एंड्रू एम्सन।
दिल्ली स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप के आखिरी दिन (मंगलवार) राजधानी के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में वॉर्म अप ट्रैक पर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) का खौफ देखने को मिला। एजेंसी ने अचानक से स्टेडियम जाकर एथलीट्स की जांच करनी शुरू कर दी। नाडा के अधिकारियों को देख ट्रैक पर दौड़ रहे एथलीट वहां से भाग खड़े हुए। नाडा के अधिकारियों के आने की खबर जैसे ही वहां फैली तो चैंपियनशिप के प्रतिभागियों की संख्या आधी हो गई। ऐसे में हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
एथलीट्स में बैठा नाडा का डर
आपको बता दें कि जेएलएन स्टेडियम में नाडा के अधिकारियों के दौरे ने एथलीट के अंदर डर पैदा कर दिया है और यह डर इस बात का था कि अगर उनका डोप टेस्ट हुआ तो ज्यादातर एथलीट उसमें फेल होते और फिर स्टेट चैंपियनशिप जीतकर मिलने वाली पुरस्कृत राशि दिल्ली सरकार को वापसी करनी होती। नाडा के अधिकारियों को देखकर वहां से भाग जाने वाले एथलीट्स में कुछ ऐसे भी रहे होंगे जो पहले इस चैंपियनशिप का विजेता रह चुके हैं। साथ ही कुछ प्रतिभागियों को बैन का डर रहा होगा।
इन फायदों के लिए इंजेक्शन लेकर दौड़ते हैं एथलीट्स
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली स्टेट एथलीट चैंपियनशिप में जीतने वाले एथलीट को दिल्ली सरकार की ओर से 16 लाख रुपये तक की वार्षिक “वित्तीय सहायता”, कॉलेज में दाखिला और नौकरी के अवसर प्रोत्साहन के रूप में दिए जाते हैं। इसी रिवॉर्ड के लिए एथलीट्स तरह-तरह के इंजेक्शन लेकर दौड़ते हैं और किसी भी हाल में रेस को जीतना चाहते हैं। हालांकि कोई लाभार्थी अगर डोप टेस्ट में फेल हो जाता है तो उस पर प्रतिबंध तो लगता ही है साथ में उसे वह राशि भी वापस करनी होती है तो उसे चैंपियनशिप जीतने के बाद मिलती है।
नाडा के अधिकारियों के औचक दौरे ने मचाई भगदड़
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चैंपियनशिप के अंतिम दिन मंगलवार को नाडा के अधिकारियों की अचानक उपस्थिति ने बड़े पैमाने पर एथलीटों को भागने पर मजबूर कर दिया था। पुरुषों की 100 मीटर फाइनल रेस के लिए केवल एक ही एथलीट वहां मौजूद दिखा था। अंडर 20 से 100 मीटर की रेस के लिए केवल 3 फाइनलिस्ट ट्रैक पर दिखे। साथ ही अंडर-16 बॉयज की हैमर थ्रो स्पर्धा के लिए एक ही प्रतिभागी नजर आया। एक स्टीपलचेजर फिनिश लाइन पार करने के बाद दौड़ता रहा। कई विजेता तो पदक समारोह में भी शामिल नहीं हुए।
वित्तीय सहायता को लेने के लिए होती है धोखाधड़ी
आपको बता दें कि इस चैंपियनशिप के जरिए एथलीट के पास राष्ट्रीय स्तर के लिए क्वालिफाई करने का मौका होता है। साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से बड़ी वित्तीय सहायता और कई मदद मिलती हैं जिसके लिए खिलाड़ी खिलाड़ी डोपिंग करने लगते हैं। जूनियर एथलीटों के मामले में उनके भोजन और पोषण, खेल उपकरण और किट और देश के भीतर यात्रा के लिए वित्तीय सहायता 2 लाख रुपए तक की मिलती है। साथ ही 14 वर्ष तक की आयु वालों के लिए 3 लाख रुपए का राशि का प्रावधान है, लेकिन इन प्रोत्साहन का दुरुपयोग भी किया जा रहा है।
स्टेडियम के टॉयलेट में मिली थी सिरिंज
सरकार की इस योजना का फायदा उठाने के लिए एथलीट डोपिंग का उल्लंघन करते हुए कई तरह के इंजेक्शन और दवाएं ली जाती हैं। मंगलवार को एथलेटिक्स चैंपियनशिप के आखिरी दिन स्टेडियम परिसर के टॉयलेट में कई खाली सिरिंज और इंजेक्शन मिले थे। ऐसे में नाडा ने कार्रवाई का मन बना लिया है। सरकार की योजना में यह भी कहा गया है कि अगर जो एथलीट डोप टेस्ट में फेल होता है तो उसे दंडित किया जाएगा और राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से मिलने वाली सहायता राशि को रोक दिया जाएगा। साथ ही किसी एथलीट को पहले से दी गई सहायता राशि वसूल की जाएगी।