसी ने कल्पना तक की रही होगी। वह है एक ऐसी क्रिकेट टीम जिसने ‘सज्जनों के खेल’ के दिग्गजों को हराया है।

अफगानिस्तान क्रिकेट पर है किसका कंट्रोल?

तालिबान शासित देश में अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) क्रिकेट गतिविधियों को नियंत्रित और प्रबंधित करता है। यह सही है कि अफगानिस्तान क्रिकेट तालिबान शासित ACB द्वारा नियंत्रित है, लेकिन इसे अपना अधिकांश वित्तीय समर्थन अमीरात क्रिकेट बोर्ड (Emirates Cricket Board) से मिलता है।

साल 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद कई पेशेवर क्रिकेटर और प्रशासक देश छोड़कर चले गए। इस कारण देश में क्रिकेट के भविष्य को बड़ा सवाल खड़ा हो गया था, लेकिन यूएई के लजिस्टिकल, वीजा और हाउसिंग सपोर्ट ने अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को पैर जमाने में मदद की।

आईसीसी के प्रयासों का है नतीजा

टी20 विश्व कप 2024 में भी यूएई की ही एक दूरसंचार कंपनी (Etisalat) अफगानिस्तान क्रिकेट टीम की आधिकारिक प्रायोजक है। वैसे यह अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को यह सारी मदद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के प्रयासों से ही मदद मिलती है। आईसीसी विकास कार्यक्रमों, बुनियादी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भागीदारी समेत विभिन्न क्रिकेट गतिविधियों के लिए एसीबी को फंडिंग करती है।

तालिबान शासनकाल में अफगानिस्तान क्रिकेट

1996 से 2001 के दौरान यानी पिछले शासन के समय तालिबान का रुख ‘खेल विरोधी’ था। इस आधार पर कई लोगों ने अनुमान लगाया था कि अफगानिस्तान में क्रिकेट का अंत हो सकता है। अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को 2017 में ही ICC की पूर्णकालिक सदस्यता मिली थी। हालांकि, बांग्लादेश के खिलाफ मैच के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की ओर से X पर शेयर किया गया एक वीडियो एक नई ही कहानी बयां करता है।

वीडियो में कप्तान राशिद खान को अफगान तालिबान के नेता और देश के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने वीडियो कॉल कर बधाई दी। उन्हें अफगान टीम और कप्तान राशिद की सराहना करते हुए सुना जा सकता है। 55 साल के आमिर खान मुत्ताकी वही शख्स हैं जिन्होंने तालिबान 1.0 के शासनकाल में शिक्षा मंत्री के रूप में शरिया लागू किया था।

इन वजहों से तालिबान करता है क्रिकेट का समर्थन

ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि तालिबान क्रिकेट का समर्थन क्यों करता है जबकि अन्य खेलों का विरोध करता है? इसके दो मुख्य कारण हो सकते हैं। पहला यह कि तालिबान को इस बात का अहसास है कि उन्हें किसी भी तरह की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मान्यता की आवश्यकता है।

दूसरा यह कि तालिबान ने क्रिकेट की लोकप्रियता और उसके जरिये लोगों को एकजुट करने की ताकत पहचानी है। उसको लगता है कि सामाजिक और राजनीतिक विभाजनों से घिरे देश को क्रिकेट एकीकृत कर सकता है। हालांकि, तालिबान पर मीडिया, खेलों में महिलाओं की भागीदारी और सार्वजनिक जीवन को लेकर लगे प्रतिबंध अब भी चिंता बने हुए हैं।