इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को महिला और लड़कियों के क्रिकेट मैचों में भाग लेने से रोक दिया। यह निर्णय फुटबॉल एसोसिएशन (FA) द्वारा इसी तरह का कदम उठाने के 24 घंटे से भी कम समय में आया है। ईसीबी ने अपने बयान में कहा कि यह बदलाव हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद “अपडेटेड कानूनी स्थिति” को देखते हुए किया गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि कानूनी रूप से महिलाओं की परिभाषा में ट्रांसजेंडर शामिल नहीं हैं।
ईसीबी के बयान के अनुसार “तत्काल प्रभाव से केवल वे खिलाड़ी जिनका जैविक लिंग (बायोलॉजिकल सेक्स) महिला है, वे महिला और लड़कियों के क्रिकेट मैचों में खेलने के लिए पात्र होंगी। ट्रांसजेंडर महिलाएं और लड़कियां ओपन और मिक्स्ड क्रिकेट में खेलना जारी रख सकती हैं।”
ईसीबी ने कहा कि वह खेल में समावेशिता (इन्क्लूसिविटी) के पक्ष में है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उन्हें महिला और लड़कियों के क्रिकेट के लिए नए नियम बनाने के लिए प्रेरित किया है। बोर्ड ने अपने बयान में आगे कहा, “हमारे रिक्रिएशनल क्रिकेट के नियम हमेशा से यह सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं कि क्रिकेट एक समावेशी खेल बना रहे। इनमें लिंग की परवाह किए बिना असमानताओं को प्रबंधित करने और सभी खिलाड़ियों के खेल के आनंद को सुरक्षित रखने के उपाय शामिल थे।”
हालांकि, ईसीबी ने यह भी जोड़ा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव के बारे में मिली नई सलाह को देखते हुए, हम मानते हैं कि आज घोषित किए गए बदलाव आवश्यक हैं।”
यह फैसला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए एक भावनात्मक और चुनौतीपूर्ण क्षण हो सकता है, जो क्रिकेट के माध्यम से अपनी पहचान और जुनून को व्यक्त करना चाहते हैं। ईसीबी का यह कदम कानूनी दृष्टिकोण से भले ही उचित हो लेकिन यह उन खिलाड़ियों के सपनों और आकांक्षाओं पर असर डाल सकता है जो खेल को अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं। दूसरी ओर बोर्ड का कहना है कि वह समावेशी क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए ओपन और मिक्स्ड फॉर्मेट में अवसर प्रदान करना जारी रखेगा, ताकि हर कोई खेल का हिस्सा बन सके। यह बदलाव खेल में समानता, निष्पक्षता और समावेशिता के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को दर्शाता है।