पेरिस ओलंपिक 2024 में कुश्ती में दूसरा पदक जीतने की भारत की उम्मीदों को शनिवार को बड़ा झटका लगा जब रितिका हुड्डा महिलाओं के 76 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में शीर्ष वरीयता प्राप्त एपेरी मेडेट काजी से हार गईं। 21 वर्षीय अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियन ने किर्गिस्तान की पहलवान के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन मुकाबला 1-1 के बराबर रहा। एपेरी को विजेता घोषित किया गया। आइए जानते हैं 1-1 स्कोर के बावजूद एपेरी को विजेता क्यों घोषित किया गया?

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के नियमों के अनुसार

1- सबसे ज्यादा होल्ड
2- कम से कम सावधानी
3 – आखिरी टेक्निकल प्वाइंट स्कोर।

रितिका के मामले में तीसरा नियम लागू हुआ

रितिका के मामले में तीसरा नियम लागू हुआ। आखिरी अंक स्कोर करने वाली पहलवान को विजेता घोषित किया गया। बराबरी के मुकाबले में रितिका ने पहला अंक हासिल किया। ऐपरी को पैसिविटी के कारण नुकसान हुआ। बाद में ऐपरी ने टेक्निकल प्वाइंट से अंक हासिल करते हुए मुकाबला बराबर कर लिया और इस तरह UWW नियम के तीसरे मानदंड के अनुसार मुकाबला जीत लिया।

किर्गिस्तान की पहलवान की सेमीफाइनल में हार से ब्रॉन्ज का रास्ता बंद

रितिका के लिए रेपेचेज का रास्ता अमेरिकी केनेडी ब्लेड्स ने बंद कर दिया। उन्होंने सेमीफाइनल में किर्गिस्तान की पहलवान एपेरी को 8-6 से हराया। रितिका की हार का मतलब है कि खेलों में भारत का अभियान छह पदकों के साथ समाप्त हुआ। टोक्यो में भारत छह पदक जीता था। पेरिस में भारत को 3 पदक शूटिंग में मिले। हॉकी और रेसलिंग में 1 पदक मिला। इसके अलावा नीरज चोपड़ा ने सिल्वर दिलाया।