विराट कोहली वनडे और टी20 क्रिकेट में पिछले दो-तीन से भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य स्तंभ बने हुए हैं। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में वे उस तरह से झंडे नहीं गाड़ पाए थे जिस तरह छोटे फॉर्मेट में उन्हें कामयाबी मिली थी। दो साल पहले इंग्लैंड दौरे पर तो विराट कोहली बुरी तरह नाकाम रहे थे। पांच टेस्ट की सीरीज में कोहली एक भी अर्धशतक नहीं लगा पाए। दो बार तो कोहली खाता भी नहीं खोल पाए थे। उस सीरीज में कोहली का औसत 13.40 का था और जेम्स एंडरसन ने चार बार उन्हें आउट किया था। अंग्रेज गेंदबाजों ने ऑफ स्टंप से बाहर की लाइन पर कोहली को आउट किया। कोहली की नाकामयाबी भारत को भी भारी पड़ी थी और उसे 3-1 से हार झेलनी पड़ी। लेकिन साल 2016 यानि दो साल बाद कहानी पूरी तरह से बदली हुई। इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान सीरीज में भारतीय कप्तान ने अभी तक 128 की जोरदार औसत से रन बनाए हैं। इसमें एक दोहरा शतक, एक शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं। उनका प्रदर्शन भारतीय टीम की कहानी भी सुनाता है। पांच टेस्ट की सीरीज में टीम इंडिया 3-0 से आगे है। हो सकता है चेन्नई में यह आंकड़ा 4-0 हो जाए।
विराट कोहली ने इस साल टेस्ट क्रिकेट में तीन दोहरे शतक लगाए हैं। उनका प्रदर्शन इतना गजब का रहा है कि टेस्ट क्रिकेट में भी उनका औसत 50 के पार चला गया है। ऐसा पहली बार है जब किसी खिलाड़ी का क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में औसत 50 से ज्यादा का है। कोहली ने वनडे में 52.93, टी20 में 57.13 और टेस्ट में 50.53 की औसत से रन बनाए हैं। टेस्ट क्रिकेटर के रूप में कोहली में बदलाव की शुरुआत कप्तान बनने के बाद हुई। साल 2014 में जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्हें टीम इंडिया की कमान दी गई थी तो पहले ही टेस्ट में उन्होंने दोनों पारियों में शतक लगाया था। इसके बाद से उन्होंने पलटकर नहीं देखा। साल 2016 में तो उनका खेल अलग ही लेवल पर पहुंच गया। इस साल उन्होंने सभी तरह के मैचों में कुल मिलाकर 3000 से ज्यादा रन बनाए हैं। उनके प्रदर्शन और मिसालभरी कप्तानी के बूते सफेद जर्सी के फॉर्मेट में फिर से नंबर वन बन गया।
इंग्लैंड दौरे पर जब कोहली बुरी तरह से फ्लॉप रहे थे तो भारत आने के बाद उन्होंने सचिन तेंदुलकर की मदद ली। कोहली ने इस बारे में बताया, ”मैं वापस आया और 10 दिन बाद मुंबई गया। मैंने उनसे बात की। उन्होंने कहा कि मेरा खेल देखा है। तकनीकी स्तर पर उन्होंने मेरी मदद की। मैं कभी आगे जाकर नहीं खेलता था लेकिन उन्होंने कहा कि तेज गेंदबाज को आगे जाकर खेलो जैसे तुम स्पिनर को डिफेंड करते हो।” कोहली के खेल को देखकर लगता है कि उन्होंने सचिन के टिप्स को आत्मसात कर लिया। रविवार (11 दिसंबर) को जब जेम्स एंडरसन ने कहा कि विराट को भारतीय पिचों के कारण मदद मिल रही है। इंग्लैंड में उनके खेल को लेकर शंका बरकरार है। अगले साल इंग्लैंड में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान कोहली के पास एंडरसन की बात को गलत साबित करने का मौका होगा। भारत इस टूर्नामेंट में डिफेंडिंग चैंपियन के रूप में उतरेगा।

