एंड्रू एम्सन। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के वार्म-अप ट्रैक पर स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप (23-26 सितंबर) के आखिरी दिन एथलीट्स में नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) का खौफ देखने को मिला। मंगलवार, 27 सितंबर को एंटी डोपिंग एजेंसी के अधिकारियों को देखकर एथलीट्स भाग खड़े हुए। एक दिन पहले स्टेडियम के वॉशरूम में बिखरे सीरिंज का वीडियो क्लिप सामने आया था। इसके बाद स्टेडियम में नाडा के अधिकारियों के होने की खबर फैली और प्रतिभागियों की संख्या आधी हो गई।

हालात ये थे कि 100 मीटर मेंस फाइनल में केवल एक एथलीट ललित कुमार ने हिस्सा लिया। जूनियर स्टीपलचेस में एक एथलीट तो फिनिश लाइन क्रॉस करने के बाद भी दौड़ती रही। एक अधिकारी ने उसे दौड़कर पकड़ा और सैंपल। नाडा के अधिकारी डोप टेस्ट के लिए सैंपल न मांग दें, इस डर कई विजेताओं ने मेडल सेरेमनी में हिस्सा ही नहीं लिया।

लड़की फिनिश लाइन पार करने के बाद भी दौड़ती रही

एक सीनियर कोच न द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ” ट्रैक इवेंट में आठ फाइनलिस्ट थे, लेकिन मंगलवार को केवल तीन या चार ही आए। जूनियर स्टीपलचेज इवेंट में एक लड़की फिनिश लाइन पार करने के बाद भी दौड़ती रही। एक डोपिंग नियंत्रण अधिकारी को नमूना लेने के लिए उसका पीछा करना पड़ा। “

केवल ललित कुमार ने मेंस 100 मीटर फाइनल में लिया हिस्सा

मेंस 100 मीटर फाइनल में ललित कुमार अकेले एथलीट थे। उन्होंने बताया कि बाकी के सात स्प्रिंटर ने उन्हें यह कहकर नहीं आए कि वे “क्रैंप्स” या “मांसपेशियों में खिंचाव” से जूझ रहे हैं। ललित कुमार का यह पहला सीनियर लेवल इवेंट था। उनके लिए साथी प्रतिस्पर्धियों का अचानक गायब होना हैरानी भरा था। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ” मैं वास्तव में सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स के खिलाफ दौड़ने का इंतजार कर रहा था, लेकिन कोई भी नहीं आया। हर कोई टेस्ट कराने से डर रहा था। एक एथलीट के तौर पर मैं बहुत आहत और निराश महसूस कर रहा हूं।”

नाडा अधिकारियों के पहुंचते ही प्रतिभागियों की संख्या घटकर 50 फीसदी रह गई

तीन दशकों से खेल से जुड़े एक अधिकारी ने कहा,” यह पहली बार है जब मैंने केवल एक प्रतिभागी के साथ 100 मीटर की प्रतियोगिता देखी। नाडा अधिकारियों के पहुंचते ही प्रतिभागियों की संख्या घटकर 50 फीसदी रह गई।” अंडर-20 ब्यॉज के 100 मीटर फाइनल में केवल तीन फाइनलिस्ट ही आए। अंडर-16 ब्यॉज के हैमर थ्रो में केवल एक प्रतिभागी ने हिस्सा लिया।

कुछ खिलाड़ी तो अपने पदक लेने भी नहीं आए

दिल्ली राज्य एथलेटिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सनी जोशुआ ने कहा, “कुछ खिलाड़ी तो अपने पदक लेने भी नहीं आए। हमारा काम एथलीट्स और कोच को शिक्षित करना है, लेकिन हम लगातार इस बात पर नजर नहीं रख सकते कि वे अभ्यास के दौरान या हमारी पीठ पीछे क्या कर रहे हैं। एथलेटिक्स में डोपिंग एक बड़ा खतरा है और हम इसके सख्त खिलाफ हैं।”

वॉशरूम में परफॉर्मेंस एन्हांसर ड्रग के इंजेक्शन के पैकेट मिले

इस बीच, रिकॉम्बिनेंट ह्यूमन एरिथ्रोपोइटिन (ईपीओ) इंजेक्शन के खाली पैकेट मंगलवार को वॉशरूम में देखने को मिले। इसका उपयोग परफॉर्मेंस एन्हांसर ड्रग के तौर पर किया जाता है। स्पोर्ट्स मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. पीएसएम चंद्रन ने कहा, ” इस दवा का उपयोग एनीमिया के इलाज में किया जाता है, लेकिन केमीस्ट इसकी परवाह नहीं करते और एथलीट इसे काउंटर पर आराम से प्राप्त कर लेते हैं। दवा खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाती है और एथलीटों को सहनशक्ति प्रदान करने में मदद कर सकती है। ईपीओ के उपयोग से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ब्लड सर्कुलेशन को नुकसान पहुंच सकता है। एथलीटों को प्रभावों की परवाह नहीं है। वे सिर्फ शॉर्टकट चाहते हैं।”