यशस्वी जायसवाल का हाल में उनका जिस तरह का प्रदर्शन रहा है उससे लगता है कि वह भारतीय क्रिकेट के अगले सुपरस्टार हैं। यशस्वी ने जो मुकाम हासिल किया है उसमें उनके बचपन के कोच ज्वाला सिंह का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने यशस्वी का हाथ तब थामा जब मुंबई मे उन्हें कोई देखने, सुनने और मौका देने वाला नहीं था। उनकी देखरेख और बेहतरीन कोचिंग की वजह से भारत को एक ऐसा बल्लेबाज मिला जो क्रिकेट के हर प्रारूप में दमदार बल्लेबाजी कर सकता है। ज्वाला सिंह ने संजय सावर्ण से खास बातचीत की। पेश हैं उनके मुख्य अंश…
यशस्वी जायसवाल को आपने पहली बार कब देखा और उनमें आपने ऐसा क्या देखा जिसके बाद आपको लगा कि वह भविष्य में एक बेहतरीन क्रिकेटर बन सकते हैं?
देखिए यशस्वी मुझे दिसंबर 2013 में मिले थे। मैं एक मैच के सिलसिले में आजाद मैदान गया था, वहां पर मुझे एक बच्चा बाएं हाथ से बल्लेबाजी करता दिखा जो काफी अच्छा खेल रहा था। मैं उससे मिला फिर उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि मेरा नाम यशस्वी जायसवाल है और मैं यहां टेंट में रहता हूं जबकि मेरे माता-पिता यूपी में रहते हैं। फिर मेरे दोस्त ने कहा कि ज्वाला भाई इस लड़के की आप मदद कर सकते हैं क्या। इसके बाद मैंने उसे अपने घर बुलाया और उसने मुझे अपनी सारी कहानी सुनाई।
यशस्वी की जो सबसे बड़ी परेशानी थी वह ये कि कुछ लोगो ने उसका नकली बर्थ सर्टिफिकेट बनाकर उसे कुछ टूर्नामेंट में खिला दिया था। उसके बाद वो डर के मारे कि पुलिस उसे पकड़ लेगी और एमसीए उसे बैन कर देगा कोई मैच ही नहीं खेल रहा था। वह सिर्फ प्रैक्टिस करता था, लेकिन किसी भी आधिकारिक मैच में हिस्सा नहीं ले रहा था। बातचीत के दौरान उसने बताया कि उसके माता-पिता भदोई में रहते हैं और उनकी कपड़े की दुकान है। पिता महीने में 500-1000 रुपये भेज देते हैं जिससे मेरा खर्चा चलता है। उसकी कहानी मुझे अपनी सी लगी क्योंकि मैं मुंबई में क्रिकेटर बनने आया था, लेकिन बन नहीं पाया।
यशस्वी से सारी बात होने के बाद मुझे लगा कि यही वह लड़का है और फिर मैंने उसे कहा कि अब तुम सिर्फ क्रिकेट खेलो। थोड़े दिनों के बाद गाइलशिल्ड टूर्नामेंट में मैंने उसे खेलने के लिए कहा, लेकिन फिर डर की वजह से वह मना करता रहा, लेकिन मैंने उसे मना लिया। इस टूर्नामेंट के पहले मैच में उसने 47 रन बनाए और 5 विकेट भी लिए साथ ही दूसरे मैच में ही उसने 319 रन बनाए और 13 विकेट लिए। उसी दिन उसके पिता गांव से यशस्वी को वापस ले जाने के लिए आए थे, लेकिन वह मुझसे मिले और रोते हुए यशस्वी का हाथ मेरे हाथ में देकर कहा कि सर इसे कभी छोड़ना मत, इसे क्रिकेटर बना दो। मैंने यशस्वी को वसीम जाफर से मिलाया तो उन्होंने उसे सलाह दी कि आपकी बड़े रन बनाने की आदत है इसे छोड़ना मत। इसके बाद दिलीप वेंगसरकर सर से मिलाया और फिर उसकी जर्नी की शुरुआत हुई जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए।
यशस्वी कमाल के बल्लेबाज हैं, लेकिन बतौर कोच क्या आपको लगता है कि उनमें कहीं सुधार की जरूरत है?
सही बताऊं तो वह काफी मैच्योर बैट्समैन हैं और आप अगर देखें तो वह टी20 को टी20 की तरह जबकि टेस्ट क्रिकेट को टेस्ट की तरह से खेलता है। उसकी जो सबसे बड़ी ताकत है वह ये कि उसके पास स्ट्रोक है और वह गेंद को गैप में या फिर फील्डर के ऊपर से मार सकता है। उसके पास विल पॉवर है जिसके दम पर वह रिस्क लेता है जिसके बाद वह सफल होता है, कई बार नहीं भी होता है। फिलहाल उसमें कोई तकनीकी खामी तो नहीं नजर आती है साथ ही कोई मेंटल इशू भी नहीं दिखता है। अंडर 19 वर्ल्ड कप से पहले वह स्ट्रोक प्लेयर नहीं था, लेकिन इसके बाद मैंने उस पर काफी काम किया क्योंकि पहले आईपीएल सीजन में वह अच्छा नहीं खेला था। इसके बाद उसने दूसरे आईपीएल में सीजन में फास्टेस्ट फीफ्टी लगा दिया। तीसरा सीजन तो उनका और भी अच्छा था। हालांकि जब भी वह लड़खड़ाता है मैं उसे कुछ फॉर्मूला देता हूं और फिर वह ठीक हो जाता है।
यशस्वी भारत के लिए टेस्ट और टी20 खेल रहे हैं, लेकिन वनडे में उन्हें अब तक मौका क्यों नहीं मिल पाया है?
