Duleep Trophy 2023, West Zone Vs Central Zone And South Zone Vs North Zone: पश्चिम क्षेत्र की टीम बुधवार 5 जुलाई से जब अलूर में मध्य क्षेत्र के खिलाफ दलीप ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल में उतरेगी तो सभी की नजरें चेतेश्वर पुजारा और पृथ्वी शॉ जैसे खिलाड़ियों पर होंगी। चेतेश्वर पुजारा और पृथ्वी शॉ दोनों ही फिर चयनकर्ताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।
पश्चिम क्षेत्र ने इस मुकाबले के लिए चेतेश्वर पुजारा, पृथ्वी शॉ, सूर्यकुमार यादव और सरफराज खान को टीम में शामिल किया है। इन चारों के करियर के लिए यह टूर्नामेंट काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। वहीं बेंगलुरु में होने वाले दूसरे सेमीफाइनल में दक्षिण क्षेत्र की टीम जब उत्तर क्षेत्र के खिलाफ खेलेगी तो नजरें वाशिंगटन सुंदर की फिटनेस पर रहेगी। वह 6 महीने बाद वापसी कर रहे हैं।
अनफिट होने के चलते 6 साल में सिर्फ 55 मैच ही खेल पाए हैं वाशिंगटन सुंदर
उत्तर ने क्वार्टर फाइनल में पूर्वोत्तर क्षेत्र को 511 रन से हराया था। यह मैच कुछ मौजूदा खिलाड़ियों और भारतीय टीम में जगह बनाने को आतुर कुछ भावी खिलाड़ियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा, जिनमें वाशिंगटन सुंदर भी शामिल हैं। तमिलनाडु के 23 साल के इस हरफनमौला ने पिछले 6 साल में कई चोटों और फिटनेस समस्याओं का सामना किया है। इस कारण वह 55 मैच ही खेल पाए हैं।
आईपीएल 2023 के पहले चरण में वह हैमस्ट्रिंग की चोट का शिकार हो गए। इसके बाद तमिलनाडु प्रीमियर लीग में वापसी की। अब देखना यह है कि क्या वह एक पारी के 25 ओवर डाल पाएंगे या पूरे दिन बल्लेबाजी कर पाएंगे, ताकि राष्ट्रीय टीम में वापसी का दावा पुख्ता कर पाएं। भारत को सफेद गेंद के क्रिकेट में अब भी एक उम्दा ऑफ स्पिनर की तलाश है।
वाशिंगटन उस कमी को पूरे करते नजर आ रहे थे। तीन राष्ट्रीय चयनकर्ता दो सेमीफाइनल के लिए इस समय बेंगलुरु में है। उनकी नजरें जरूर वाशिंगटन के प्रदर्शन पर रहेंगी। उनके अलावा आईपीएल से उभरे साई सुदर्शन भी दौड़ में हैं। उत्तर क्षेत्र की टीम में ध्रुव शोरे और जयंत यादव जैसे अनुभवी खिलाड़ी हैं जबकि पंजाब के प्रभसिमरन सिंह और दिल्ली के हर्षित राणा पर भी अच्छे प्रदर्शन का दारोमदार होगा।
फिर से खुद को साबित करने की कोशिश करेंगे चेतेश्वर पुजारा
भारत के लिए 103 टेस्ट में 7000 से अधिक रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने करियर में कई शानदार पारियां खेली हैं, लेकिन वेस्टइंडीज दौरे के लिए उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछले महीने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में नाकाम रहने के बाद उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली। वह दलीप ट्रॉफी के दौरान फिर खुद को साबित करने का प्रयास करेंगे।
चयनकर्ताओं को प्रभावित करना चाहेंगे पृथ्वी शॉ
पृथ्वी शॉ और सरफराज खान भी चयनकर्ताओं को प्रभावित करना चाहेंगे। इन दोनों के हालांकि भारतीय टीम से बाहर होने के कारण क्रिकेट के इतर के भी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि पृथ्वी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। आखिर ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक नहीं है जिन्होंने रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करते हुए शतक जड़े हों।
सवालों के घेरे में है मैदान के बाहर पृथ्वी की अनुशासनहीनता
पृथ्वी शॉ की अगुआई में भारत ने 2018 में आईसीसी अंडर-19 विश्व कप खिताब भी जीता था। हालांकि, तब से यह 23 वर्षीय बल्लेबाज 5 टेस्ट, 6 वनडे इंटरनेशनल और एक टी20 इंटरनेशनल ही खेल पाया है। इस साल जनवरी में रणजी ट्रॉफी में असम के खिलाफ 383 गेंद में 379 रन की पारी के बावजूद पृथ्वी भारतीय टीम में जगह बनाने की दौड़ में पिछड़ गए हैं। मैदान के बाहर उनकी अनुशासनहीनता भी सवालों के घेरे में आई है।
पृथ्वी शॉ जैसी ही है सरफराज खान की कहानी
पृथ्वी ने हाल में नार्थम्पटनशायर के साथ करार किया है। वह इंग्लैंड की इस काउंटी टीम तथा दलीप ट्रॉफी में अच्छे प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे। सरफराज की कहानी भी पृथ्वी शॉ जैसी ही है। उन्होंने भी घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन जुटाए हैं। वह उन चुनिंदा बल्लेबाजों में शामिल हैं जिन्होंने लगातार दो रणजी ट्रॉफी सत्र (2020-21, 2021-22) में 900 से अधिक रन बनाए हैं।
सरफराज की राह आसान कर सकती है बेंगलुरु में एक बड़ी पारी
प्रथम श्रेणी में सरफराज का औसत 79 से कुछ अधिक है। इससे बेहतर औसत सिर्फ सर डॉन ब्रैडमैन का है। यहां तक कि पिछले घरेलू सत्र में उन्होंने 92.66 के औसत से रन बनाए और वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टीम में उनका चयन नहीं होने पर काफी सवाल उठे। मैदान के बाहर के बर्ताव व फिटनेस के खराब स्तर ने फिलहाल भारतीय टीम में उनका रास्ता रोका हुआ है। बेंगलुरु में एक और बड़ी पारी से शायद उनकी राह कुछ आसान बने।
दलीप ट्रॉफी में बड़ी पारी खेलना चाहेंगे सूर्यकुमार यादव
दूसरी तरफ सूर्यकुमार सफेद गेंद की भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे हैं लेकिन मुंबई का यह बल्लेबाज लंबे प्रारूप में इस सफलता को दोहराने में नाकाम रहा है। फरवरी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में पदार्पण करते हुए सूर्यकुमार विफल रहे। वह दलीप ट्रॉफी में बड़ी पारी खेलकर साबित करना चाहेंगे कि वह सभी प्रारूप के खिलाड़ी हैं। ये सभी खिलाड़ी अगर अपने निजी लक्ष्यों के साथ टीम के लिए एकजुट होकर खेलते हैं तो अगले चार दिन रोमांचक क्रिकेट देखने को मिल सकता है।