इस साल 19 मई को एक आॅस्ट्रेलियाई अधिवक्ता (अटार्नी) ने आइपीएल के विवादास्पद जनक ललित मोदी और उनके भाई समीर मोदी को एक खास ईमेल भेजा था जिसमें तीन आइपीएल टीमों में ललित के फायदेमंद हितों का जिक्र किया था। इस वकील ने न्यास के बैनामे से जुड़ा एक मसौदा साथ में भेजा था। ध्यान दिला दें कि इस ईमेल के बारे में सबसे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने जानकारी दी थी। लेकिन इसमें तीनों ईपीएल टीमों के बारे में चर्चा नहीं थी। लेकिन बाद के अलग-अलग ईमेल में यह तथ्य सामने आए हैं कि मोदी, प्रीति जिंटा और टीम के अन्य हिस्सेदारों के बीच कारोबारी संपर्क था।
22 नवंबर 2014 को मोदी ने एक हिस्सेदार संजीवन साहनी को लिखा: लेन-देन के लिए तैयार रहें, कृपया मोहित से बातचीत करिए। दरहकीकतयह मेल 21 नवंबर 2014 को प्रीति जिंटा की ओर से भेजे गए एक मेल के जवाब में भेजा गया था। प्रीति के मेल में संभावित सौदेबाजी का जिक्र था। इसके आखिर में लिखा था-हाय ललित, एफवाइआइ।
पड़ताल से पता चलता है कि जिंटा का मेल मोहित बर्मन, गौरव बर्मन, कपिल खन्ना और नेस वाडिया को भी भेजा गया था। इस मेल में प्रीति जिंटा ने लिखा: यह मेल मेरी अपनी बात है और अगले हफ्ते इस सौदे की बाबत आगे बढ़ने के लिए निर्णायक कागजी काम कर लेंगे। जिंटा ने आगे कहा कि इस शख्स की बीसीसीआइ में अहमियत है और यह पंजाबी पृष्ठभूमि का है और इसका अच्छा कारोबार है। आपका क्या खयाल है। और इस बात को अपने तक ही रखिएगा। जब हमारी और बीसीसीआइ की ओर से इस सौदेबाजी पर मुहर नहीं लग जाती, किसी को इसकी भनक नहीं लगनी चाहिए। बात आगे बढ़ सके, इसके लिए वह पैसे को ‘निलंबसंपत्ति’ के तौर पर रखने को तैयार है, इसलिए कोशिश हो कि मामले को जल्द निपटाया जाए।
इस सौदे के बारे में ईएनएस की ओर से भेजी गई विस्तृत प्रश्नावली के बारे में पूछने पर किंग्स एलेवन पंजाब के प्रवक्ता ने कहा कि यह ईमेल ‘किसी पेशकश को लेकर आम पड़ताल थी।’ प्रवक्ता ने इस बात से भी इनकार किया टीम में मोदी की कोई हिस्सेदारी या हित था। उसने माना कि मोहित बर्मन, नेस वाडिया, प्रीति जिंटा, करण पाल ही टीम के साझीदार हैं।
ईमेल के जरिए भेजे गए जवाब में प्रीति के प्रवक्ता ने लिखा: ललित मोदी को किंग्स एलेवन पंजाब के हिस्सेदार के तौर पर इसलिए माना जाता है कि जब उन्होंने 2008 में आइपीएल को स्थापित किया था, किंग्स एलेवन पंजाब आबंटित टीमों में से थी। इस बारे में उसकी जानकारी के मुताबिक टीम के हिस्सेदारों ने, दिलचस्पी दिखाने वाली पार्टी की पेशकश की एक सामान्य पड़ताल की थी। इसमें इससे ज्यादा कुछ नहीं है।
बयान में आगे कहा गया कि किंग्स एलेवन पंजाब को इस बात पर हैरत है कि आपकी खबर और ईमेल, कुछ निजी ईमेल लीक होने के आधार पर हैं। इसमें उठाए गए सवाल बिना संदर्भ के समझे गए ईमेलों पर आधारित हैं। टीम में ललित मोदी की कोई हिस्सेदारी या हित नहीं है। टीम के हिस्सेदार मोहित बर्मन, नेस वाडिया, प्रीति जिंटा और करण पाल हैं।
27 अगस्त को इंडियन एक्सप्रेस ने न्यास बैनामे के मसविदे के बारे में खबर दी थी जो पत्र-करार के रूप में था। यह कथित तौर पर, संभवतया ललित मोदी से जुड़े नए ईमेलों को लेकर था। 19 मई को अटार्नी डीन किनो के ईमेल में ‘करार’ के बिंदु-5 को उठाया गया था। इसमें कहा गया कि आइपीएल की तीन टीमों में ललित मोदी की ओर से लिए जा रहे फायदों में इन लोगों के संयुक्त हित होंगे। यह भी कहा गया कि ललित और समीर अधिग्रहीत केके ट्रस्ट की संपत्तियों का साझा तौर पर मालिकाना हक नहीं लेंगे। इसकी जगह वे ट्रस्ट की संपत्तियों के अलग-अलग हिस्सेदार होंगे। जैसे ही समीर को अधिग्रहीत ट्रस्ट से हिस्सा मिल जाएगा, आइपीएल टीमों में उसका हित वापस ललित मोदी को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
इस बारे में संपर्क करने पर कीनो ने ईमेल की बात मानी और कहा कि ललित मोदी के गहरे क्रिकेट हित के संदर्भ तथ्यों के बजाय अनुमानित कार्य पर आधारित थे। दस्तावेज से प्रारंभिक चर्चा और नजरिए की बात सामने आती है और कोई बात नतीजे तक नहीं पहुंच सकी थी।
बहरहाल ईएनएस ने समीर मोदी के जवाब की पड़ताल भी की थी। इसमें कहा गया था कि बिंदु 5: हम कैसे इसके स्वामी हो सकते हैं, जबकि यह ललित कुमार मोदी के नाम नहीं है। मेरा मानना है कि वे सर्वश्रेष्ठ हितकारी मालिक हैं। समीर और ललित मोदी ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।