Indian Weightlifter Punam Yadav In Controversy: भारोत्तोलक पूनम यादव बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पसंदीदा खिलाड़ियों में से एक थीं। उन्होंने गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले संस्करण में स्वर्ण पदक जीता भी था, लेकिन 76 किग्रा भारोत्तोलन फाइनल पूनम के साथ-साथ देश के लिए भी दिल तोड़ने वाला साबित हुआ। पूनम ने स्नैच में 98 किग्रा भार उठाया और दूसरे स्थान पर रहीं। हालांकि, क्लीन एंड जर्क में पूनम के तीनों प्रयासों को ‘नो लिफ्ट’ माना गया। अब ‘नो लिफ्ट’ को लेकर विवाद गहरा गया है।

एक ओर पूनम यादव का कहना है कि उन्होंने ज्यूरी (कई रेफरियों का दल) की ओर से सकारात्मक संकेत मिलने के बाद बार को फर्श पर छोड़ा। वहीं, भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएलएफ) ने अपनी ही वेटलिफ्टर पर पदक गंवाने का दोष मढ़ दिया। आईडब्ल्यूएलएफ का कहना है कि पूनम यादव ने इंजरी के बावजूद इतने बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और देश को एक पदक से मरहूम कर दिया।

27 साल की पूनम के 116 किग्रा के पहले दो प्रयासों को मुड़ी हुई कोहनी के कारण फाउल कहा गया। नियमानुसार, उठाने वाले का हाथ उठाते समय सीधा होना चाहिए। यदि नहीं तो लिफ्ट को अमान्य माना जाता है। हालांकि, तीसरी लिफ्ट के बाद जो हुआ, उससे लोगों की भौंहें चढ़ा गईं। पूनम ने अपने तीसरे प्रयास में 116 किग्रा भार सफलतापूर्वक उठाया।

हालांकि, कार्यक्रम स्थल पर मौजूद अधिकारियों के अनुसार, रेफरी से क्लीन लिफ्ट के लिए संकेत मिलने से पहले ही भारतीय वेटलिफ्टर ने बार गिरा दिया। अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उसने बजर की आवाज तक इंतजार नहीं किया। रेफरी लिफ्ट के बाद वजन वापस फर्श पर गिराने से पहले एक साथ बजर दबाते हैं।

मुझे लगा कि उन्होंने बजर दबा दिया: पूनम यादव

मुख्य कोच विजय शर्मा के नेतृत्व में भारतीय कोचिंग स्टाफ ने तुरंत रेफरी के फैसले को चुनौती दी। वीडियो रेफरल किया गया, लेकिन चुनौती पलट गई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने पूनम के हवाले से लिखा, ‘मैंने जब सिर के ऊपर बारबेल उठा लिया तो उसके बाद रेफरी को मुस्कुराते हुए देखा। मुझे लगा कि मैंने समय से वजन उठा लिया है। वास्तव में, मुझे लगा कि यह उनकी ओर से एक सकारात्मक संकेत है। मुझे लगा कि उन्होंने बजर दबा दिया है।’

बाद में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (IWLF) के एक सूत्र ने कहा, ‘वह और बेहतर कर सकती थी। हम पदक से चूक गए। वह घुटने की चोट के साथ टूर्नामेंट में आई थी। खेलों से पहले, हमने उसका स्कैन करवाया था और चोट जाहिर हो रही थी। हम चाहते थे कि उसकी जगह कोई और जाए, लेकिन डॉक्टर ने उसे जाने की इजाजत दे दी।’

उसने भारोत्तोलन में एक पदक जाने दिया: आईडब्ल्यूएलएफ अध्यक्ष

आईडब्ल्यूएलएफ अध्यक्ष सहदेव यादव ने पीटीआई से बातचीत में दावा किया कि पूनम यादव ने पूरी तरह फिट नहीं होने के बावजूद प्रतिस्पर्धा पेश की। पूनम के प्रदर्शन से निराश राष्ट्रीय महासंघ के प्रमुख ने कहा कि इस भारोत्तोलक ने घुटने में चोट के बावजूद प्रतिस्पर्धा पेश की। उन्होंने कहा, ‘एक पदक हाथ से छूट गया- स्पष्ट तौर पर उसने भारोत्तोलन में एक पदक जाने दिया।’

उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि हमने शुरुआत में उसका नाम रोककर रखा था, लेकिन पूनम यादव ने दावा किया कि वह फिट है। उसने एक चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र भी दिखाया। अगर आपने उसके प्रयासों पर गौर किया हो तो क्लीन से जर्क पर भार उठाते हुए वह अपनी सर्वश्रेष्ठ ताकत नहीं लगा रही थी। पूरी ताकत लगाने के लिए घुटने को मोड़ना पड़ता है। लेकिन उसके मामले में इस चीज की कमी थी। यह स्पष्ट था कि वह शत प्रतिशत फिट नहीं है। हमने एक पदक जीतने का मौका गंवा दिया।’

इस बारे में जब पूनम यादव से पूछा गया तो उन्होंने रोते हुए कहा कि वह पूरी तरह फिट थी। पूनम ने कहा, ‘हां जी, हां जी, बिलकुल फिट थी। छोटी-मोटी चोटें तो भारोत्तोलक के जीवन का हिस्सा होती हैं। मैं पदक जीतने की दौड़ में थी। ऐसा होता है, यह मेरा दुर्भाग्य था।’ साल 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स समें 69 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वालीं पूनम ने कहा, ‘वह हंसा (एक जज) और मैंने वजन गिरा किया।’