इंग्लैंड में एक सिख व्यक्ति के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार होने का मामला सामने आया है। mylondon.news की खबर के मुताबिक, यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप में सात जुलाई 2021 को इटली और स्पेन के बीच पहला सेमीफाइनल खेला गया था। इस मैच को देखने के लिए 28 साल के अर्जन सिंह ने 300 यूरो खर्च कर टिकट खरीदा था, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें लंदन स्थित वेम्बले फुटबॉल स्टेडियम में घुसने नहीं दिया।
जानकारी मिलने पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (एसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने मामले पर अफसोस जताया है। साथ ही उन्होंने इंग्लैंड के सांसद तनमनजीत सिंह देशी से इस मुद्दे को उठाने की अपील की है। साथ ही सिखों और सिख धर्म में कृपाण के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया है। उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से यूके सरकार में अपने समकक्षों के साथ सिखों की धार्मिक मर्यादा के बारे में बात करने का आग्रह किया है।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट कर कहा, ‘यह खेदजनक है कि अर्जन सिंह को वैध टिकट के बावजूद वेम्बले में मैच में प्रवेश से वंचित कर दिया गया। उनके कृपाण के आकार के कारण सुरक्षा गार्डों ने उन्हें स्टेडियम में प्रवेश नहीं दिया। उनके साथ ‘अपराधी की तरह’ व्यवहार किया गया।’
अर्जन सिंह यूरो कप का पहला सेमीफाइनल मैच देखने के लिए रग्बी से वेम्बले पहुंचे थे। रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षाकर्मियों ने अर्जन सिंह के साथ अपराधियों जैसा सलूक किया और उन्हें स्टेडियम में घुसने नहीं दिया। अर्जन सिंह की सिर्फ इतनी गलती थी कि उन्होंने कृपाण धारण कर रखी थी। कृपाण सिख धर्म के पांच ककार में से एक है।
द फुटबॉल एसोसिएशन के प्रवक्ता के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अर्जन को वेम्बले स्टेडियम में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि उनकी कृपाण का आकार ऑनलाइन गाइडेंस में तय की गई सीमा से अधिक था।’ हालांकि, अर्जन के अनुसार, ‘सुरक्षाबलों ने उनकी कृपाण का आकार नापा, वह 6 इंच से कम का था। इसके बावजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें स्टेडियम में प्रवेश करने से रोका। छह इंच का आकार तय सीमा के भीतर है।’
अर्जन के साथ उनके 27 साल के दोस्त मार्टिन भी थे। दोनों ने सुरक्षाकर्मियों से बातचीत के बाद करीब 2 घंटे तक इंतजार किया, लेकिन फिर भी उन्हें वेम्बले स्टेडियम छोड़ना पड़ा। अर्जन ने बताया, ‘जब मैं वेम्बले गया, तो सुरक्षागार्ड्स को वेबसाइट की कृपाण नीति पहले ही बता दी थी। इससे पहले वह जांच करते मैं पहले ही उनसे (सुरक्षा गार्ड्स) से कहा, मैं इस कृपाण को ले जा रहा हूं। इसकी मुझे देश (इंग्लैंड) के कानून के तहत अपने साथ रखने की मंजूरी है।’
अर्जन ने कहा, ‘उन्होंने मुझे किनारे कर दिया और कहा कि उन्हें अपने बड़े पदाधिकारी से बात करनी पड़ेगी। इसके बाद सुरक्षा गार्ड्स ने मुझे कैमरे में देखने के लिए कहा। वे मेरे कृपाण की तस्वीरें लेने लगे। उन्होंने कहा कि मुझे इसे पहनने की अनुमति नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘सुरक्षागार्ड्स ने हमें घंटों इंतजार कराया। यह भयानक था। मैं थक गया था। यह लगभग ऐसा था जैसे हम अपराधी थे…। सुरक्षा गार्ड दोहराता रहा तुम एक तेज ब्लेड के साथ नहीं जा सकते। वहां मौजूद दूसरे लोग यह सुन रहे थे।’
@wembleystadium We’re at Wembley for the match. Your stewards aren’t granting entry to my bro, a baptised Sikh, because he has a kirpan. Wembley’s kirpan guidance allows kirpans. UK law does too. Our tix cost us £300. Sort it now! @BBCNews @guardian @SikhPA @RaviSinghKA
— Ranbir M (@ranbir29111469) July 6, 2021
अर्जन के दो दोस्तों का यह भी दावा है कि अर्जन के लाख समझाने के बावजूद कि उन्हें पीठ दर्द की पुरानाी बीमारी है, प्रतीक्षा के दौरान उन्हें सीट नहीं दी गई। दो दोस्तों के मुताबिक, सुरक्षा गार्ड उन्हें स्टेडियम में प्रवेश नहीं दे रहे थे, जबकि कृपाण की लंबाई छह इंच थी।
मार्टिन ने कहा, ‘कृपाण को दो बार नापा गया। पहले नापा गया तो वह 6 इंच निकली। यह वेम्बले स्टेडियम की नीति के तहत तय की गई सीमा के भीतर थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने प्रवेश नहीं करने दिया। इसके बाद कस्टमर सर्विसेज के लोग आए और उन्होंने इसे टेप से नापा। तब इसकी लंबाई 6.5 इंच निकली, यह तय सीमा से ज्यादा थी।’
वेम्बले स्टेडियम की कृपाण नीति के अनुसार, वेम्बले स्टेडियम के अंदर कृपाण पहनने की मंजूरी है। हालांकि यह किसी दूसरे को दिखाई नहीं देना चाहिए और हरसमय उच्चतम संभव सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कपड़ों के नीचे ही पहना जाना चाहिए।
सिख धर्म के पांच ककार
पांच ककार का अर्थ ‘क’ शब्द से शुरू होने वाली उन 5 चीजों से है जिन्हें सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा सिखों को हर समय पहनने की आज्ञा दी थी। गुरु गोविंद सिंह ने जो पांच चीजें अनिवार्य की थीं, उनमें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कछैरा शामिल है। इनके बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं माना जाता।