भारतीय जूडोका तूलिका मान ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल में 3 अगस्त 2022 की रात रजत पदक अपने नाम किया। महिला 78+ किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में उन्हें स्कॉटलैंड की सारा एडलिंगटन के खिलाफ हार झेलनी पड़ी। राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में जूडो में भारत का यह चौथा रजत पदक है। भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक जूडो में 4 रजत और पांच कांस्य पदक जीते हैं।
तूलिका ने न्यूजीलैंड की सिडनी एंड्रयूज को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। चार बार की राष्ट्रीय चैंपियन तूलिका मान सेमीफाइनल में पहले पिछड़ रही थीं, लेकिन ‘इपोन’ की बदौलत सिडनी एंड्रयूज को 3 मिनट के भीतर मात दे दी।
जूडो में इपोन का मतलब प्रतिद्वंद्वी को पीठ के बल जोर से पटकना होता है। हालांकि, फाइनल में वह खुद इपोन की शिकार हो गईं। फाइनल में पहले वह एक अंक की बढ़त पर थीं, लेकिन इपोन ने उनसे स्वर्ण पदक छीन लिया।
तूलिका मान के लिए पिता की हत्या के बाद से राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने तक का सफर आसान नहीं रहा है। तूलिका मान मुश्किल से 14 साल की थीं तब उनके पिता सतबीर मान की कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के चक्कर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
तूलिका मान दो बहन और एक भाई हैं। वह अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान हैं। पिता की हत्या का आघात तूलिका सह नहीं पाईं थीं। वह बहुत परेशान रहने लगी थीं, लेकिन उस वक्त उनकी मां अमृता सिंह उनका संबल बनीं।
मां के उत्साहवर्धन ने तूलिका के हौसले को टूटने से बचाया। शायद तभी वह आज यह उपलब्धि अपने नाम करने में सफल हुईं हैं। अमृता सिंह दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। तूलिका गोरखपुर स्थित गुरुकुल पीजी कॉलेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा हैं।
दिल्ली में 9 सितंबर 1998 को जन्मीं तूलिका ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतकर देश का गौरव जरूर बढ़ाया है, लेकिन हर एथलीट की तरह उनका लक्ष्य भी ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है। तूलिका 2019 साउथ एशियन गेम्स (South Asian Games) में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।
तूलिका मान का साल 2018 में इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना मुश्किल हो गया था। जकार्ता एशियाई खेलों से ठीक पहले तूलिका को TOP स्कीम से बाहर कर दिया गया था। सरकारी उदासीनता और वित्तीय मदद की कमी के चलते तूलिका ने अपने सपने को जीवित रखने के लिए खुद खर्चा (ट्रेनिंग और टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए) उठाया।
राष्ट्रमंडल खेलों में वैकल्पिक खेल है जूडो
जूडो राष्ट्रमंडल खेलों में एक वैकल्पिक खेल है। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों से पहले 1986, 1990, 2002 और 2014 के संस्करण में जूडो की स्पर्धाएं हुईं थीं। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत को जूडो में अब तक दो पदक मिल चुके हैं। जूडोका सुशीला देवी ने रजत पदक, जबकि विजय यादव ने कांस्य पदक जीता है।