क्रिकेट में बहुत कम एेसे मौके आते हैं, जब एक ही मैच में किसी टीम के सभी धुरंधर खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर दें। पसंदीदा खिलाड़ियों की इस तरह की परफॉर्मेंस देख दर्शकों के पैसे भी वसूल हो जाते हैं। भारतीय क्रिकेट इतिहास में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की तिकड़ी का एक जमाने में बोलबाला था। बड़े-बड़े गेंदबाज टीम इंडिया के इन त्रिदेवों के आगे पानी भरते दिखते थे। लेकिन एेसा मौका सिर्फ एक ही बार आया है, जब किसी मैच में तीनों ने शतक लगाया हो। दिलचस्प बात है कि आज ही (22 अगस्त) वह दिन था, जब इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स टेस्ट की पहली पारी में तीनों बल्लेबाजों ने अंग्रेजी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ दी थी।
दरअसल साल 2002 में भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई थी। 2002 की नेटवेस्ट वनडे सीरीज भारत ने 3-2 से जीती थी। श्रृंखला के आखिरी मैच को जीतने के बाद तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने ही अपनी शर्ट उतारी थी। इसके बाद भारत की भिड़ंत इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज में हुई। पहला टेस्ट मैच 25 जुलाई को उसी लॉर्ड्स के एेतिहासिक मैदान पर हुआ, जहां 13 जुलाई को टीम इंडिया ने वनडे सीरीज फतह की थी। लेकिन इस टेस्ट मैच में भारत को इंग्लैंड के हाथों 170 रनों से हार झेलनी पड़ी। फैन्स सकते में थे। इंग्लिश टीम 4 मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे हो गई । दूसरा मैच ड्रॉ रहा। तीसरा मैच 22 अगस्त को लीड्स में खेला गया।
पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 185 रनों पर 2 विकेट गंवा दिए। इसके बाद क्रीज पर आए राहुल द्रविड़, जिन्होंने शानदार 148 रनों की पारी खेली। इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने 193 और सौरव गांगुली ने 128 रन बनाए। तीनों बल्लेबाजों के दम पर भारत ने 8 विकेट खोकर 628 रन पर पारी घोषित कर दी। इसके बाद बल्लेबाजी करने उतरे इंग्लैंड को पहला झटका 67 के स्कोर पर लगा और फिर तू चल मैं आया जैसा हाल हो गया। आलम यह था कि 273 पर पूरी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। भारत ने उसे फॉलोअॉन खेलने के लिए बुलाया। लेकिन यहां भी वह कुछ खास नहीं कर पाई और 309 रनों की ढेर हो गई। भारत ने यह मैच पारी और 46 रनों से जीतकर सीरीज 1-1 से बराबर कर ली। चौथा टेस्ट भी ड्रॉ रहा था।
