चोट के कारण भारतीय टीम से छह हफ्ते बाहर रहने के समय को याद करते हुए प्रतिभावान सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल ने कहा कि इंदौर में जब टीम नंबर एक टेस्ट टीम बनी तो वहां टीम के साथ नहीं होने से उनका दिल टूट गया था। राहुल ने ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘इंदौर में जब हम नंबर एक टेस्ट टीम बनें तो वहां टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं होना दिल तोड़ने वाला था। लेकिन यही वे छोटी चीजें थी जो रोज सुबह मुझे उठा दिया करती थी। उबरने में समय लगेगा और मैं निश्चित तौर पर वापसी करूंगा खुद को यह समझाने के लिए मुझे मानसिक और शरीरिक रूप से कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। और मैं भारतीय टीम में दोबारा शामिल हूं।’ राहुल ने कहा कि राजस्थान के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में 76 और 106 रन की पारी खेलने से उन्हें भारतीय टीम में वापसी के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास मिला क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने पूर्ण फिटनेस हासिल कर ली है।
उन्होंने कहा, ‘मैं फिट हूं इसे लेकर आश्वस्त होने के लिए प्रथम श्रेणी मैच खेलना महत्वपूर्ण था। मैं बेंगलुरु में अपने फिजियो के साथ रिहैबिलिटेशन में काफी समय बिता सकता था और जिम में भी लेकिन जब तक मैं क्रिकेट मैच नहीं खेलूं मुझे पता नहीं चलेगा कि मैं कितना फिट हूं। मेरे लिए अपना आत्मविश्वास बढ़ाए रखना महत्वपूर्ण था।’ राहुल को उम्मीद है कि वह इंग्लैंड के खिलाफ काफी रन बना पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं बेहद रोमांचित हूं कि मैंने वापसी की है। मेरी फिटनेस अच्छी है और मैं काफी अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं और टीम राजस्थान के खिलाफ रणजी ट्राफी में रन बनाए। उम्मीद करता हूं कि कानपुर में जहां छोड़कर वहां था वहां से पारी को आगे बढ़ाऊंगा। मैं इस श्रृंखला को लेकर बेताब हूं और एक बार फिर काफी रन बनाना चाहता हूं।’ राहुल ने कहा कि भारतीय टीम में समय बिताने से खिलाड़ी के रूप में उनमें काफी सुधार हुआ है।