मुझे लगता है कि यशस्वी ने विजय हजारे ट्रॉफी के पिछले दो सीजन में उसने रन नहीं बनाए हालांकि उसने आईपीएल, दिलीप ट्रॉफी, रणजी में रन बनाए। यशस्वी ने टेस्ट या टी20 में तो रन बनाए, लेकिन वनडे में जाने के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में जिस तरह का प्रदर्शन चाहिए वह हुआ नहीं है तो हो सकता है कि सेलेक्टर्स ने इसकी वजह से उन्हें वनडे में मौका नहीं दिया है। अगर हम उनके लास्ट दो टेस्ट सीरीज जो उन्होंने वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका में खेला साथ ही इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेला साथ ही जैसा प्रदर्शन रहा तो मुझे लगता है कि इसके बाद उनके लिस्ट ए का प्रदर्शन ओवरलुक हो जाएगा। सेलेक्टर्स यह जरूर सोचेंगे को जो टेस्ट में इतने अच्छे औसत से रन बना सकता है तो वह अन्य प्रारूप में भी कर सकता है। मुझे लगता है कि अब जो अगली वनडे सीरीज होगी उसमें उन्हें मौका मिल सकता है।
यशस्वी के प्रदर्शन को देखते हुए क्या उन्हें टी20 वर्ल्ड कप 2024 की भारतीय टीम में जगह मिल सकती है?
जिस तरह से यशस्वी टी20 क्रिकेट में खेल रहे हैं और उन्हें जितने मौके मिले उन्होंने रन बनाए। अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साथ ही वेस्टइंडीज में भी उन्होंने रन बनाए तो वह दावेदार तो हैं। फ्रंटलाइन में इस वक्त यशस्वी और रोहित शर्मा ही दिखते हैं, लेकिन अभी आईपीएल है जो काफी लंबा चलेगा और अगर इस सीजन में उनका फॉर्म अच्छा रहता है तो मुझे लगता है कि वह रोहित शर्मा के साथ टी20 वर्ल्ड कप में जरूर ओपनिंग करेंगे।
यशस्वी के मौजूदा फॉर्म को देखते हुए क्या ऐसा लगता है कि वह आईपीएल 2024 में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन सकते हैं?
देखिए खिलाड़ी के फॉर्म पर काफी कुछ निर्भर करता है कभी-कभी प्लेयर रन बना जाते हैं तो कभी चूक भी जाते हैं। पिछले सीजन में जोस बटलर राजस्थान के लिए परफॉर्म नहीं कर पाए, लेकिन 2022 में उन्होंने शानदार खेला था। ये कहना मुश्किल है कि कोई प्लेयर सबसे ज्यादा रन बनाएगा या नहीं। एक कोच के तौर पर मैं हर खिलाड़ी को यही सलाह देता हूं कि जब आप कोई टूर्नामेंट खेलते हैं तो आपको उसका बेस्ट प्लेयर बनना है। जब कोई मैच खेलते हो तो उसका टॉप स्कोरर बनना है तो और कोई बॉल खेलते हो तो यह ध्यान रखना है कि उस गेंद को कितने अच्छे तरीके से खेलना है। ये प्रोसेस है और इसे यशस्वी ने अब तक फॉलो किया है अगर आईपीएल में भी वह ऐसा करते हैं तो सबसे ज्यादा रन बना सकते हैं। वह इस वक्त प्रचंड फॉर्म में हैं तो मुझे लगता है कि वह राजस्थान के लिए टॉप स्कोरर बनेंगे साथ ही इस टीम को चैंपियन भी बना दें।
आजकल क्रिकेट बहुत ज्यादा खेली जा रही है ऐसे में इंजरी से बचाव के लिए आप यशस्वी समेत युवा क्रिकेटर्स को क्या सलाह देंगे?
क्रिकेट या फिर किसी भी खेल में इंजरी की संभावना तो होती है, लेकिन इसके डर से आप खेलना बंद नहीं कर सकते। खेल में इंजरी का मैनेजमेंट बहुत जरूरी है और इसके लिए आपको अपने बॉडी पर काम करना पड़ेगा। आपको यह देखना होगा कि आपको कहां ज्यादा एफर्ट करना है और इसके अलावा आप कितनी अच्छी डाइट लेते हैं और कितनी अच्छी ट्रेनिंग लेते हैं। क्रिकेट में अगर बल्लेबाज अपनी बॉडी को अच्छे से मैनेज करे तो इंजरी फ्री क्रिकेट खेल सकता है। बल्लेबाज और स्पिनर के इंजर्ड होने की संभावना कम होती है, लेकिन इंजरी ज्यादातर फस्ट बॉलर्स को होती है। अगर आप अपने वर्कलोड और ट्रेनिंग को मैनेज करें तो इंजरी होने के चांसेज थोड़े कम होंगे।